प्रेस विज्ञप्ति
ऑल इंडिया एजुकेशनल मूवमेंट (AIEM) की जानिब से ख़िराजे अक़ीदत (श्रद्धांजलि) सभा का आयोजन
नई दिल्ली/ऑल इंडिया एजुकेशनल मूवमेंट(एआईईएम) ने मूवमेंट के सचिव अब्दुल रशीद अगवान को श्रद्धांजलि देने के लिए कल एक शोक सभा आयोजित की। जिसकी शुरुआत तिलावत क़ुरआन से हुई
मरहूम अब्दुल रशीद अगवान के इंतक़ाल के बाद मुल्क के कई हिस्सों में जगह जगह उनके चाहने वालों की जानिब से शोक सभाओं का आयोजन किया जा रहा है . यक़ीनन मरहूम की शख़्सियत इसी की अहल है की उनको नेकी के हर काम के लिए याद किया जाना चाहिए .
इस सभा की अध्यक्षता डॉ. सैयद फारूक ने की। ऑल इंडिया एजुकेशनल मूवमेंट (AIEM) के महासचिव अब्दुल रशीद ने इस मौके पर कहा कि अब्दुल रशीद अगवान हमारे बीच एक थिंक टैंक की तरह थे।
Abdul Rasheed Agwan
उन्होंने कई किताबें लिखीं, जिनमें “इस्लाम इन द ट्वेंटी-फर्स्ट सेंचुरी” मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के दिवंगत उपाध्यक्ष कल्ब सादिक द्वारा विमोचन किया गया था। वह एआईईएम के शैक्षिक कॉन्फ्रेंस में प्रमुख भूमिका निभाते थे और इसके लिए एक पेपर लिखते थे।
एआईईएम के अध्यक्ष ख्वाजा शाहिद ने कहा कि अब्दुल रशीद अगवान साहब के व्यक्तित्व के कई पहलू हमारे सामने आते हैं, वह शिक्षा के साथ-साथ अकादमिक शोध के क्षेत्र में भी सक्रिय थे। उन्होंने अयोध्या मुद्दे को लेकर तथ्यों पर आधारित एक किताब भी लिखी है और हमारी अगली शैक्षणिक कॉन्फ्रेंस में शिक्षा के क्षेत्र में मुसलमानों के बलिदान पर एक पेपर लिखने वाले थे।
एआईईएम सचिव ममदोहा माजिद ने कहा कि वह कई गैर सरकारी संगठनों से जुड़े हुये थे और सामाजिक सुधार और सामाजिक सेवाओं में अग्रणी थे। डॉ. हलीमा सादिया ने कहा कि उन्हें अगवान साहब के साथ शिक्षा और अनुसंधान पर लगभग बीस वर्षों तक काम करने का मौक़ा मिला और उन्होंने हमेशा मरहूम को मददगार पाया।
‘वॉलिंटियर्स ऑफ़ चेंज’ की ओर से आज़म गांधी ने सामाजिक, राष्ट्रीय और सुधार क्षेत्रों में उनकी सेवाओं को याद किया, विशेष रूप से क्रिसेंट चेरीटेबल ट्रस्ट के माध्यम से, जिससे उन्होंने टीबी रोगियों के इलाज में मदद की।
जमात-ए-इस्लामी के इनामुर रहमान ने कहा कि मरहूम अब्दुल रशीद साहब व्यावहारिक कार्रवाई में विश्वास करते थे और ‘मिल्ली मॉडल स्कूल’ की स्थापना में उनका बड़ा हाथ था। मुज़फ्फर हुसैन ग़ज़ाली ने कहा कि वह 25 साल से अधिक समय से अगवान साहब के साथ हैं।
उन्होंने सामाजिक, शैक्षिक और धार्मिक क्षेत्रों में महत्वपूर्ण कार्य किये . मरहूम ने वस्तुनिष्ठ अध्ययन संस्थान की स्थापना में प्रमुख भूमिका निभाई। वह इन्साफ पसंद और जरूरतमंदों के समर्थक थे।
एआईईएम के सक्रिय सदस्य असलम अहमद एडवोकेट ने कहा कि उनकी अगवान साहब से शैक्षणिक विषयों पर चर्चा होती थी और वे कठिन सवालों का भी मुस्कुराकर जवाब देते थे। वरिष्ठ पत्रकार मंसूर आगा ने अगवान साहब को आकर्षक व्यक्तित्व वाला बताया।
वह कुरान से जुड़े हुए थे और उन्होंने अल्लाह की खुशी के लिए काम किया। उनका जीवन अल्लाह के प्रति प्रेम, ईमानदारी और विश्वास से भरा था।
शोक सभा को आख़िर में डॉ. सैयद फ़ारूक़ ने संबोधित किया। उन्होंने संक्षेप में अगवान साहब की खूबियां बताईं और कहा कि आख़िर इंसान ही मसजूद मलाईक हैं, उन्होंने इस बात पर संतोष जताया कि उनके बच्चे आख़री वक़्त में उनके साथ थे.
बैठक में डॉ. इदरीस कुरेशी, मुहम्मद आजम और मुहम्मद फारूक ने भी अपने विचार व्यक्त किये। बैठक में डॉ. इलियास सैफी, रईस अहमद एडवोकेट, एजाज गोरी और वालंटियर्स ऑफ चेंज के सदस्य भी शामिल हुए। खिराजे अक़ीदत (श्रद्धांजलि ) सभा मरहूम के लिए मग़फ़िरत और दरजात की बुलंदी की दुआ के साथ मुकम्मल हुई।