नवा-ए-तिब्बो-सेहत और लोधी रिसाले का विमोचन
आयुष मंत्रालय की स्थापना भारत सरकार का सराहनीय कदम :प्रोफेसर मुश्ताक अहमद
नई दिल्ली।ऑल इंडिया यूनानी तिब्बी कांग्रेस की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक नई दिल्ली के जामिया नगर स्थित तस्मिया ऑडिटोरियम में प्रोफेसर मुश्ताक अहमद की अध्यक्षता में हुई।
25 प्रांतों की रिपोर्ट में पश्चिम बंगाल में यूनानी चिकित्सा पद्धति की स्थिति बहुत खराब पाई गई।पश्चिम बंगाल सरकार ने 2010 में सरकारी यूनानी मेडिकल कॉलेज की स्थापना की घोषणा की थी लेकिन इसे लागू नहीं किया गया।
इसी तरह, 1998 के बाद पश्चिम बंगाल में न तो यूनानी मेडिकल ऑफिसर की नियुक्ति की गई और न ही कोई नई यूनानी डिस्पेंसरी स्थापित की गई।
बैठक में कहा गया कि दिल्ली सरकार के लिए यह जरूरी है कि वह केंद्रीय आयुष मंत्रालय की रौशनी में तिब्बी यूनानी को बढ़ावा देने के लिए योजना बनाए क्योंकि राजधानी दिल्ली भारत के सभी प्रांतों के लिए मिसाली हैसियत रखता है।
यहाँ आयुष विभाग में डिप्टी डाइरेक्टर यूनानी की नियुक्ति अभी तक नहीं हो पाई है और न ही दिल्ली आयुष विभाग ने यूनानी चिकित्सा को आगे बढ़ाने के लिए कोई ठोस कदम उठाया हैं।जबकि आयुर्वेद को बढ़ावा देने लिए कई कार्य किए गए हैं, इस के आलावा उन्नति के कार्य किए जा रहे हैं।
अपने अध्यक्षीय भाषण में प्रोफेसर मुश्ताक अहमद ने केंद्रीय आयुष मंत्रालय की स्थापना को भारत सरकार का एक बड़ा और सराहनीय कदम बताया।
उन्होंने सभी राज्यों की सरकारों से अपील की , वे आयुर्वेद की तरह यूनानी चिकित्सा पद्धति को विकसित करने के लिए अपने प्रांत में स्थापित आयुष विभाग में डिप्टी डायरेक्टर लेवल के अधिकारी की नियुक्ति सुनिश्चित करें।
तिब्बी कांग्रेस के तकनीकी विंग की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ. एसजीवी सत्या ने आयुष के निजी चिकित्सकों की समस्याओं का जिक्र करते हुए कहा कि इनमें से बमुश्किल दो प्रतिशत ही सरकारी सेवा में हैं.
जबकि 98 प्रतिशत निजी चिकित्सकों की समस्याओं पर विशेष ध्यान देने की सख्त जरूरत है। उन्होंने कहा कि आमतौर पर एनसीआईएसएम द्वारा जारी आदेशों के प्रति प्रांतीय सरकारों का रवैया संतोषजनक नहीं होता है और हमेशा असमंजस की स्थिति बनी रहती है।
आयुष चिकित्सकों का पंजीकरण शुल्क प्रत्येक प्रांत में अलग-अलग है और इसकी अवधि भी कई प्रांतों में एक वर्ष ही है, जबकि प्रैक्टिस में यह अवधि 5 वर्ष होनी चाहिए।
इस अवसर पर दिल्ली की जानी-मानी हस्ती डॉ. सैयद फारूक ने यूनानी चिकित्सकों को संबोधित करते हुए गुणवत्तापूर्ण दवाओं के अधिक से अधिक उपयोग पर जोर दिया और चिकित्सा नैतिकता के सिद्धांतों का सख्ती से पालन करने की सलाह दी।
बैठक को प्रो. मुहम्मद इदरीस (पूर्व प्रधानाचार्य, ए एंड यू तिब्बिया कॉलेज, नई दिल्ली), प्रो. एसएम आरिफ जैदी (पूर्व डीन यूनानी, जामिया हमदर्द, नई दिल्ली) डॉ. लईक अली खान, डॉ. अब्दुसलाम फलाही, डॉ. सुलेमान खान, डॉ. कमरुद्दीन जाकिर, डॉ. शकील अहमद, डॉ. अब्दुसलाम खान, डॉ. इलियास मजहर हुसैन, डॉ. तैय्यब अंजुम, डॉ. मुहम्मद अरशद गयास, डॉ. ऐजाज़ अली कादरी, हकीम रशादुल इस्लाम, डॉ. अनवर जमाल, डॉ. मुफ्ती जावेद अनवर ने भी संबोधित किया।
डॉ. सैयद अहमद खान (महासचिव, ऑल इंडिया यूनानी तिब्बी कांग्रेस)ने बैठक का संचालन किया और प्रांतीय रिपोर्ट का सारांश प्रस्तुत किया।
बैठक के प्रमुख प्रतिभागियों में एडवोकेट शाह जबी काजी, डॉ. शाहनाज परवीन, डॉ. जकीउद्दीन, डॉ. एहसान अहमद सिद्दीकी, डॉ. फैजान अहमद सिद्दीकी, डॉ. मुहम्मद आरिफ सैफी, डॉ. फहीम मलिक, डॉ. शकील अहमद हपुड़ी, डॉ. आसिफ मलिक, हकीम आफताब आलम, डॉ. राज कुमार, डॉ. नासिर अली चौधरी, डॉ. खुर्शीद आलम, डॉ. मुहम्मद अकरम, डॉ. अल्ताफ अहमद, हकीम नईम रजा, हकीम यासिर, डॉ. अतहर महमूद, डॉ. उजैर बकाई, डॉ. मिर्जा आसिफ बेग, हकीम मजाहिर नासिर, डॉ.सबात अहमद त्यागी, डॉ. मुहम्मद काशिफ, डॉ. मुहम्मद यूनुस उस्मानी, हकीम मुहम्मद मुर्तजा देहलवी, मुहम्मद ओवैस, डॉ. मुहम्मद आफताब जिया लोधी, निलोफर शाइस्ता, डॉ. अब्दुल मजीद, डॉ. काशिफ सिद्दीकी, डॉ. अहमद राणा, डॉ. राशिद हुसैन, डॉ. शमसुद्दीन आज़ाद, डॉ. फरमान अली और मुहम्मद इमरान कन्नौजी, आदि मौजूद थे।
इस अवसर पर नवा-ए-तिब्बो-सेहत (इलाहाबाद) के 34वें वर्ष के खुसूसी शिमारा और लोधी रिसाला 10 (नागपुर) का भी विमोचन किया गया।
बैठक के अंत में प्रोफेसर मुहम्मद असलम (नई दिल्ली), डॉ. शफीक अहमद अंसारी (मुंबई), हकीम मौलाना अब्दुल रज़्ज़ाक़ क़ासमी (अहमदाबाद), हकीम शबाबुद्दीन(सदर दवाखाना, दिल्ली) के पिछले महीनों में इंतक़ाल पर ग़म का इज़हार किया गया और खिराजे अक़ीदत पेश किया गया साथ ही मरहमीन की मग़फ़िरत की दुआ की गई ।
Please follow and like us: