
यह कहना गलत नहीं होगा की जब भी कांग्रेस सरकार ने नगर निगम चुनाव के नियम में बदलाव किया तब कांग्रेस की निगम चुनाव में जीत हुई !
राज्य सरकार ने जयपुर जोधपुर कोटा मैं परिसीमन कर एक नगर निगम क्षेत्र को दो अलग-अलग नगर निगम बनाया, इससे पूर्व मैं भी तत्कालीन कॉन्ग्रेस सरकार ने महापौर का चुनाव वार्ड पार्षदों से नहीं करवा कर सीधे जनता के मतदान से करवाया, इन दोनों बदलावों से कांग्रेस को फायदा हुआ और बड़ी जीत मिली !

इस बार का नगर निगम चुनाव कांग्रेस के लिए खासकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के लिए खास था और उनके लिए एक बड़ी चुनौती भी था, चुनौती इसलिए क्योंकि इसी वर्ष गहलोत और उनकी सरकार पर अनदेखी करने और कमजोर नेतृत्व का आरोप लगाते हुए राजस्थान प्रदेश कांग्रेश कमेटी के तत्कालीन अध्यक्ष सचिन पायलट कुछ विधायकों को लेकर नाराज होकर चले गए थे, पायलट की नाराजगी के कारण प्रदेश में भाजपा ने अपनी सरकार बनाने की मुहिम ऑपरेशन कमल के रूप में शुरू कर दी थी.
लेकिन अशोक गहलोत के कुशल नेतृत्व और कुशल रणनीति के कारण भा ज पा और सचिन पायलट दोनों अपनी अपनी योजनाओं में कामयाब नहीं हो पाए, इसके बाद यह पहला बड़ा चुनाव था जिसमें अशोक गहलोत पास हुए और उन कयासों पर शायद विराम लगा जो यह कहते सुनाई देते थे कि राजस्थान में कांग्रेस की सरकार अकेले पायलट की दम पर बनी थी और प्रदेश में सचिन पायलट ही दमदार नेता है जबकि इस नगर निगम चुनाव में सचिन पायलट कहीं नजर नहीं आए वह मध्य प्रदेश और बिहार चुनाव में कैंपेनिंग करते नजर आए !
यह चुनाव अशोक गहलोत और स्वायत्त शासन मंत्री शांति धारीवाल के कुशल नेतृत्व और रणनीति के कारण कांग्रेस ने जीता, कैसे क्योंकि गहलोत और धारीवाल ने पहली बार निगम चुनाव में जमीनी कार्यकर्ताओं को पार्टी का टिकट दिया ऐसे कार्यकर्ता जो गरीब थे लेकिन कांग्रेश के प्रति वफादार थे उन्हें टिकट दिया गया और वह जीते !
अब सवाल उठता है कि क्या कांग्रेस भविष्य में होने वाले विधानसभा चुनाव में भी इसी फार्मूले पर काम करेगी , जब नगर निगम चुनाव की तरह साधारण कार्यकर्ता को चुनाव लड़ाएगी, !
कांग्रेस को पहली बार किसी चुनाव में भाई भतीजा वाद और स्वयंभू नेताओं से ऊपर उठकर जमीनी कार्यकर्ता को कांग्रेस का उम्मीदवार बनते हुए देखा जिसने अपनी जीत भी दर्ज कराई !
राजस्थान नगर निगम के चुनाव कांग्रेस के लिए भविष्य में होने वाले लोकसभा और विधानसभा चुनावों के लिए आत्म चिंतन और मंथन करने का एक उपयोगी उदाहरण साबित हो सकता है ऐसा प्रयोग यदि कांग्रेस लोकसभा और विधानसभा चुनावों में भी करें तो शायद भविष्य में कांग्रेस अपने खोए हुए दिनों को वापस पा सकती है !
जहां तक नगर निगम चुनाव में सफलता की बात है, सफलता के अनेक कारण है उसमें से एक कारण, आपदा के समय में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नेतृत्व में राज्य सरकार का बेहतर प्रबंधन भी है ! शुरुआती दिनों में कोरोना महामारी में प्रदेश के शहरी क्षेत्रों में अपने पैर पसारे थे.
राज्य सरकार ने पहले दिन से ही सतर्कता और उपचार पर बेहतर ध्यान दिया जिसके कारण राजस्थान देश और विदेश में कोरोना महामारी से कैसे निजात पाएं इसका उदाहरण राजस्थान बना !
लॉकडाउन के दरमियान राज्य सरकार ने प्रदेश की जनता का पूरा ध्यान रखा .लोगों को जरूरत का सामान उनके दरवाजे तक मुहैया कराई गरीब को भूखा नहीं सोने दिया उनके लिए भोजन का प्रबंधन उनके घर पर किया, यह सब प्रारंभिक दिनों में शहरी क्षेत्रों में अधिक देखने को मिला और इसी से शहरी क्षेत्र की जनता का विश्वास और भरोसा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उनकी कांग्रेस सरकार के प्रति जनता का जगह और कांग्रेसमें चुनाव में कामयाबी हासिल की .
वैसे इतिहास गवाह है अशोक गहलोत राजनीतिक प्रयोग करने में माहिर नेता हैं इसीलिए उन्हें चाणक्य कहा जाता है ! इस चुनाव में भी उन्होंने एक प्रयोग अधिक से अधिक युवाओं को कांग्रेश की तरफ से प्रत्याशी बनाने का किया उनमें भी वह युवा जो आम कार्यकर्ता थे नेता नहीं थे उन्हें टिकट दिया गया और वह जीते .
भविष्य के चुनावों में कांग्रेस इस फार्मूले को आजमाती है या नहीं यह सवाल अभी गर्त में छुपा हुआ है समय आने का इंतजार कीजिए !