[]
Home » SELECT LANGUAGE » HINDI » बुलडोज़र कार्रवाई का मामला
बुलडोज़र कार्रवाई का मामला

बुलडोज़र कार्रवाई का मामला

 जमीअत उलमा-ए-हिंद की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट का आदेश, बुलडोज़र कार्रवाई पर अंतरिम रोक

आशा है कि सुप्रीम कोर्ट का अंतिम फैसला पीड़ितों के पक्ष में होगाः- मौलाना अरशद मदनी

प्रेस विज्ञप्ति
नई दिल्ली, 18 सितंबर 2024 :सुप्रीम कोर्ट आफ इंडिया में बुलडोज़र मामले में आज की कानूनी प्रगति पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए अध्यक्ष जमीयत उलमा-ए-हिंद मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि हम अदालत के अंतरिम फैसले का स्वागत करते हैं और हमें पूरी उम्मीद है कि पहली अक्तूबर के बाद सुप्रीम कोर्ट इस मामले पर जो अपना अंतिम फैसला देगी उससे उन ताक़तों को गंभीर झटका लगेगा जो न्यायपालिका के रहते हुए ख़ुद को ही अदालत और कानून समझने की आत्ममुग्धता का शिकार हो कर बुलडोज़र कार्रवाई को अपना क़ानूनी अधिकार समझने लगी थीं।
उन्होंने कहा कि साॅलीसिटर जनरल के अनुरोध पर दो सप्ताह की मोहलत देते हुए अदालत की यह टिप्पणी भी सराहनीय है कि इस अवधि के दौरान अदालत की अनुमति के बिना कोई घर नहीं गिराया जाएगा। मौलाना मदनी ने कहा कि अदालत की यह कड़ी टिप्पणी इस बात का इशारा है इसका जो मार्गदर्शक या अंतिम फैसला आएगा वो न केवल पीड़ितों के हित में होगा बल्कि उससे न्यायपालिका पर विश्वास बढ़ेगा।
मौलाना अरशद मदनी ने गहरा अफसोस व्यक्त करते हुए कहा कि यह बात किसी विडंबना से कम नहीं कि सांप्रदायिक मानसिकता ताक़त के नशे में ख़ुद को न्यायपालिका और कानून से ऊपर समझने लगी है, इस प्रकार की सोच इन अर्थों में घातक है कि देश का लोकतांत्रिक ढांचा जिन स्तंभों पर खड़ा है उनमें सबसे मज़बूत स्तंभ न्यायपालिका है जहां बेसहारा हो जानेवाले लोगों को अपना लोकतांत्रिक अधिकार मिलता है, और न्यायपालिका की सर्वोच्चता को कमज़ोर करने का प्रयास वास्तव में लोकतंत्र को कमज़ोर करने का प्रयास है।
उन्होंने यह भी कहा कि आज के सभ्य समाज में बुलडोज़र जैसी कार्रवाई लोकतंत्र के माथे पर कलंक है। देश का कोई कानून इस बात की अनुमति नहीं देता कि केवल संदेह या आरोप के आधार पर क़ानूनी कार्रवाई के बिना किसी के घर को ध्वस्त कर दिया जाए, यह न केवल सत्ता का दुरुपयोग है बल्कि एक विशेष वर्ग को इसका निशाना बनाकर भय की राजनीति को आगे बढ़ाने का प्रयास किया गया है।
मदनी ने अंत में कहा कि आशाजनक बात यह है कि अदालत ने इस मामले की संवेदनशीलता और महत्व को समझा और जो टिप्पणी की उससे देश के सभी न्यायप्रिय लोगों के इस पक्ष को समर्थन मिल गया कि बुलडोज़र कार्रवाई से न्याय नहीं बल्कि लोगों का खून किया जाता है। बुलडोज़र मामले में सुप्रीम कोर्ट में याचिका नंबर 162/2022 (जमीयत उलमा-ए-हिंद बमकाबल यूनीयन आफ इंडिया) है।
फज़लुर्रहमान
प्रेस सचिव, जमीअत उलमा-ए-हिन्द
09891961134
Please follow and like us:
READ ALSO  भारत में दो तरह के हिंदू रहते हैं , एक मंदिर जा सकते हैं दूसरे नहीं :लोकसभा स्पीकर

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

*

five − 4 =

You may use these HTML tags and attributes: <a href="" title=""> <abbr title=""> <acronym title=""> <b> <blockquote cite=""> <cite> <code> <del datetime=""> <em> <i> <q cite=""> <s> <strike> <strong>

Scroll To Top
error

Enjoy our portal? Please spread the word :)