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CJI चंद्रचूर्ण जैसे लोग देश को बचा सकते हैं

CJI चंद्रचूर्ण जैसे लोग देश को बचा सकते हैं

Ali Aadil Khan

Editor’s Desk

मौक़ा था इंडियन एक्स्प्रेस द्वारा आयोजित रामनाथ गोयनका award Ceremony का जिसमें केंद्र की वर्तमान सरकार और विपक्ष के कई जाने माने लोग मौजूद थे .और इन सब में ख़ास शख्सियत थी CJI जस्टिस DY चंद्रचूर्ण की ।

Indian express की तरफ से आयोजित कार्यक्रम में जयशंकर प्रसाद और I & B मंत्री अनुराग ठाकुर की मौजूदगी में इंडियन Express के ही Editor राजकमल झा और जस्टिस DY चंद्रचूर्ण ने वर्तमान सरकार को जन विरोधी , लोकतंत्र तथा संविधान विरोधी नीतियों के लिए आईना दिखाया है .

जस्टिस चंद्रचूर्ण ने Fake News फैलाने वाले channels के बारे में कड़े अलफ़ाज़ में कहा की इनमें दो समुदायों के बीच तनाव पैदा करने की पूरी क्षमता होती है . इसलिए लोकतान्त्रिक मूल्यों को बचाने के लिए सच और झूठ में फ़र्क़ बताने की बेहद ज़रुरत है .

इंडियन एक्सप्रेस के एडिटर राजकमल झा ने कहा हमें CJI DY चन्द्रचूर्ण की उपस्थिति का सौभाग्य प्राप्त है . उन्होंने सरकार पर तंज़ कसते हुए कहा , और आज बंद लिफ़ाफ़े में कुछ नहीं है . इसपर पूरा सभागार तालियों की गड़गड़ाहट से गूँज उठा ,,, इस दौरान सरकार के दो मंत्रियों और उनके समर्थकों की असहजता को साफ़ देखा जा सकता था .

आपको याद होगा One Rank One Pension (OROP) के मुद्दे पर मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एक बंद लिफाफा भिजवाया था जिसपर जस्टिस चंद्रचूर्ण ने कहा था यहाँ कुछ भी बंद लिफ़ाफ़े में नहीं होगा .

गोपनीयता के नाम पर केंद्र और राज्यों की सरकारें अक्सर सीलबंद लिफाफे में अदालतों को अपना जवाब देती हैं और पिछले कुछ सालों में इसका चलन कुछ ज्यादा ही बढ़ गया है. लेकिन पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को फटकार लगाते हुए कहा है कि ये खतरनाक प्रवृत्ति बंद होनी चाहिए क्योंकि ये न्याय की निष्पक्ष और पारदर्शी प्रकिया के सिद्धान्त के ख़िलाफ़ है.

महाधिवक्ता ने सरकार का पक्ष रखते हुए दोहराया कि कुछ ‘संवेदनशीलता के मुद्दे’ हैं तब सीजेआई चंद्रचूड़ को थोड़ी तल्ख़ी के साथ कहना पड़ा, ‘जब आप विशेषाधिकार का दावा करते हैं, तो फिर हमें उस दावे का भी फैसला करना होगा.’ उन्होंने कहा, ‘हमें इस सीलबंद कवर प्रक्रिया को खत्म करने की जरूरत है जिसका पालन सुप्रीम कोर्ट में किया जा रहा है . यह कल्चर मूल रूप से निष्पक्ष न्याय की मूल प्रक्रिया के विपरीत है.

राजकमल झा ने कहा जब लोकतंत्र की रौशनी कम होजाती है और एक पत्रकार को आतंकवाद की धाराओं में गिरफ्तार किया जाता है , जबकि एक दुसरे पत्रकार को सवाल पूछने पर गिरफ्तार किया जाता है , जब एक यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर एक कार्टून साझा करने पर गिरफ्तार किया जाता है कॉलेज स्टूडेंट को भाषण के लिए , फिल्म स्टार को एक ट्वीट के लिए , या फिर एक रिपोर्टर के सवाल का जवाब FIR की शक्ल में आता है तब हम North Star चमकते सितारे सुप्रीम कोर्ट की तरफ देखते हैं .

और आज देश की सर्वोच्च अदालत में जस्टिस चंद्रचूर्ण के रूप में चमकता सितारा नज़र आ रहा है जो आगामी CJI के लिए एक मिसाल बन सकेंगे .ऐसे दौर में जब हाल यह हो की …..

” बनें हैं अहल-इ-हवस मुद्दई भी मुंसिफं भी
किसे वकील करें ? किससे मुंसिफ़ी चाहें ?
फैज़ अहमद फैज़

तो CJI चंद्रचूर्ण वाक़ई हिन्द की अदलिया में एक चमकता सितारा हैं जहाँ से रौशनी की पूरी उम्मीद की जा रही है .

हर दौर में पाकिस्तानी सत्ता को आइना दिखाने वाले हबीब जालिब उस दमनकारी व्यवस्था और समाज के उत्पीड़न से पैदा होने वाले जनकवि थे, जिसमें जागीरदारों को सलाम न पर इसको जुर्म समझकर सज़ा दी जाती थी . पाकिस्तानी न्यायपालिका पर जागीरदारों का क़ब्ज़ा था . उसी दौर में जालिब कह रहे थे

हुक्मरां हो गए कमीने लोग
ख़ाक में मिल गए नगीने लोग
हर मुहिब्ब-ए-वतन ज़लील हुआ
रात का फ़ासला तवील हुआ : हबीब जालिब

आज भारत में हबीब जालिब तो नहीं मगर DY चंदचूर्ण जैसे CJI ज़रूर मौजूद हैं . जिसके बाद देश की मज़लूम जनता को इंसाफ़ की किरण दिखाई दे रही है .

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