Ali Aadil Khan
Editor’s Desk
ऐसी लंका पहली बार लगी …..कौव्वा कान लिए जा रहा , तो हम भी अपने कान देख लें
इस अवसर पर मोदी जी का एक वक्तव्य याद आगया ,वो जनता को सम्बोधित करते हुए कह रहे थे ” कौव्वा किसी का कान लिए जा रहा था अब लोग उसके पीछे भाग रहे थे कौव्वा मेरा कान लेगया , अरे भाई कौव्वे के पीछे भागने से पहले अपना कान देख लो , है की नहीं ?
श्रीलंका की अवाम की लंका लगाने वाले राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे ने जिस चीन के कहने पर जनता से बड़े बड़े वादे किये थे आज वो चीन संकट की घड़ी में ग़ायब है ,जनता से किये गए चुनावी वादे सब छलावा साबित हुए देश को बर्बाद कर दिया . जनता सड़कों पर और देश क़र्ज़े में ,मंहगाई चरम पर . 20 से 25 हज़ार कमाने वाला अपने परिवार को दिन भर में एक वक़्त का खाना मुश्किल से जुटा पा रहा हैं .वैसे ऐसे चुनावी वाडे हमारे यहाँ भी होते ही रहते हैं , मगर…….
आप जानते हैं , देश का राजस्व बढ़ाने के लिए सरकार आम इस्तेमाल में आने वाली चीज़ों पर टैक्स लगाती है , या टैक्स और बढ़ाती है , जिसको आज GST के नाम से आप समझ सकते हैं , और ये टैक्स दुनिया के और देशों में भी होता है , लेकिन तभी तक जब तक देश का उपभोक्ता इसकी मार को झेल सकता है. उसके बाद जनता सड़कों पर आ ही जाती है .जैसा की कई देशों में देखा गया .मलेशिया में जब GST का बोझ जनता नहीं झेल पाई तो सरकार ने GST हटा दिया , और यही Best Policy होती है , सरकार ने अपने मंत्रियों के खर्चे कम कर दिए .सब कुछ वक़्त रहते ठीक होगया .
अब भारत में लगातार पेट्रोल , डीज़ल और रसोई गैस के अलावा रोज़मर्रा में इस्तेमाल होने वाली चीज़ों , खाद्यान्न , cooking oil इत्यादि में लगातार बढ़ते दामों से देश की जनता कब तक खामोश रहेगी शायद इसका अनुमान सरकार के पास होगा , हम तो इतना जानते हैं देशहित में 200 रूपये लीटर पेट्रोल खरीदने की भक्ति करने वाले के पेट में जिस दिन रोटी नहीं होगी उसी दिन बोल उठेगा पहले पेट पूजा बाद में काम दूजा . याद रहे मोदी सरकार 80 करोड़ से ज्यादा परिवारों के लिए पीएम गरीब कल्याण अन्न योजना के नाम से फ्री राशन की स्कीम चला रही है .यानी यह इस बात का सुबूत है कि देश में पहले से ही लगभग 60 % ग़रीबी है .
विश्वास जीतने और देश को बेचने का इत्तिफ़ाक़ सिर्फ लंका में ही नहीं बल्कि भारत में भी हाल कुछ वैसा ही है , फ़र्क़ यह है अपना भारत आयात पर निर्भर नहीं है , अपने पास Natural Resources यानी प्राकृतिक संसाधन सक्षम मात्रा में मौजूद हैं .यह अलग बात है सरकार उनको कुछ निजी कंपनियों को सौंप रही है ताकि देश में साम्राजयवाद और पूँजीवाद का वर्चस्व क़ायम रखा जा सके .यानी देश की जनता को निजी कंपनियों का मोहताज बनाया जा सके , और IMPERIALISM का यही System , New World Order के साथ New India बनाने का रास्ता भी आसान करेगा .
भारत में कॉर्पोरेट टैक्स कम किया गया ,यही काम लंका में भी किया गया , लंका में चाय की खेती को Organic करने का क़ानून रातों रात लागू किया गया .जबकि श्रीलंका की अर्थ वयवस्था इसी खेती पर निर्भर है , उसी पर चोट करदी गयी .अचानक निर्यात के घटने से विदेशी मुद्रा समाप्त होगई .कुछ इसी तरह के फ़ैसले भारत में भी लिए गए , जैसे नोटबंदी , GST तथा 4 घंटे के नोटिस पर पूरे देश में एक साथ Lockdown , यहाँ भी एक बार को जनता की कमर तोड़ दी गयी थी .
श्री लंका का आर्थिक संकट भले वहां की जनता की चिंता का विषय हो , लेकिन यह भारत जैसे कई दुसरे देशों के लिए सवाल तो ज़रूर खड़े करता है और चिंता भी . जनवरी 2022 में श्रीलंका के केंद्रीय बैंक ‘सेंट्रल बैंक ऑफ़ श्रीलंका’ ने अपने पास रखे आधे से अधिक गोल्ड रिज़र्व को बेच दिया था . ‘द संडे टाइम्स’ ने 8 जनवरी को अपनी एक रिपोर्ट में लिखा है गोल्ड रिज़र्व का 54.1% प्रतिशत हिस्सा विदेशी मुद्रा भंडार को मज़बूती देने के लिए इस्तेमाल हो चुका है.महज़ तीन साल पहले श्रीलंका के पास 7.5 बिलियन डॉलर का विदेशी मुद्रा भंडार था जो आज घटकर ऐतिहासिक न्यूनतम स्तर यानी 1.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँच गया .
“दूसरी तरफ अगर भारत की बात करें तो सितंबर 2018 में आरबीआई द्वारा जारी की गई रिपोर्ट के अनुसार मौजूदा समय में भारत के पास 586.44 टन सोना है जिसमें से 294.14 टन सोना विदेशी बैकों में रखा हुआ है.आरबीआई के अनुसार इसे गिरवी रखा हुआ सोना नहीं कहा जा सकता.जबकि नवनीत चतुर्वेदी इसको गिरवी रखा गया ही बताते हैं .
नवनीत ने अपने ब्लॉग में RTI की जो कॉपी शेयर की है, उसके अनुसार रिज़र्व बैंक ने यह सूचना दी थी कि भारत का 268.01 टन सोना ‘बैंक ऑफ़ इंग्लैंड’ और ‘बैंक ऑफ़ इंटरनेशनल सेटलमेंट्स’ की सेफ़ कस्टडी में है” .Source बीबीसी हिंदी 4 मई 2019
अब यह Safe Custody क्या है इसको भी समझना होगा .RBI की custody में अगर कोई मुद्रा या सोना रखा है तो क्या वो safe नहीं है ? अगर सरकारी सोना या मुद्रा safe नहीं है तो फिर जनता के जान माल की सुरक्षा की ज़िम्मेदारी कैसे सुनिश्चित की जा सकती है ?
फिलहाल श्री लंका सरकार के पास स्कूलों में परीक्षा कराने के लिए पेपर और स्याही इंपोर्ट करने तक का पैसा नहीं है। देश में परीक्षाओं को ताल दिया गया है . देश की दुर्दशा की निशानियां जगह-जगह मिल रही हैं। निवेश का सूखा है। नौकरियां खत्म हो रही हैं। कर्ज गले तक चढ़ा है।”कौव्वा कान लिए जा रहा है हम अपने कान देख लें” …मोदी जी का फ़रमान ,,,, हमारे ऊपर ऐसा कोई आर्थिक संकट आने वाला नहीं है क्योंकि जिस देश में 100 करोड़ रोज़ाना बैंक घोटाला होता हो उस देश पर आर्थिक संकट का शायद आरोप ही होसकता है …..और यह 100 करोड़ रोज़ 7 सालों से होरहा है यानी 1 अप्रैल 2015 से 31 दिसंबर 2021 तक 2 .5 लाख करोड़ का बैंक घोटाला हो चूका है …यह डाटा हमारा नहीं RBI का है …जी 2014 में ही मोदी सरकार आई थी आपने सही सोचा ……सवाल यह है की क्या Online Banking से पहले भी ये Fraud मुमकिन थे या नहीं , बैंकों में यह पैसा आम जनता का ही होगा ,अब उनको मिला या नहीं फिलहाल इसका समाचार नहीं .लेकिन लंका की जो लंका राष्ट्रपति राजपक्षे ब्रदर्स ने लगाई है उसके बाद राजपक्षे ब्रदर्स को सत्ता में रहने का नैतिक अधिकार भी नहीं रहा है .