
लव जिहाह का सबसे पहला मामला केरल की अखिला अशोकन का सामने आया था , अखिला ने दिसंबर 2016 को मुस्लिम शख्स शफीन से निकाह किया था .
तभी से नफरत की सियासत करने वालों को इसका काफी लाभ मिला ,और इस तरह यह सफ़ल तजुर्बा रहा .
जो लड़का या लड़की अपनी मर्ज़ी से शादी करने का सपना रखते होंगे उनको शायद इस क़ानून से आपत्ति ज़रूर होगी .
यानी प्यार पवित्र है तो आपको काफी दिक़्क़तों का सामना करना होसकता है और अगर सिर्फ मस्ती वाला प्यार है तो वो करते रहो , ज़ाहिर है उसमें मज़हबी या सामाजिक ज़िम्मेदारी नहीं होगी .इससे पता चलता है कि देश की एक ख़ास विचारधारा को देश के सामाजिक और धार्मिक ताने बाने और सांप्रदायिक सौहार्द से परेशानी है , यानी वो विचारधारा देश में अब सौहार्द , सांप्रदायिक एकता और गंगा जमनी तहज़ीब जैसे शब्दों को सुन्ना नहीं चाहती.
देश की एक ख़ास विचार धारा को नफ़रत , सांप्रदायिक मतभेद , मज़हबी और जातीय दूरियां रखना ही सूट करता है जिसके आधार पर सत्ता की कुर्सी तक पहुंचना काफी आसान और सहज है , इसमें कोई तालीम , मेहनत , जवाबदेही या योग्यता की ज़रुरत नहीं है . बस धार्मिक भावनाओं को भड़काऊ , फूट डालो राज पाट खुद मिल जाएगा .
याद रहे कि उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश, 2020 यानी लव जिहाद विरोधी क़ानून को मंजूरी दे दी है। उत्तर प्रदेश मंत्रिमंडल ने 24 नवंबर को इस अध्यादेश को मंजूरी दी थी, जिसके तहत विधि विरुद्ध धर्म परिवर्तन को गैर-जमानती और संज्ञेय अपराध बना दिया गया है साथ ही इसमें 10 साल तक की कैद का और विभिन्न श्रेणियों के तहत अधिकतम 50 हजार रुपये जुर्माने का प्रावधान है।
यहाँ हल्का सा इशारा उत्तर प्रदेश विशेष सुरक्षा बल (UPSSF) की शक्तियों का भी करदेते हैं ,चूंकि उपरोक्त सभी अध्यादेशों के अमल में इसका इस्तेमाल होगा , यह किसके लिए और कब होगा आप सहज ही सकझते हैं .
किसी भी case के इन्वेस्टीगेशन या पड़ताल के दौरान गिरफ़्तारी करने के लिए, इस विशेष बल यानि (UPSSF) को किसी मजिस्ट्रेट के आदेश या वारंट की आवश्यकता नहीं होगी. यानी विशेष परिस्थितियों में बल को बिना वारंट , गिरफ्तार करने की Power होगी।
इन विशेष परिस्थितियों में बल का कोई सदस्य किसी मजिस्ट्रेट के आदेश के बिना तथा किसी वारंट के बिना ऐसे किसी व्यक्ति को गिरफ्तार कर सकता है या तो संदिग्ध है या जो सरकार की जन विरोधी योजना के विरुद्ध सवाल उठाये उसको ज़बरदस्ती परेशान किया जा सके या धमकाया जा सके .
UPSSF को दी गयी ये शक्तियां राज्य सरकार द्वारा बनाए गए नए नियमों के द्वारा शासित होंगी.अतिरिक्त मुख्य सचिव अवनीश अवस्थी के अनुसार, “UPSSF को राज्य पुलिस के DGP से मंजूरी मिली है. इस बल को मेट्रो रेल, हवाई अड्डों, औद्योगिक संस्थानों, अदालतों, धार्मिक स्थानों, बैंकों वित्तीय संस्थाए और अन्य स्थानों कि सुरक्षा के लिए तैनात किया जाएगा.”
लेकिन यहाँ एक सवाल यह पैदा होता है की क्या पहले से मौजूद State Police , NIA , ATS , Special Cell या Anti Corruption Cell के पास कुछ कम Powers थीं ?अगर हाँ तो उन्हीं को ये सब शक्तियां क्यों नहीं दी गईं जो UPSSF को दी गयी हैं , बल्कि इसका कोई और काम होगा जो रफ्ता रफ्ता आपके सामने आएगा , और बहुत से देशवासी इसके दुष्परिणाम या दुरूपयोग से परिचित भी हैं .
अंतरसामुदायिक विवाह
निम्न आंकड़ों का स्रोत नेशनल फैमली हेल्थ सर्वे है और हमने इसका Credit हिंदी हिंदुस्तान को देते हैं
देश के ज्यादातर लोग अपने धर्म और जाति में ही विवाह करते हैं। समय बीतने के साथ अंतरजातीय विवाह के मामले बढ़े हैं, लेकिन अंतरधार्मिक विवाह के मामले में यह स्थिति नहीं है।
2.5 फीसदी जोड़ो ने अपने धर्म से बाहर की शादी
13 फीसदी जोड़ों ने अंतरजातीय विवाह किया
1.6 फीसदी हिंदू पुरुषों ने दूसरे धर्म की महिलाओं से की शादी
4.6 फीसदी मुस्लिम पुरुषों ने दूसरे धर्म की महिलाओं से की शादी
15.8 फीसदी ईसाई पुरषों ने दूसरे धर्म की महिलाओं से विवाह किया
चार्ट-१
अंतरधार्मिक विवाह के मुकाबले अंतरजातीय शादियां अधिक
पुरुष की उम्र (साल में) | अंतरधार्मिक विवाह (प्रतिशत में) | अंतरजातीय विवाह (प्रतिशत में)
20-24 | 2.33 | 14.07
25-29 | 3.03 | 12.74
30-34 | 2.43 | 14.08
35-39 | 2.31 | 12.85
40-44 | 2.88 | 13.27
45-49 | 2.17 | 12.16
50-54 | 2.63 | 12.05
चार्ट-२
गरीबों के मुकाबले आर्थिक रूप से संपन्न वर्ग में अंतरधार्मिक विवाह अधिक
आर्थिक वर्ग | अंतरधार्मिक विवाह (प्रतिशत में) | अंतरजातीय विवाह(प्रतिशत)
सर्वाधिक 20 फीसदी गरीब | 1.97 | 13.26
गरीब | 2.23 | 13.07
मध्यम आय वर्ग | 2.27 | 13.24
संपन्न | 2.85 | 14.54
बहुत संपन्न | 3.21 | 11.04
उपरोक्त जानकारी हमने अपने पाठकों को इसलिए उपलब्ध कराई है ताकि वो ये समझ सकें कि इस प्रकार के क़ानून और अध्यादेशों तथा special security Forces से जनता का कोई लाभ होने वाला नहीं है , इन सबका लाभ सत्ता धारी पार्टियां अपने सियासी लाभ के लिए उठाती हैं . जनसमर्थक नीतियां वो होती हैं जिनमें जनता को मूलभूत सुविधाएँ उपलब्ध हों , साथ ही उनको सामाजिक सुरक्षा भी मोहय्या कराई जाए .
इसके विपरीत देश में धार्मिक उन्माद है , देश की जनता को मंदिर मस्जिद शमशान क़ब्रस्तान हिंदुस्तान पाकिस्तान खालिस्तान और लव जिहाद ,तीन तलाक़ , पुलवामा और बालाकोट जैसे मुद्दों की तरफ ज़बरदस्ती आकर्षित करके उसका सियासी लाभ उठाया जाना इंतहाई शर्मनाक और कायरता का प्रतीक है और अपने फ़र्ज़ के प्रति लापरवाह होने का सुबूत है .
2014 तक भारत 84 हज़ार करोड़ का क़र्ज़दार था , आज 162 लाख करोड़ का क़र्ज़दार है , देश का किसान और अवाम बिजली और बीज के क़र्ज़े माफ़ कराने के लिए आत्महत्याएं कर रहा है और सियासी पार्टिया एक विधायक को 20 से 40 करोड़ की खरीद में व्यस्त हैं .वायनाड , (केरला) और बनारस (UP ) की जनता को संसद भवन और मंत्रियों के आवास तथा दफ्तरों के सोन्द्रीकरण से कोई लाभ होने वाला नहीं है .
बीसियों हज़ार करोड़ की लागत से संसद भवन के नवनिर्माण से देश की आम जनता का कोई लाभ नहीं होगा , बल्कि देश की गरीब अवाम के अमीर और ढोंगी सेवक को एक शहंशाह वाले ऐशों का एहसास कराना मक़सद है ताकि एक बार जिसको इसकी लत लग जाए वो फिर सत्ता और कुर्सी के नशे में जनता की जान माल , इज़्ज़त आबरू और उनके नाम की सुविधाओं का सौदा करने से पीछे न हटे , ठीक इसी तरह जैसे चरस और शराब का आदी अपने बीवी बच्चों के कपडे तक बेच डालता है ,बल्कि उनके शरीर के अंग बेच देता है .यही हाल आज हमारे सियासी रहनुमाओं का है , इन्हीं में चंद ऐसे भी हैं जो अपने फ़र्ज़ को ईमानदारी से पूरा करना चाहते हैं .
ऐसे में लव जिहाद क़ानून , उत्तर प्रदेश स्पेशल सिक्योरिटी फ़ोर्स का गठन और शहरों के नाम बदले जाना , CAA , NRC तथा किसान बिल जैसे क़ानून ये सब जनता की मूल भूत सुविधाओं के अभाव से जनता के ज़ेहन को भटकाना और अपनी नाकामियों पर पर्दा डालने से ज़्यादा कुछ नहीं है .चोरी , भ्रष्टाचार ,नफ़रत , रहज़नी,क़त्ल ,गबन , लूट , रेप ,अत्याचार और अन्याय अपने चरम पर है और क़ानून लव जिहाद तथा तीन तलाक़ और नागरिकता पर बन रहे हैं , वाह क्या योजना है विकास की ……..
रहा बिजली , पानी , सड़क , स्कूल तथा राशन सम्बन्धी कुछ योजनाओं पर ऊँट के मुंह में ज़ीरे जैसा काम तो यह जनता पर एहसान नहीं बल्कि इसी को देखने और करने के लिए जनता ने आपको सेवक की ज़िम्मेदारी दी है जिसमें से 15 % काम हमारे नेता और पार्टियां कर पाती हैं .
दुखीराम और दुखयारी के ब्याह के कारज का सामान इकठ्ठा करने के लिए बिचौलिया हर बार पैसा मांग के लेजात हैं ,देखते ही देखते दोनों युगल 75 वर्ष के बुढ़ापे को पहुँच गए अभी तक सगाई भी न भई .ब्याह और बच्चेन का तो नंबर कद आबेगो , राम ही जाने .पर इस बीच एक काम बढया हाग्यो बिचौलयान की पाँचों ऊँगली घी में खूब तर हे गईं .