कौनसा भारत बनाया जा रहा , क्या वापस साम्राज्य्वादी शक्तियों की मर्ज़ी का भारत बनाने का षड्यंत्र चल रहा है ? अगर अँगरेज़ क़ानून से दुश्मनी है तो अंग्रेज़ों के बनाये कौन कौन से क़ानून हैं जो आज भी देश में लागू हैं
असम सीएम हिमंत बिस्व सरमा ने कहा कि ‘2 घंटे के जुमा ब्रेक को खत्म करके, असम विधानसभा ने उत्पादकता को प्राथमिकता दी है और औपनिवेशिक बोझ (Colonial burden) की एक और निशानी को हटा दिया है। इस प्रथा को मुस्लिम लीग के सैयद सादुल्ला ने 1937 में अँगरेज़ दौर में शुरू किया था।’
एक बार फिर बड़ी क़ुदरती आफ़त आने वाली है होशियार !!!
असम की हिमंत बिस्व सरमा सरकार ने राज्य विधानसभा के कर्मचारियों को दो घंटे के लिए दिए जाने वाले जुमा ब्रेक को खत्म करने का फैसला किया है। असम के मुख्यमंत्री ने सोशल मीडिया पर साझा पोस्ट में लिखा कि “2 घंटे के जुमा ब्रेक को खत्म करके, असम विधानसभा ने उत्पादकता को प्राथमिकता दी है और औपनिवेशिक बोझ यानी Colonial burden की एक और निशानी को हटा दिया है।”
जब सूफी संतो ,ऋषि मुनियों और पीर पैग़म्बरों की धरती भारत में परमपिता परमेश्वर की उपासना और भक्ति को औपनिवेशक बोझ या Colonial Burden या आसान ज़बान में कहें तो अँगरेज़ की ग़ुलामी कहा जाने लगे तो अब इंतज़ार करो प्राकृतिक आपदाओं का , प्रलय और महा प्रलय का .
धार्मिक ग्रंथों में लिखा है कि जब धरती पर भलाई का हुक्म और बुराइयों को ख़त्म करने वाले लोग न रहें या इसका सिलसिला ख़त्म होजाये तो धरती पर किसी बड़े अज़ाब का इंतज़ार करो . जिस तरह से देश और दुनिया में ज़ुल्म , बर्बरता , ना इंसाफ़ी , अधर्म और लादिनियत फैलाई जा रही है और उसको रोकने वाले कम हो रहे हैं .
ऐसे में अब एक बार फिर बड़े प्रलय के आने का ख़तरा बढ़ गया है . एक बार फिर बड़ी क़ुदरती आफ़त आने वाली है होशियार होजायें !!!
क्योंकि जिस देश या राज्य के हुक्मरान लोभ , मोह और सत्ता के नशे में चूर घमंडी ,,,,फ़िरोनियत और रब की ना फ़रमानी पर उतर आएं तो वहां विनाश को बड़ी बड़ी ताक़तें भी नहीं रोक सकतीं .
विडंबना यह कि इस लादीनि (अधर्मी ) या फ़िरोनी फ़रमान को ‘मील का पत्थर’ कहा जा रहा है . हाँ यह सही है ऐसा क़दम विनाश की यात्रा का मील का पत्थर हो सकता है . क्योंकि इसी फिरौनि सोच और घमंडी लादीनि सोच ने मिस्र की अवाम को दरिया में ग़र्क़ करा दिया था .
और वो क़ौम इस अधर्मी हाकिम को इस विनाशकारी अमल से रोकती भी न थी . बल्कि आजके अंधभक्तों की तरह उसकी वाहवाई में लगी रहती थी.
जुमा ब्रेक खत्म करने के आसाम सरकार के फैसले पर असम के मंत्री पीयूष हजारिका ने ट्वीट कर लिखा कि ‘असम में सच्ची धर्मनिरपेक्षता को फिर से हासिल करने के लिए यह फैसला एक मील का पत्थर है। असम विधानसभा ने आज हर शुक्रवार को जुम्मा की नमाज के लिए 2 घंटे के ब्रेक की प्रथा को समाप्त कर दिया है। यह प्रथा औपनिवेशिक असम में सादुल्ला की मुस्लिम लीग सरकार द्वारा शुरू की गई थी।’
प्रभु की भक्ति के लिए तय किये गए वक़्त को ब्रिटिश कालीन नियम बताकर समाप्त करने का फैसला किया गया है। आपको बता दें सोमवार से गुरुवार तक असम विधानसभा का समय सुबह साढ़े नौ बजे से शुरू होता है लेकिन शुक्रवार को यह सुबह नौ बजे से शुरू होता है ताकि नमाज के लिए दो घंटे का ब्रेक दिया जा सके। ऐसे में अब हर रोज विधानसभा की कार्यवाही सुबह साढ़े नौ बजे शुरू करने का फैसला लिया गया है।
आपको बता दें अंग्रेजों ने भारत पर लगभग 200 सालों के शासन के दौरान इस देश को अपनी सहूलत के हिसाब से चलाने के लिए कई कानून बनाये| इन सभी कानूनों का मकसद सिर्फ भारत से संसाधनों को लूटने और इस लूट को रोकने के लिए उत्पन्न होने वाले विद्रोहों को दबाने के उपाय किये गए थे | ऐसे ही कई अनैतिक और स्वार्थ से भरे कानूनों को आज भी भारत में Continue किया गया है , जैसे …..
बाएं हाथ की यातायात व्यवस्था:
यह व्यवस्था भारत में अंग्रेजों ने 1800 के दशक में शुरू की थी| इस व्यवस्था के तहत हम आज भी सड़क पर बाएं हाथ पर गाड़ियाँ चलाते हैं और पैदल चलते हैं जबकि पूरी दुनिया के 90 % देशों में दाएं हाथ पर चलने की व्यवस्था है|
बाएं हाथ की यातायात व्यवस्था भारत सहित दुनिया के कुछ गिने चुने देशों में ही लागू है| याद रहे अमेरिका और सभी प्रगतिशील देशों में वाहन दाएं हाथ पर चलते हैं और गाड़ी की स्टीयरिंग बाएं हाथ पर होती है | भारत में आज भी ब्रिटेन काल की तरह ही बाएं हाथ की यातायात व्यवस्था लागू है |इसको आसाम में क्यों खत्म नहीं किया गया?
गाँधी जी द्वारा अँगरेज़ हुकूमत के ख़िलाफ़ चलाया गया नमक आंदोलन तो आपको याद ही होगा . लेकिन स्वतंत्र भारत में आज भी नमक पर tax लगा हुआ है .नमक पर लगने वाले Tax को 1978 की साल्ट जांच समिति ने ख़त्म करने की सिफ़ारिश की थी लेकिन आज तक इस पर कोई निर्णय नहीं लिया गया है|
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि भारत में नमक का 92% उत्पादन निजी कंपनियों द्वारा किया जाता है | तो अँगरेज़ के इस tax क़ानून को आसाम सर्कार ने क्यों ख़त्म नहीं किया ??
भारतीय पुलिस अधिनियम-1861 (Indian Police Act , 1861):
भारतीय पुलिस अधिनियम,1861 को अंग्रेजों ने 1857 के विद्रोह या आजादी की पहली लड़ाई के बाद बनाया था| इस कानून या उस जैसे सभी क़ानून को पास करने की पीछे उनका मुख्य उदेश्य एक ऐसी वेवस्था की स्थापना करना था जो कि सरकार के ख़िलाफ़ किसी भी विद्रोह को निर्ममता से कुचलने के काम आ सके|
इस एक्ट के अंतर्गत सारी शक्तियां राज्य के हाथ में केन्द्रित थी जो कि एक तानाशाह सरकार की तरह काम करता था | लेकिन अफ़सोस की बात यह है कि आज भारत एक संप्रभु गणराज्य है लेकिन भारत के ज्यादातर राज्यों में अंग्रेज़ों का यह कानून आज भी लागू है |
हालांकि महाराष्ट्र, गुजरात, केरल और दिल्ली जैसे कुछ राज्यों ने अपने स्वयं के पुलिस अधिनियम पारित कर लिए हैं लेकिन इनका अधिनियम भी भारतीय पुलिस अधिनियम,1861 के आस पास ही घूमता नज़र आता है|
पुलिस अधिनियम, 1861 में राज्य सरकार अर्थात राजनीतिक कार्यपालिका के हाथों में पुलिस को रखा गया है जिसमें पुलिस के प्रमुख (महानिदेशक/महानिरीक्षक) मुख्यमंत्री के हिसाब से ही कार्य कर सकते हैं |
अर्थात इनको कभी भी इनके पदों से हटाया जा सकता है , स्थान्तरित किया जा सकता है और कोई कारण भी नहीं बताना पड़ता है| क्या हेमंत बिस्वा की आसाम सरकार इस क़ानून को भी ख़त्म करने की हिम्मत जुटाएगी ?
आयकर अधिनियम 1961 (Income Tax Act , 1961) की बात करें तो यह भी British time के आयकर अधिनियम के आधार पर ही भारत में लगाया जाता है .जो कि कर को लगाने, वसूल करने, और कर ढांचे के बारे में दिशा निर्देशों को जारी करता है|
हालांकि सरकार ने “प्रत्यक्ष कर संहिता” लाकर इस कर (आयकर अधिनियम,1961) के साथ-साथ संपत्ति कर अधिनियम, 1957 (Wealth Tax Act, 1957) को भी हटाने का मन बना लिया था लेकिन संपत्ति कर के हटने के बाद विचार बदल दिया गया .
इस आयकर अधिनियम1961 की धारा 13A काफी चर्चित रहा है | यह अधिनियम सभी राजनीतिक दलों की आय पर कर लगाने की बात करता है साथ ही जो भी पार्टी रु.10000/व्यक्ति से अधिक का चंदा लेती है उसको अपनी आय का स्रोत बताना होगा |
लेकिन पार्टियाँ कहतीं है कि उन्हें जितना भी चंदा मिला है वह सभी रु.10000 से कम का ही था इसलिये उन्हें अपनी आय का स्रोत बताना जरूरी नही है | क्या हेमंत बिस्वा की आसाम सरकार इस क़ानून को भी ख़त्म करने की हिम्मत जुटाएगी ?
ऐसे में जुमे के दिन lunch टाइम को 30 मिनट्स कम करके सिवाए वोटों के धुर्वीकरण के और कोई दूसरा लाभ होने वाला नहीं है . और इसका कोई वाजिब जवाब भी हिमंत बिस्व सरमा के पास नहीं है . और हेमंत बिस्वा की सरकार के हर काम पर नज़र रखी जानी चाहिए के कौन कौन से नए क़ानूनों से क्या लाभ और हानि होरही है??
असम सरकार ने उत्पादकता को प्राथमिकता देने के लिए यह फ़ैसला लिया तो कितनी उत्पादकता बढ़ी इस फ़ैसले के बाद ?? यह काम आसाम के विपक्षी दलों और वहां की लोकल मीडिया को करना होगा . और इसके परिणामों की रिपोर्ट सार्वजानिक करके देश की जनता को बताना होगा .
कौनसा भारत बनाया जा रहा , क्या वापस सम्रज्य्वादी शक्तियों की मर्ज़ी का भारत बनाने का षड्यंत्र चल रहा है ? अगर अँगरेज़ क़ानून से दुश्मनी है तो देश से वो सब क़ानून और प्रथाएं ख़त्म की जाएँ जो हमारी संस्कृति और जनता विरोधी हैं .
लेकिन सच्चाई यह है के पूरे विश्व और भारत में आज साम्राज्य्वादी , पूंजीवादी और तानाशाह वाली विचारधारा यानी अँगरेज़ और यहूदी सोच वाला राज है जो दुनिया के लगभग 90 % इंसानों की ज़िंदगी के हर शोबे में खून की तरह रच बस गया है .
कौन कौन से क़ानूनों की आड़ में धुर्वीकरण करोगे और देश को नफरत की आग में झोंकोगे ऐ लोभियो , स्वार्थियों ,सत्ता और कुर्सी के पुजारियों और वोट के भिखारियों , बाज़ आजाओ इस शैतानी फितरत से वर्ण एक बार फिर जब क़ुदरत का केहर बरसेगा तो बचोगे तुम भी नहीं .