
भारत में बिहार बंगाल का चुनाव अपने आप में देश की राजनितिक पार्टियों और जनता के लिए अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव के समान ही है , किन्तु भारत के प्रधानमंत्री और अमेरिका के राष्ट्रपति के समर्थकों और भक्तों के बीच एक बड़ा फ़र्क़ देखने को मिला जो .
PM मोदी के 2014 के अच्छे दिन और सबका साथ सबका विकास के नारे के झूठा साबित होने के बाद 2019 चुनाव के आते आते उनकी लोकप्रियता में विपक्ष को भारी गिरावट का अनुमान था किन्तु वो नहीं दिखाई दिया . बल्कि 2019 का लोकसभा चुनाव एक बार फिर मोदी के star प्रचारक के रूप में ही जीता गया .
अमेरिकी चुनाव पर बात करने से पहले राष्ट्रपति ट्रम्प के द्वारा अपने कार्यकाल में बोले गए झूट पर सरसरी नज़र डाल लेते हैं , याद रहे हिंदुस्तान की बड़ी जनता ट्रम्प को मोदी के दोस्त के रूप में ही पहचानती है , उनके US के राष्ट्रपति होने से देश की जनता को कोई लेना देना नहीं है .फरवरी – मार्च में नमस्ते ट्रम्प Event ने US President को भारत में एक पहचान दी थी ठीक उसी तरह जिस प्रकार How DE Modi Event ने Pm नरेंद्र दामोदास मोदी को US में एक नई पहचान दी थी .
Facts Finding के दौरान WAshington POst अख़बार की एक रिपोर्ट सामने आई जिसके अनुसार Donald trump ने 20 जनवरी 2017 से 27 Aug 2020 तक यानी लगभग 41 महीनों में 22 ,247 मर्तबा झूट बोला है . ट्रम्प को शायद इस बात का आभास भी नहीं होगा की २०२० में उनके वोटों की गिनती के वक़्त उनके झूट की गिनती का भी शुमार किया जाएगा . ऐसा ही Data भारत में भी ट्रम्प के क़रीबी दोस्त का भी शायद कोई तैयार कर रहा होगा या नहीं हमें नहीं पता , ज़ाहिर है दोस्ती के लिए विचारों में समानता होना ज़रूरी होता है .
हालाँकि नेकी और बदी या अच्छाई और बुराई की गिनती के सामने आने का दिन अभी हम सबको देखना बाक़ी है .
अमरीका और दुनिया की तारिख में भी यह पहली बार हुआ जब ट्रम्प की प्रेस कांफ्रेंस के दौरान कई पत्रकार बाहर आ गये और वो ट्रम्प द्वारा दिए गए बयानों के सच की पड़ताल करने लगे , क्या ट्रम्प सच बोल रहे हैं या फिर यह भी झूट है , आखिर वही हुआ जिसका इन पत्रकारों को अंदेशा था की ट्रम्प अपनी विजय का जिन States से ऐलान कर रहे थे वहां अभी वोटों की गिनती चल रही थी जो लगभग मध्य में ही थी
अमेरिका की नौजवान पीढ़ी ने केवल 4 वर्षों में ही President Trump की नीयत और झूठ की राजनीती को समझकर बिना वक़्त गंवाए फैसला किया कि हमारी आपको नमस्ते .मोदी और ट्रम्प के बीच भले समानताएं पाई जाती हों किन्तु दोनों लोकतांत्रिक देशों की जनता में अपने भविष्य को लेकर भारी अंतर बना हुआ है .आगामी चुनाव में देश की जनता जाओ जी मोदी का स्लोगन लाएगी या आओ जी मोदी का किन्तु अमेरिका में HowdeModi अब नहीं होगा यह तै है .
अमेरिका के इस बार के चुनाव की कई ख़ास बातों में से एक बात यह रही की वहां की 18 से 30 वर्ष की पीढ़ी ने जिसको हम नौजवान कहते हैं सही वक़्त पर फैसला लेकर अमेरिका और नई नस्ल के भविष्य को सामने रखकर फैसला लिया .
वहां के चुनाव में नस्ल और रंग परस्ती का ज़हर तो रहता है जो चुनाव से कुछ दिन पहले ही जॉर्ज फ्लॉयड की मौत के बाद देखने को मिला . किन्तु इसके बावजूद धर्म के नाम पर दीवानगी और मूर्खता नहीं है , जबकि भारत में धार्मिक नारों और आस्थाओं के नाम पर ध्रुवीकरण हमेशा से आम बात रही है . इसी लिए सबसे ज़्यादा पढ़ा लिखा नौजवान भारत का ही बेरोज़गार है जिसने crime दंगा और लूट मार को अपना प्रोफेशन,,,, मजबूरन बना लिया है . और यह भारत की राजनितिक पार्टियों को सूट भी करता है .
हालाँकि अगर सच्चे धर्म पर देश और दुनिया की अवाम चले तो दुनिया अम्न व् शान्ति , प्यार और सहयोग के साथ विकास की चोटियों पर पहुँच सकती है , क्योंकि धर्म नज़रयाती इख़्तेलाफ़ (वैचारिक मतभेद) तो दे सकता है किन्तु अन्याय , झूट और ज़ुल्म की इजाज़त नहीं देता , इंसानो में समानता , और धरती पर अम्न की बात करता है .
जबकि यह भी सही है ,दुनिया में धार्मिक विचारों के विरोधाभास के चलते कई बड़े युद्ध भी हो चुके हैं , मगर अम्न का रास्ता भी धर्म ही से निकलता है , इससे भी इंकार नहीं किया जा सकता .
अब सीधा रुख करते हैं अमेरिकी चुनाव के नतीजों की तरफ
डेमोक्रैटिक पार्टी से राष्ट्रपति के उम्मीदवार के लिए कोशिश कर चुके बर्नी सैंडर्स ने एक वीडियो संदेश जारी किया है जो बहुत अहम है , इसके बारे में अक्सर राष्ट्रीय या अंतर्राष्ट्रीय मीडिया में कोई चर्चा नहीं है जबकि हम आपको इसका खुलासा कर रहे हैं … जिसमें उन्होंने ‘बाइडन की जीत के बारे में कुछ तथ्यों के साथ खुलासा किया है
बर्नी सैंडर्स ने अपने twiter Handle पर लिखा है, “हम जानते हैं कि संघर्ष अभी ख़त्म नहीं हुआ. संघर्ष अब शुरू हुआ है.” उन्होंने खुलासा किया , बाइडन क़रीब 50 लाख वोटों के मार्जिन से यह चुनाव जीत जाएंगे .
अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव जीतने के लिए 270 इलेक्टोरल कॉलेज वोट्स की ज़रूरत होती है जबकि ताज़ा समाचार मिलने तक बाइडन को 50.6% के मार्जिन से 264 सीटों पर बढ़त हासिल हो चुकी है , इसके विरुद्ध डोनाल्ड ट्रम्प को 47.7% के मार्जिन से 214 सीटें मिल चुकी हैं .
बर्नी सैंडर्स ने कहा, “यह चुनाव सिर्फ़ बाइडन और डोनाल्ड ट्रंप के बीच का चुनाव नहीं था. बल्कि यह चुनाव इससे कहीं ज़्यादा गंभीर था. यह लोकतंत्र को बचाने का चुनाव था और देश में क़ानून-व्यवस्था को बनाए रखने का चुनाव था.” यानी बरनी सेंडर्स ने साफ़ कहा कि डोनाल्ड ट्रम्प का दौर अराजकता , नस्ल परस्ती और नफरत भरा दौर था जिसको यहाँ की जनता ने नकार दिया .
उन्होंने कहा, “बाइडन की जीत में अमेरिकी युवाओं का बड़ा योगदान है. उन्हें घरों से वोटिंग सेंटर्स तक लाना एक चुनौती थी. क़रीब 53 प्रतिशत युवा (18 से 29 साल के) वोटर्स ने इस चुनाव में वोट किया जो 2016 के चुनाव से तो ज़्यादा है ही, बल्कि अमेरिका के इतिहास में भी सबसे अधिक है.”