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अब रफ़ेल पर भी मुसलमानो का …

Editor Times of Pedia

आखिर दुनिया के बड़े चर्चित सौदे रफेल की पहली खैप अम्बाला एयर फोर्स हवाई अड्डे पर उतर गई।जिस समय ये रफेल लडाकू 5 जहाज़ों का पेहला क़ाफ्ला हिन्द की सर ज़मीन अम्बाला पर उतर रहा था उस वक़्त भारत वासियों का सीना गौरव से फूल रहा था, आज हम भी सहिबे रफ़ेल हॉगए ।

इस दृश्य में एक खास बात यह थी कि इस क़फिले का रफेल लडाकू जहाज़ का pilot कश्मीरी मुस्लमान हिलाल अहमद था। हिलाल अहमद को एयर फोर्स में सेवाओं के दौरान कई सम्मानजनक पुरस्कार मिल चुजे हें ।कर्गिल में पकिस्तान के खिलाफ़ भारत की सीमाओं की रक्षा का भी गौरव प्राप्त है अहमद को ।

Air Commandor हिलाल अहमद वर्तमान में ,,,, फ्रांस के लिए भारत के एयर अटैच हैं, अहमद ने इस जहाज़ को भारत के वातावरण और भौगोलिक हिसाब से डिज़ाइन कराने में कंपनी की मदद की है ।

रिपोर्ट्स के अनुसार हिलाल अहमद ने राफेल की शुरुआती डिलीवरी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है , यानी उनको पहले लड़ाकू राफेल जेट जथ्थे के सफलता पूर्वक भारत पहुँचने में मुख्य भुमिका निभाने के हिसाब से जोड़कर,,,,, देखा जा रहा है।

राफेल लड़ाकू विमानों के लिए पायलटों का प्रशिक्षण लेने वाले भारतीय वायु सेना (IAF) के उच्च पदस्थ कश्मीरी अधिकारी उड़ी में हमले के बाद पाकिस्तान में आतंकी लॉन्च पैड के खिलाफ 2016 की सर्जिकल स्ट्राइक का भी हिस्सा रहे हैं।

वायु सेना के सूत्रों ने बताय कि अहमद एक योग्य उड़ान प्रशिक्षक हैं ….और वह 2013 और 2016 से भारतीय वायु सेना के सक्रिय पश्चिमी कमान में लड़ाकू अभियानों के निदेशक होने के साथ ही सभी लड़ाकू विमानों के तैयार होने और प्रशिक्षण में भी सीधे तौर पर शामिल रहे हैं।

विंग कमांडर की सफलता के सफर में मिग 21, मिराज -2000, और किरण जैसे विमानों पर 3000 घंटे से अधिक की दुर्घटना-मुक्त उड़ान , वर्ष 2010 में विंग कमांडर के रूप में बेहतरीन सेवा कार्यों के लिए उन्हें ,,,,वायु सेना पदक का मिलना भी शामिल है .

आपको बता दें हिलाल के वालिद मोहम्मद अब्दुल्ला राथर भी जम्मू और कश्मीर में भारतीय सेना की इन्फेंट्री का हिस्सा थे. उन्होंने वर्ष 1962 में लद्दाख में चीन के खिलाफ युद्ध लड़ा था और एक पिकेट को फतह किया. इस पिकेट को फिर राथर पिकेट नाम दे दिया गया, हालाँकि अब्दुल्लाह पिकेट नाम रखने की भी मांग की गयी थी .

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बताया गया है कि उनके पिता का सपना था कि हिलाल भारतीय वायुसेना में अफसर बने. उनकी मां ने हिलाल के जन्म से एक दिन पहले ही ईद के चांद का खुआब देखा था . भारत के इस महान , बहादुर और होनहार सपूत के जन्म के बाद उनके वालिद ने उनका नाम हिलाल ही रखा.हिलाल का मतलब चांद होता है. बताया गया की उनके वालिद मोहम्मद अब्दुल्ला राथर हिलाल की तरह जोश और रौशनी से भरपूर थे .बेटे की इस सफलता पर वालिद की ख़ुशी आज आप और हम सिर्फ महसूस कर सकते हैं .

हिलाल अहमद को sword of Honour से भी सम्मानित किया जा चुका है । कश्मीरी एयर फोर्स पायलट अहमद भारत के पहले राफेल लडाकू विमान के पायलट बन गए हें। जहां भरत में पहली तोप बनाने वाला टीपू सुलतान मुसलमान, पहली मिसाईल बनाने वाला APJ अबुल कलाम मुसलमान, और भारत में फ्रांस से रफेल लडाकू विमान को भारत की सर ज़मीन पर उतारने का गौरव भी मुसलमान ही को प्राप्त हुआ । इसके अलावा देश के सम्मान और गौरव को बढाने वाले सैंकडों ऐसे मुसलमानो के नाम हैं जिनको एक साज़िश के तहत भुला दिया गया है , जो अपने आप में दुखद है ।

सवाल यह पैदा होता है कि हिलाल अहमद के बारे में इतनी चर्चा क्यों? इसकी वजह जो हमारी समझ में आई है वो यह है की हमारे देश में राष्ट्रवाद , और सच्चे देश भक्त की परिभाषा का साम्प्रदायिकरण हो रहा है ।भारत के बहु संख्यक तो हेयह ही प्रतिभाशाली , लेकिन ज़ाहिर है जब कोई अल्पसंख्यक समुदाय से किसी प्रतिभा का दर्शन कराये तो उसको सराहना ही चाहिए , ताकि उसका और उसके समाज का मनोबल बढ़ सके , जो देश की मज़बूती क लिए ज़रूरी है .जब देश का एक ख़ास वर्ग तथा मेडी ग्रुप लगातार अल्पसंख्यक समुदाय के खिलाफ Propeganda करने में मसरूफ है ऐसे में देश हित में एक ऐसे वर्ग की भी ज़रुरत है जो हिलाल अहमद जैसे प्रतिभाशाली भारतियों की होंसला अफ़ज़ाई करने वाले हों .इसी से कश्मीरियत ज़िंदा होगी .

आपको याद होगा ,भरत के लिये न सिर्फ नुमायाँ कारनामे अंजाम देने बल्कि देश की अज़ादी से लेकर और सर्हदों की हिफाज़त तक मुसलमान एक ईमानदार नागरिक की हैसियत से अपनी भुमिका निभाते रहे हें, बल्कि उससे पहले मुगल दौर में भारत की सीमाओं के विस्तार और अखंड भारत के निर्माण में मुसलमान ने ही तारीख रची थी , जो बदक़िस्मती से मिटाई ही नहीं जा रही बल्कि हक़ीक़त के खिलाफ लिखी और पढ़ाई जा रही है ।

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मुग़ल दौर का नक़्शा

अब भारत की नई शिक्षा नीति के तहत किन किन सच्चाईयों को मिटाकर मनघड़त कहानियाँ लिखी जायेंगी, अन्धविश्वास और बे सर पैर की कहानियाँ गढ़ी जायेंगी, और नई नस्ल को नफरत के बॉम्ब बनाये जायेंगे, रब ही जाने , खुदा करे की हमारा यह गुमान गलत हो, और हमारा प्यारा देश वापस अखंड भारत बन जाए।जिसकी उम्मीद ज़रा कम है .क्योंकि अब जो Chronology इस्तेमाल की जा रही वो देश को तोड़ने की है , जोड़ने की नहीं .यानी किसी को नागरिकता देने तो किसी से छीनने की … ग्रह मंत्री खुद कई बार कह चुके हैं हम नया इतिहास लिखेंगे , वो लिखा जा रहा है .उन्ही के शब्दों में

“”इतिहास के पुनर्लेखन की बात पर जोर देते हुये केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 16 Oct 2019 को बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में आयोजित संगोष्ठी में कहा था कि “हमें अंग्रेज इतिहासकारों और वामपंथियों को दोष देना बंद करना चाहिए और सत्य पर आधारित इतिहास लिखना चाहिए. उन्होंने सावरकर के लेखन का उदाहरण देते हुए कहा कि अगर वीर सावरकर न होते तो 1857 की क्रांति इतिहास न बनती और उसको भी हम अंग्रेजों की दृष्टि से ही देखते. (अब इस वक्तव्य में कितनी सच्चाई है आप अच्छी तरह जानते हैं )

The Union Home Minister, Shri Amit Shah addressing a seminar: Guptvanshak Veer: Skandagupta Vikramaditya, at Banaras Hindu University (BHU), Varanasi on October 17, 2019.

अमित शाह ने कहा अब समय आया है ,, हिन्दुस्थान के इतिहासकारों को एक नए दृष्टिकोण के साथ इतिहास को लिखने का.’ उन्होंने कहा, ‘मैं अब भी कहता हूं कि पहले जिसने लिखा है उसके साथ विवाद में न पड़ो, उन्होंने जो लिखा है वह लिखा है. हम अपने हिसाब से ,,,सत्य को बताने का काम करें.अमित शाह ने कहा , मैं मानता हूं कि अब जो लिखा जायेगा वह सत्य होगा और लंबा भी चलेगा. उस दिशा में हमें आगे बढ़ना होगा.’ अब इस संकल्प के साथ ये तो आगे बढ़ रहे हैं और देश को पीछे ले जा रहे हैं ,, ऐसा है की नहीं ???? यह भी आप ही तय करें .TOP Bureau

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