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Air Pollution : किसने रची मोदी के ख़िलाफ़ साज़िश

Air Pollution : किसने रची मोदी के ख़िलाफ़ साज़िश

Ali Aadil Khan Editor’s Desk

शुभ दीपावली………………….लेकिन Oxygen cylender

Air Pollution : दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने सोमवार को आरोप लगाया कि दिवाली की रात राष्ट्रीय राजधानी में जलाए गए पटाखे BJP शासित प्रदेश हरियाणा और उत्तर प्रदेश से लाए गए थे।उन्होंने यह भी कहा की पुलिस तो सभी राज्यों की अमित शाह के कण्ट्रोल में है

मुन्सिफ़ हो अगर तुम तो कब इंसाफ़ करोगे!
मुजरिम हैं अगर ये , तो सज़ा क्यूँ नहीं देते  !!

सवाल उठाये जा रहे हैं कि जमातियों को कोरोना फैलाने का ज़िम्मेदार ठहराने वाली केजरीवाल सरकार दीवाली पर Pollution फैलाने वालों के खिलाफ कार्रवाई से क्यों बचना चाहती है . मगर AAP ऐसी फँसी हुई है कि अपने मंत्रियों और नेताओं की ज़मानत पर लगे या pollution फैलाने वालों के ख़िलाफ़ FIR करवाए…

दीपावली पर आतिशबाजी और पटाखों पर मुकम्मल पाबंदी के बावजूद राजधानी दिल्ली का AQI यानी हवा का प्रदुषण इंडेक्स Deadly हो गया .क्या सरकार इस जुर्म के लिए मुजरिमों को सज़ा देगी  जिन्होंने लाखों देशवासियों को मौत के मुँह तक पहुंचा दिया हो.

हालांकि पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक़ दिल्ली पुलिस ने दिवाली की रात पटाखों पर प्रतिबंध के उल्लंघन के लिए 40 मामले दर्ज किए हैं । जो एक औपचारिकता भर है . और सोशल मीडिया का प्रेशर इतना था कि कुछ करना पड़ा .. यह कार्रवाई दीपावली कि रात को होती तो जनता का भला होता .

Central pollution Control Board यानी CPCB के आंकड़ों के अनुसार, दिल्ली में पिछले साल दिवाली पर एक्यूआई 312, 2021 में 382, 2020 में 414, 2019 में 337, 2018 में 281, 2017 में 319 और 2016 में 431 दर्ज किया गया था। जो इस बार 990 तक पहुँच गया

दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने सोमवार को आरोप लगाया कि दिवाली की रात राष्ट्रीय राजधानी में जलाए गए पटाखे BJP शासित प्रदेश हरियाणा और उत्तर प्रदेश से लाए गए थे।उन्होंने यह भी कहा की पुलिस तो सभी राज्यों की अमित शाह के कण्ट्रोल में है फिर दिल्ली तक यह पटाखे कैसे पहुंचे ? इसकी अनदेखी क्यों की गयी.

गोपाल राये की राय तो सही है किन्तु यहाँ लोग यह भी सवाल कर रहे हैं कि Covid Pendemic में जमातियों को कोरोना फैलाने का ज़िम्मेदार ठहराने वाली केजरीवाल सर्कार दीवाली पर pollution फैलाने वालों के खिलाफ कार्रवाई से क्यों बच रही है और इस नाकामी का ठींकरा बीजेपी पर क्यों फोड़ रही है ?

जनता के दिमाग़ से कोर्ट के आदेशों का खौफ या महत्त्व पहली बार कब और क्यों निकला . दरअसल स्वतंत्रता संग्राम के दौरान अँगरेज़ अदालतों के आदेशों का स्वतंत्रता सैनानी कोई सम्मान नहीं करते थे . और यह सरकारों के अपमान और NON COPERATION MOVEMENT का प्रतीक हुआ करता है .

NON COPERATION के ज़रिये सरकारों को जनता द्वारा यह बताने की कोशिश होती है की हमारे ऊपर तुम्हारे क़ानूनों का कोई असर नहीं होता . हमको जब जो करना होगा करेंगे . …..दुसरे अलफ़ाज़ में कह सकते हैं  के ये बाग़ी तेवर हुआ करते हैं . दीपावली पर पटाखे फोड़कर लाखों लोगों को मौत के मुंह तक पहुंचाने और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अव्हेवलना करके भी क्या यही बताना मक़सद था ? या मोदी सर्कार को बदनाम करने की कोई साज़िश थी ? कुछ भी हो लेकिन भुगतना तो जनता को ही पड़ेगा ….

देश का वो वर्ग जिसपर कोई क़ानून लागू नहीं होता

यूँ तो आज़ादी के बाद हर सरकार में सत्तापक्ष के मुंह चढ़े लोग हुआ करते हैं मगर वो कुछ लोग हुआ करते थे .लेकिन आज एक पूरा वर्ग है जिसपर कोई क़ानून लागू नहीं होता . वो जब जिसको…. जो चाहें बक दें .घरों को लूट लें , रास्ते में जनता को रोक कर उनकी गाड़ियां चेक करें . सामान को लूट लें . लिंचिंग करें घर और दुकानें जलाएं . किसी को शहर छोड़ने पर मजबूर करें . किसी समुदाय के total Bycott का Drive चलाएं . किसी के साथ कुछ भी करें ,,,,, कोई पुलिस ,,कोई क़ानून ,,कोई IPC या CrPC की धाराएं उनपर नहीं लगती .

देश के ख़ास समुदाय को वो कहने पर मजबूर किया जाए जो वो नहीं कहना चाहते . एक समुदाय से वो नारे लगवाए जाएँ जिसका देश की सम्प्रभुता , एकता अखंडता और देश प्रेम से कोई लेना देना नहीं . और मज़ीद सितम यह कि इसको सत्ता में बैठे लोग यह कहकर सही ठहराएं कि जिसकी सत्ता होती है उसी समुदाय के हित और मतलब की बात हुआ करती है . तो अब इसके बाद लोकतंत्र , संविधान और मानवता की बातें करने वालों के पास कहने को कुछ नहीं बचता ….सिवाए इसके की देश को रवांडा या हिटलर का जर्मन बनने का इंतज़ार किया जाए .जिसके बनने तक देश खंडहर और वीराने में तब्दील हो जाएगा . हालाँकि सत्तापक्ष के कई नेता इन हालात से दुखी हैं और दबे अल्फ़ाज़ में इसकी निंदा भी करते हैं , मगर उनका कोई प्रभाव नहीं है .रब हमारे देश की हिफाज़त फ़रमाये…..

अपने खून से सींचा है,चमन को इस्लाफ़ ने!!
हमें किसी पे भी अब कोई ए’तिबार नहीं    !!!!!

भक्ति का सुख भोगने वाले जो सिर्फ 4 से 5 % हैं उनको खुल्ला छोड़ दिया गया है . आज इसी छोटे से वर्ग ने देश की 75 % सभ्य और भोली जनता को इस बात के लिए प्रोत्साहित किया की वो क़ानून की कोई परवाह न करें क्योंकि सरकार उनकी है . . उसी वर्ग ने दिल्ली में दीवाली के पटाखों पर मुकम्मल अदालती पाबंदी के बावजूद पिछले वर्षों से कहीं ज़्यादा आतिशबाज़ी करवाकर यह बता दिया की उनपर  कोई क़ानून लागू नहीं  होता . उनको जुर्म करने से कोई पुलिस या दूसरी एजेंसी नहीं रोक सकती . लेकिन सवाल यह है के इस प्रकार का माहौल देश को विश्व गुरु बनाएगा ? जिस देश में क़ानून की धज्जियाँ उड़ाए जाने का Example set होरहा हो उसको कौन अपना गुरु और आइडियल बनाएगा ? अब ज़िम्मेदारी आपकी है कि देश का मान सम्मान बढ़ाने और अमन , शांति , विकास , इन्साफ , शिक्षा और स्वास्थ्य की बहाली के लिए कोनसे भारत का निर्माण चाहते हैं . जय हिन्द !!!!

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