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केंद्र की सत्ता पर एक बार फिर से हाडोती का दबदबा ?

केंद्र की सत्ता पर एक बार फिर से हाडोती का दबदबा ?

देवेंद्र यादव
कोटा राजस्थान

यूं तो केंद्र में भाजपा की सत्ता के समय, राजस्थान के हाडोती संभाग का दब दबा नजर आता रहा है, क्योंकि हाडोती संभाग की दो लोकसभा सीटों पर हमेशा भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार चुनाव जीतते रहे हैं !

और केंद्र सरकार में मंत्री भी बने हैं ! के गोयल और श्रीमती वसुंधरा हाडोती संभाग की लोकसभा सीटों से जीतकर केंद्र में मंत्री बने मगर, जैसा दबदबा कांग्रेस की नरसिम्हा राव सरकार में कोटा के कांग्रेस नेता राज्यसभा सांसद भुवनेश चतुर्वेदी और कोटा लोकसभा क्षेत्र से चुन कर गए भाजपा नेता ओम बिरला लोक सभा अध्यक्ष बने तब हाडोती संभाग का केंद्र सरकार में दबदबा स्पष्ट रूप से दिखाई दिया !

यदि चतुर्वेदी और बिरला के राजनीतिक दबदबे की बात करें तो, दोनों ही नेताओं का राजनीतिक दबदबा राजस्थान की राजनीति में प्रभावशाली रहा !

भुवनेश चतुर्वेदी का राजस्थान की राजनीति में इतना बड़ा दबदबा था कि वह राजस्थान के मुख्यमंत्री बनते बनते रह गए ?
यदि राजस्थान के कांग्रेसी नेता भुवनेश चतुर्वेदी का साथ दे देते तो उसे समय राजस्थान में भाजपा की भेरो सिंह शेखावत सरकार नहीं बनती ?

दबदबा ऐसे ही थोड़ी ना मिल गया , बहुत कुछ ड्रामा करना पड़ता है

 

ठीक वैसे ही यदि राजस्थान के नेता ओम बिरला का साथ दे देते तो राज्य के भजन लाल शर्मा मुख्यमंत्री नहीं बनते . चतुर्वेदी और बिरला की राजनीतिक हैसियत पर नजर डालें तो, दोनों नेताओं में एक समानता नजर आएगी .

दोनों नेता अपने-अपने जमाने में हाई कमान के प्रति वफादार निष्ठावान नेता के रूप में दिखाई देंगे . भुवनेश चतुर्वेदी पर देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव जबरदस्त भरोसा करते थे ठीक वैसे ही ओम बिरला पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बड़ा भरोसा करते हैं. यही वजह है कि उन्हें मोदी ने लगातार दूसरी बार लोकसभा का स्पीकर बनवाया !

यदि दोनों नेताओं की समानता की बात करें तो नरसिम्हा राव चाहते थे कि राजस्थान का मुख्यमंत्री भुवनेश चतुर्वेदी बने वही नरेंद्र मोदी और अमित शाह चाहते थे कि ओम बिरला राजस्थान का मुख्यमंत्री बने मगर दोनों ही नेताओं को पार्टियों के राजस्थान के नेताओं ने मुख्यमंत्री नहीं बनने दिया .

मगर दोनों ही नेताओं ने राजस्थान के नेताओं को अपना प्रभाव और दबदबा बताया और दोनों का विरोध करने वाले नेताओं को भी मुख्यमंत्री नहीं बनने दिया .भुवनेश चतुर्वेदी के जमाने में भैरव सिंह शेखावत राजस्थान के मुख्यमंत्री बने तो वही ओम बिरला ने एक बार के जीते विधायक भजनलाल शर्मा को राज्य का मुख्यमंत्री बनवाया .

भुवनेश चतुर्वेदी और ओम बिरला दोनों नेता पद पर रहने के बाद दलगत राजनीति से ऊपर उठकर जनता और क्षेत्र के विकास की बात करते हैं ? दोनों ही नेताओं के सभी दलों के नेताओं और कार्यकर्ताओं से मधुर संबंध रहे हैं!

भुवनेश चतुर्वेदी ने दलगत राजनीति से ऊपर उठकर राजस्थान के विकास को महत्व दिया राजस्थान में भाजपा की भैरव सिंह शेखावत सरकार होने के बावजूद हाडोती और राजस्थान की विकास योजनाओं को केंद्र सरकार से मंजूर करवा कर धन मुहैया कराया था !

ठीक वैसे ही राजस्थान में कांग्रेस की अशोक गहलोत सरकार होने के बावजूद ओम बिरला ने हाडोती संभाग और राजस्थान की विकास योजनाओं के लिए केंद्र सरकार से धन मुहैया करवाया !

ओम बिरला दलगत राजनीति से ऊपर उठकर जनता और क्षेत्र का विकास करवाते हैं यही वजह है कि ओम बिरला अपने राजनीतिक जीवन में अभी तक विधानसभा से लेकर लोकसभा का चुनाव जीतते आ रहे हैं !

बिरला की दलगत राजनीति से उठकर जनता के विकास का ही परिणाम है कि लगातार दूसरी बार लोकसभा का स्पीकर बनने के बाद जब वह 6 जुलाई को अपने तीन दिवसीय कोटा प्रवास पर आए तब हाडोती की जनता ने बिरला का जबरदस्त स्वागत और सम्मान किया !
बिरला लगातार तीसरी बार कोटा संसदीय क्षेत्र से सांसद चुने गए वहीं लगातार दूसरी बार लोकसभा के स्पीकर बन गए, हाडोती की जनता को अब इंतजार है हवाई जहाज का, कोटा की धरती से कब उड़ेगी ? लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने कोटा में हवाई अड्डे का मुद्दा जोर-शोर से उठाया था !

ओम बिरला के सामने बड़ी चुनौती कोटा की जनता के रोजगार को लेकर भी सामने खड़ी दिखाई दे रही है . कोटा में रोजगार का सबसे बड़ा साधन अधिकांश जनता के लिए कोटा के बेहतर कोचिंग संस्थान है मगर धीरे-धीरे कोचिंग संस्थानों में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं की संख्या घटती जा रही है.

छात्र-छात्राओं की घटती संख्या रोजगार की दृष्टि से कोटा की जनता के लिए चिंता का विषय बन गया है ? ऐसे में बिरला को कोटा की जनता के लिए रोजगार कैसे मिले इसके लिए बड़ी प्लानिंग करनी होगी .

हालांकि पूर्व मंत्री कांग्रेस नेता शांति कुमार धारीवाल राजस्थान के स्वास्थ्य मंत्री रहते हुए समझ गए थे, और इसीलिए कोटा मैं पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए उन्होंने चंबल रिवर्स फ्रंट योजना बनाई.

और इस योजना को मूर्त रूप दिया और निर्माण करवाया, शांति कुमार धारीवाल की इस महत्वाकांक्षी योजना में चार चांद ओम बिरला ने लगाए उन्होंने केंद्र सरकार से मदद दिलवाई !

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