
अब्बा जान , चाचा जान के बाद इंतज़ार है भाईजान का , वैसे बजरंगी भाई जान मूवी तो आपने देखी होगी , और उमराओ जान भी , लेकिन क्या सीख मिली इन दोनों movies से वो ज़रूर बताना , वैसे न में movies देखता हूँ और न देखने के लिए प्रेरित करता हूँ बस यूँही जान के चलन पर क़ाफ़िया बना दिया था .जान बूझकर जान का इस्तेमाल या बेजान पड़े मुद्दों को उठाने का खेल है ये सब… ,हम और हमारे जैसे एक ज़माने से अब्बा जान और चाचा जान बोल रहे हैं कभी चर्चा नहीं हुई .और जो अब्बा जान के एहसास तक को नहीं जानते उनके एक ब्यान पर अब्बा जान छ गए , और रही सही कसर चचा जान ने निकाल दी.
हमारे बचपन में गाँव में जब सांप और बन्दर का तमाशा दिखने वाला मदारी आता था , तो अपना तमाशा दिखाने के बाद जो धमकी बच्चों को मदारी देता था वो आज बहुत याद आती है .

वो कहता था की अगर आप लोग अपने अपने घरों से अनाज , आटा वग़ैरा नहीं लाओगे तो आपके घर में ये सांप रात को आएगा , और इसी तरह कटी गर्दन का आदमी आपके आँगन में पड़ा होगा इत्यादि और हम किसी सूरत अपने घर से अनाज या आटा उस मदारी को देते थे , आजके सियासत दान भी उसी pattern पर काम करते हैं , तमाम सियासी पार्टियों के Cadres को बाक़ायदा इस बात की Training दी जाती है और कुछ जन्म सिद्ध ही जादूगर या बाज़ीगर होते हैं जैसे आजकल एक ख़ास पार्टी में तो मदारियों की अच्छी खासी भीड़ है .
खैर इस जान के क़ाफिये से सियासत में भी अच्छी ख़ासी जान पड़ती नज़र आने लगी है , AIMIM के सुप्रीमो और मुसलमानो के नेता बनने की कोशिश कर रहे असदुद्दीन ओवैसी ने हाल ही में UP के एक भाई जान की पत्नी को को अपनी पार्टी में शामिल करलिया है इसके बाद बवाल मचा हुआ है ,जिन साहिबा को AIMIM में शामिल किया गया है वो UP के डॉन की पत्नी हैं और नाम है शाइस्ता परवीन .

फूलपुर से नामवर सांसद और इलाहबाद दक्षिण सीट से SP के टिकट पर 5 बार विधयाक रहे अतीक अहमद जो कभी UP में भाई रहे हैं उनकी बीवी के AIMIM Join करने के बाद BJP ने अपने चचाजान (बक़ौल राकेश टिकैत ) और उनकी पार्टी AIMIM के के ऊपर सियासी हमलों का सिलसिला शुरू कर दिया है . जबकि पलटवार कर Barister असदुद्दीन ओवैसी ने भी BJP को आड़े हाथों लेते हुए कहा BJP में प्रज्ञा सिंह ठाकुर जैसे लोग मौजूद हैं
और UP की वर्तमान विधान सभा में 37 % BJP के MLA और भारत की वर्तमान संसद में BJP के 116 MP ‘s ऐसे हैं जिनपर संगीन आरोपों के चलते मुक़द्दमात अदालतों में चल रहेहैं जिनमें महिलाओं के साथ मुख्तलिफ क़िस्म के ज़ुल्मों से मुताल्लिक़ ज़्यादा मामले दर्ज हैं , ओवैसी ने कहा ऐसे में BJP और खुद योगी को अपने गिरेबान में झाँक कर देखना होगा .वैसे आजकी सियासत में कोई डाल डाल है तो कोई पात पात है , कम कोई नहीं है ….

UP के आगामी विधान सभा चुनावों में मुसलमान ओवैसी को अभी तक वोट कटवा ही समझ रहा है किन्तु राज्य में AIMIM की तरफ तेज़ी से बढ़ता मुसलमानो का रुझान एक तरफ कई तरह के भ्र्म पैदा कर रहा है तो दूसरी तरफ समाजवादी नेता अखिलेश की परेशानी भी बढ़ाने का काम कर रहा है . 400 सीट पर जीत दर्ज करने का दावा करने वाले अखिलेश को जहाँ एक ओर अपने बयानात और चुनावी घोषणा पत्र को बहुत सोच समझकर रखने की ज़रुरत होगी , और टिकट बंटवारा की पृकिर्या अखिलेश की सूझ बूझ का बड़ा इम्तिहान होगा और कई तीखे सवालों के जवाब देने की तैयारी के साथ मैदान में आना होगा अखिलेश भैय्या को , जिसमें मुज़फ्फर नगर जैसे मुस्लिम Massacre के दोषियों और पीड़ित परिवारों के बारे में भी सवाल किये जा सकते हैं .मुजफ्फरनगर, मथुरा, बरेली, अयोध्या और गाजियाबाद के दंगों में सबसे ज्यादा नुकसान हुआ था .उनके दौर में कुल 134 दंगों की सूची है .
जबकि समाजवादी का कहना है की ये दंगे BJP द्वारा प्रायोजित होते थे , अगर यह सही है तो फिर आरोपी भी BJP और उसकी OFFShoot संगठनों के ही होने चाहिए , लेकिन हालत इसके विपरीत रही है . अखिलेश ,मुलायम सिंह और मायावती तथा कांग्रेस के दौर में होने वाले दंगों में कितने ऐसे आरोपी जेलों में बंद हैं जिनका ताल्लुक़ BJP या उसकी OFFShoot संगठनों से है , ग़ैर भाजपाई पार्टियां इसकी सूची जारी कर अपनी बात को सच साबित करने का काम करें .
इधर अगर ओवैसी को भी ग़ैर भाजपाई पार्टियों को छोड़कर सीधे BJP की जनविरोधी और देश विरोधी योजनाओं पर वार करना होगा अन्यथा उनके ऊपर BJP की B team होने का आरोप मुस्लमान को गुमराह किये रखेगा .कुछ मफ़ाद परस्त लोग AIMIM के साथ जोड़ लेने से UP के मुस्लिम वोटर के ध्यान को AIMIM विचलित कर सकती लेकिन अपने दुश्मन को पराजित नहीं कर सकती …. . मजलिस को UP के SC , ST तथा OBC के हितों को खुलकर अपने चुनाव का हिस्सा बनाना होगा खाली मुसलमानो के हित की बात करना BJP को मज़बूत करेगा .

किसी एक समुदाय या वर्ग के हितों की बात करना यह मुल्क की संवैधानिक रूह के ख़िलाफ़ है और इस्लामिक रिवायात के भी मनाफ़ी है . अगर AIMIM का यह दावा है की हम तो सियासत में सिर्फ मुसलमानो के हितों की बात करने लिए आये हैं तो हम समझते हैं यह क़ौम परस्ती है और इस्लाम क़ौम परस्ती नहीं बल्कि इन्साफ परस्ती , मिल्लत परस्ती , इंसानियत परस्ती और तौहीद परस्ती का नाम है , इसके अलावा सब मफ़ाद परस्ती है और कुछ नहीं .UP में 5 वर्ष लगातार सत्ता भोने वाली BJP से सवाल उनके 2017 चुनावी घोषणा पात्र के परिपेक्ष में……
अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि की संदिग्ध मौत मामले में उनके शिष्य आनंद गिरी को यूपी पुलिस ने किया गिरफ्तार कर लिया है। यूपी पुलिस रात 10 बजे हरिद्वार पंहुची थी। पुलिस टीम ने डेढ़ घंटे की पूछताछ के बाद आनंद गिरी को गिरफ्तार कर अपने साथ ले गई। जानकारी के मुताबिक सहारनपुर पुलिस और एसओजी की टीम हरिद्वार पहुंची थी।

नरेंद्र गिरी की मौत के साथ ही लोगों को दो साल पहले हुए निरंजनी अखाड़े के संत आशीष गिरी की मौत की याद ताजा हो गई है. आशीष गिरी का शव निरंजनी अखाड़े में ही 17 नवम्बर 2019 को बरामद हुआ था.
आनंद गिरी और गिरी के बीच रिश्ते पिछले कुछ सालों से तल्ख रहे हैं. आनंद गिरी दिवंगत नरेंद्र गिरी के शिष्य थे. दोनों के बीच तल्खी तब चरम पर पहुंच गई थी. तब आनंद गिरी को अखाड़े से निकाल दिया था. अभी हाल में ही आनंद गिरी ने नरेंद्र गिरी से पैर छूकर माफी मांगी थी, जिसके बाद उन्हें माफ कर दिया गया था.सुसाइड नोट सामने आया है उसमें नरेंद्र गिरी ने आनंद गिरी को ही मौत का जिम्मेदार ठहराया है

बीजेपी प्रत्याशियों से किये जाने वाले सवाल
सबसे पहले राज्ये के Law and Order को लेकर सवाल
क्या राज्य में सब कुछ ठीक ठाक है ?
महिला सुरक्षा चाक चौबनद है , महिलाओं के खिलाफ कोई अपराध नहीं हुआ है ?
लघु एवं सीमांत किसानों का फसली ऋण माफी का क्या हुआ ?
क्या किसानों को ब्याज मुक्त फसली ऋण दिया गया है , अगर हाँ तो Disstrictwise सूची जारी हो
गन्ना किसानों को फसल बेचने के 14 दिनों के भीतर पूरा भुगतान सुनिश्चित किये जाने का सवाल तो होना चाहिए न ?
गरीब छात्रों की उच्च शिक्षा के लिए 500 करोड़ रुपये के बाबा साहेब आंबेडकर छात्रवृत्ति कोष का सवाल
प्रदेश में अंतर्राष्ट्रीय स्तर के 10 नए विश्वविद्यालयों की स्थापना का सवाल
प्रदेश के सभी शिक्षा मित्रों की रोजगार समस्या को सुलझाने का सवाल
सभी युवाओं को जाति और धर्म के भेदभाव के बिना मुफ्त लैपटॉप दिया जाने का सवाल
1,000 करोड़ रुपये के स्टार्ट-अप वेंचर कैपिटल फंड की स्थापना का सवाल
प्रदेश की प्रत्येक तहसील में आधुनिक कौशल विकास केंद्र की स्थापना का क्या हुआ ?
5 वर्षों में 70 लाख रोजगार एवं स्व-रोजगार के अवसर उत्पन्न कराये जाने पर सवाल तो होगा
कितने भूमिहीन कृषि मजदूरों का 2 लाख रुपये तक का बीमा मुफ्त कराया गया ?
कितने भूमिहीन कृषि मजदूरों को बैंक ऋण दिया गया ?
प्रदेश के हर ब्लॉक पर गोदाम और कोल्ड स्टोरेज की व्यवस्था के वाडे का क्या हुआ ?
क्या 3 साल में हर किसान के पास सॉइल कार्ड उपलब्ध करा दिया गया ?
क्या आवारा पशुओं से फसल को बचने की वेवस्था मुकम्मल हो चुकी है ?
क्या बीजेपी की सरकार आने पर हर खेत को पानी देने के लिए 20 हज़ार करोड़ से ‘मुख्यमंत्री कृषि सिंचाई फंड’ बना दिया गया ?।
क्या बाढ़ से बचने के लिए नदियों और बांधों की डी-सिल्टिंग का kaam करा दिया गया ?
कितने नए बांध बनाये गए ?।
5 साल पूरे होने पर क्या प्रदेश में दुग्ध क्रांति आ चुकी है
फल पट्टियों का विकास करके बागवानी को बढ़ावा दिया जा चुका है ?
जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए जैविक प्रमाणीकरण संस्था गठित कर दी गयी है ?
क्या उत्तर प्रदेश को ‘फूड पार्क राज्य’ के रूप में विकसित कर दिया गया है ?
क्या सूबे में कहीं से भी कॉल करने पर 15 मिनट में पुलिस सहायता आप तक पहुंचाई गयी ?
क्या सभी नागरिकों की बगैर किसी जाति-धर्म भेदभाव के सुरक्षा मोहय्या कराई गयी ?
पुलिस में रिक्त 1.5 लाख पदों को बगैर किसी भेदभाव के सिर्फ मेरिट के आधार पर भरा जा चुका है ?
क्या पांच साल के गुजरने के बाद राज्य में 24 घंटे बिजली का वादा बीजेपी ने पूरा कर दिखाया ?
सभी गरीब परिवारों को 100 यूनिट तक बिजली 3 रुपये प्रति यूनिट के हिसाब से दी गयी?
ये सब सवाल जनता से हमारे हैं , और ये वो सवाल हैं जिनके वादे बीजेपी ने UP में अपने चुनावी घोषणा पत्र में किये थे , अगर उपरोक्त सभी वादे सर्कार ने पूरे कर दिए हैं तो निश्चित रूप से बीजेपी को पूर्ण समर्थन मिलना ही चाहिए और अगर इनमें से 30 % वादे भी पूरे नहीं किये गए हैं तो बीजेपी को नैतिकता के आधार पर जनता के पास वोट माँगने जाने का भी का अधिकार नहीं है और यह नियम हर एक पार्टी पर लागू होता है . कांग्रेस ,CPI तथा AAP शासित प्रदेशों या केंद्र शासित प्रदेशों वाली पार्टियों से और उनके प्रत्याशियों से ये सवाल होने चाहियें जिनका उन्होंने वादा किया था अगर अगर 50 % वादे पूरे किये गए हैं तो भी consider किया जाना चाहिए अन्यथा दूसरी पार्टी को शर्तों के साथ मौक़ा दिया जाना चाहिए . देश पार्टियों या नेताओं की भापुती नहीं है बल्कि यह लोकतंत्र है , जनतंत्र है और जनता का यहाँ शासन चलना चाहिए , पार्टियों और पाखंडियों की मनमानी नहीं .