
दुनिया में 700 मिलियन से ज़्यादा इंसान रहते है , मगर कामयाब और बेहतरीन तथा मक़बूल इंसान वो हैं जो मख्लूक़ पर रेहम करने वाले और उसकी सेवा करने वाले है .और ज़ाहिर है रब की मख्लूक़ में यानी उसकी (संरचना ) में सबसे पहला सेवा का हक़ इंसान का है ,और इंसानो में माँ बाप का ,,,,,,, उसके बाद आती है आस्था…..यानी जिसमें जिसकी आस्था है वो उसकी सेवा करे

लेकिन आस्था सिर्फ ज़बान से नहीं बल्कि अमल से ज़ाहिर होनी चाहिए ,…… जो लोग गाये के साथ माता की आस्था रखते हैं तो हर हाल में गाये को माता की तरह रखना चाहिए , और उनकी सेवा के आश्रम बनाने चाहियें …………, जैसा की कुछ लोग बनाते भी हैं ,हालांकि नाग देवता में भी बेशुमार लोगों की आस्था है और चूहे में भी लेकिन इन सबका कोई आश्रम या सेवालय देखने में नहीं आया ,सेवा से ही आस्था का पता भी चलता है ….. ….

अब गाये में तो काफी लोगों की आस्था है , हालाँकि गाय किसी अवतार या देवता की सवारी कभी नहीं रही ,जबकि भगवन श्री कृष्ण ने गाये पाली है , इसका दूध मक्खन और घी को पसंद किया है , इसके अलावा यह एक सीधा सादा पशु है , गाय हमें दूध देती है , और खेती में भी मदद करती है , लेकिन सबसे ज़्यादा आस्था भी इसी पशु में है ,हालाँकि जिस समुदाय में गाय को माँ का स्थान दिया गया है उसी समुदाय के लोग बड़ी संख्या में इसका मीट भी खाते है , इसके चमड़े से बनी वस्तुओं का भी उपयोग करते है , और इसके चमड़े से बनी वस्तुओं का बड़ा व्यापार भी यही समुदाय करता है , जो इसको माँ का दर्जा देता है .यह अपने में बड़ा विरोधाभासी है .

गाये में आस्था रखने वालों को चाहिए कि वो इसमें ईमानदार रहें , चाहे वो दूध देती हो न देती हो , ……….बीमार हो या तंदुरस्त ………….खूबसूरत हो या खौफनाक , उसको हर हाल माँ का दर्जा देना चाहिए , लेकिन इस पाखंडी माहौल में ….जो शख्स जन्म देने वाली माँ के साथ ही बदसुलूकी करता हो , वो एक पशु के साथ क्या इंसाफ कर पायेगा ? आप समझ ही रहे होंगे ….बहरहाल आस्था के साथ धोखा पाखण्ड है और पाखण्ड का नतीजा सिर्फ पछतावा और त्रिलोक में सज़ा है .

एक रोज़ पन्नी खाकर पेट भरने वाली माँ जब रोड के बीचो बीच बैठ जाती है तो सड़क से गुजरने वाला दूसरा माँ का बीटा इस बेज़ुबान गाये के पैर के ऊपर से गाडी चलाकर और गाली बक कर जाते हुए आपने भी देखा होगा !!!!! पता नहीं ….. मैंने अपनी आँख से देखा और कान से सुना गाली बकते हुए
,,,,,खैर …..आस्था के साथ मज़ाक़ का यह हाल आपको हर समुदाय में मिल जाएगा , अल्लाह को अपना रब मानने वाला , अल्लाहु अकबर की आवाज़ पर मस्जिद जाने वाला अपनी मन्नतें मज़ार पर जाकर मांगता है , कितनी विडंबना और विरोधाभास है न …….महान अल्लाह को कहता है रब अल्लाह को कहता है और ज़रूरतें पूरी कराने किसी मज़ार पर हाज़री लगाता है …..वा रे पाखंडी वाह … है न अफ़सोस ,,, चलो आस्था कि बात फिर कभी ……
आज हम आपको ऐसे शख्स के बारे में बताने जा रहे हैं जो खुद एक पक्का मुसलमान है , और इलाक़े के बड़े मौलवी और इस्लामिक SCHOLAR की औलाद हैं , लेकिन जब ये सच्चे मुस्लमान की हैसियत से गायों की सेवा के लिए मैदान में उतरते हैं …… तो गाये में माता की आस्था रखने वालों के लिए एक मिसाल और चुनौती बनकर उभरते हैं , … और आवारा गायों के लिए उपलब्ध कराते हैं ,,,, सुविधजनक गोशाला ,,,जिसका नाम रखते हैं मधु सुदन .

देश और बॉलीवुड दुनिया के कई नामचीन ,, मौलवी साहब के इन साहिबज़ादे की इस खिदमत के आशिक़ होगये , और पहुंचे देखने इस गौशाला को चंदयाना ,,, बारह बस्ती , जो उत्तर प्रदेश के जिला बुलंद शहर के तहसील स्याना में स्थित है ……
अब आप तहसील स्याना जिला बुलंद शहर का नाम सुनकर चौंक गए होंगे ,,,,,,वही स्याना जहाँ शहीद सुबोध कुमार इंस्पेक्टर की कुछ गोरक्षकों ने हत्या कर दी थी …..हाँ यह वही स्याना है आप सही समझे………………. .

खैर छोड़ें , ,,,, वो उन तथाकथित गौ रक्षकों का कर्म है और ये इन मौलवी साहब के साहिबज़ादे का अमल ,,,, जो अपने बच्चों की तरह गाये के बच्चों को गोद में लेकर पालने की आस्था रखते हैं ,,,,,,और कहते हैं हमें हमारा मज़हब सीखाता है की तमाम मख्लूक़ पर रेहम करना है और ईमान के साथ उनकी सेवा हमारे मोक्ष या जहन्नुम से आज़ादी का माध्यम है ,
…………अब आप भी धर्म से बताये की कौन सच्चा रक्षक है ???? वो पाखंडी जो गौ रक्षा के नाम पर इंसानों का क़त्ल , लूट मार तथा मवेशियों की तस्करी और उनके मीट की सप्लाई का नाजाइज़ कारोबार करते हैं या ये मियाँ जी जो नमाज़ के बाद टोपी लगाए इन गायों की सेवा में अपना सौभाग्य महसूस करते हैं . आपको बता दें यह गोशाला इनका कारोबार हरगिज़ नहीं है ,,, बल्कि इस गोशाला पर 2 से ढाई लाख रुपया खर्च करते हैं , ये मियां जी

अब ये मियां जी हैं कौन ????? आइये हम बताते हैं आपको इन मियां जी गो सेवक के बारे में ,,,,,,,,,इनका नाम है …. ज़ुबैदुर्रहमान खान उर्फ़ बब्बन मियां इनके वालिद मोहतरम का नाम है मरहूम सईद अहमद खान , सईद के मानी खुद नेक और शरीफ के होते हैं और वास्तव में मरहूम इस्म बा मुसम्मा थे , यानी बब्बन मियां के वालिद मरहूम बेहद शरीफ स्वाभाव वाले इंसान थे .
………….. बब्बन मियां बचपन से निहायत शरीफ , दयालु , दीनदार , और कृपालु स्वभाव तथा खिदमत गुज़ार तबीयत के रहे हैं ……और इनका प्रशिक्षण , इनकी तरबियत भी इनके माता पिता ने बहुत उम्दा की है . बब्बन मियां का स्वभाव बहुत सरल और सादा है ,ग़रीब परवर और मिलनसार आजज़ी , इन्केसारी इनका गहना है .इलाक़े में लोग इनको भी गाये की तरह प्यार करते हैं ,,,,,,,,,,,,,,,

बब्बन मियां की मधुसूदन गोशाला इलाक़े के लिए बिलकुल नया CONCEPT है ,, और शायद इसीलिए ,, यह बब्बन मियां और इलाक़े की पहचान का ज़रिया बनी है , टाइम्स ऑफ़ पीडिया GROUP भी बब्बन मियां के इस अज़्म , होंसले और इरादे को सलाम करता है और उनको इस सेवा के लिए मुबारकबाद पेश करता है जिसकी हिम्मत क्षेत्र के बड़े बड़े गोरक्षक नहीं जुटा पाए थे .

बब्बन मियां की गौशाला और हमारा प्रोग्राम केसा लगा ??? कमेंट में लिख भेजिएगा….. और हाँ चैनल को SUBSCRIBE तथा शेयर भी करदे ताकि ऐसी कोशिशें कुछ गोरक्षक भी कर सकें …