[t4b-ticker]
[]
Home » SELECT LANGUAGE » HINDI » क्यों है IICC का चुनाव इतना अहम ?
क्यों है IICC का चुनाव इतना अहम ?

क्यों है IICC का चुनाव इतना अहम ?

भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी के सामने जब IICC का विचार रखा गया तो उन्होंने क्या कहा ?

भारत के पूर्व राष्ट्रपति Dr. APJ अबुल कलाम जब IICC आये तो उन्होंने एक तारीख़ी जुमला कहा था..

इंडिया इस्लामिक कल्चरल सेंटर (IICC) के चुनाव की तारीखें जैसे जैसे क़रीब आरही हैं वैसे वैसे वहां की राजनीती में उबाल आ रहा है , इस राजनितिक हांडी में क्या पक रहा है ? अभी कुछ पता नहीं है मगर खुशबु खुर्शीद बिरयानी की सी आ रही है .जबकि सिराज की रौशनी भी माँद तो नहीं पड़ी है .

रोज़ शाम को Candidates या उनके समर्थक सेंटर में बैठकर मात और शह का गेम खेलने लगे हैं . इससे पहले की हम IICC में हालिया मीटिंगों का ब्यौरा दें , आपके सामने 2 तरीखी बातों को रखना ज़रूरी समझते हैं .

1980 -81 में पूरी दुनिया हिजरी शताब्दी समारोह मना रही थी . तभी “भारत के विशेष संदर्भ में विश्व की संस्कृति और सभ्यता में इस्लामी योगदान” विषय पर एक अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित की गई। इसी दौरान कुछ बुद्धिजीवियों के दिमाग़ में इंडिया इस्लामिक कल्चरल सेंटर की स्थापना का विचार आया।

IICC का इतिहास बड़ा दिलचस्प है . इस सपने को साकार करने में अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के कुछ प्रमुख छात्रों सहित भारत की कई प्रसिद्ध हस्तियों ने अहम भूमिका निभाई। नतीजे में राजधानी नई दिल्ली में अप्रैल 1981 में इंडिया इस्लामिक कल्चर सेंटर IICC नामक ‘सोसायटी’ एक ट्रस्ट के रूप में Register कराई गई।

1970, 14 February – The grand building of IHMMR was inaugurated by the PM Mrs. Indira Gandh

तभी एक अच्छी पहल के रूप में, तत्कालीन भारत सरकार ने लोधी एस्टेट, नई दिल्ली में IICC को भूमि का एक प्रमुख हिस्सा आवंटित किया। जामिया हमदर्द के बानी हकीम अब्दुल हमीद साहब के कहने पर, भारतीय इस्लामी अध्ययन संस्थान ने भूमि की लागत के लिए 10,50,000/- रुपये जबकि इमारत की तामीर के लिए 10,लाख रुपये Departmrent Of Culture, भारत सरकार द्वारा दिए गए।

IICC यानी इंडिया इस्लामिक कल्चरल सेंटर एक ट्रस्ट बना और इसके मेमोरेंडम ऑफ एसोसिएशन के मूल हस्ताक्षरकर्ता के रूप में जनाब हकीम अब्दुल हमीद मरहूम – अध्यक्ष , मुफ्ती अतीकुर रहमान – उपाध्यक्ष श्री बदरुद्दीन तैयबजी – डायरेक्टर , श्री सैयद एस शफ़ी – जॉइंट डायरेक्टर चौधरी मोहम्मद आरिफ़ – सचिव , जनाब एम. डब्ल्यू. के. युसुफ़ज़ई – Treasurer ,बेगम आबिदा अहमद – सदस्य के रूप में तय किये गए . यह IICC का पहला पैनल था जो वुजूद में आया .

मैं जानता हूँ यह मालूमात कई लोगों के लिए नई नहीं है मगर यह उनके लिए एक Information है जो आज के ठेकेदारों को IICC का मालिक समझते हैं . दरअसल यह पूरे देश के मुसलमानों के नाम पर सेंटर के लिए जगह दी गयी थी . किसी ख़ास व्यक्ति या ग्रुप या ट्रस्ट के लिए नहीं . ट्रस्ट और उसके Bylaws इसलिए बनाये जाते हैं ताकि इसका इंतज़ाम अच्छे से चलाया जा सके.

IICC Foundation stone led by Mrs Indra gandhi 24 Aug 1984

भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने IICC को लेकर क्या कहा था ?

भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी के सामने जब IICC का विचार रखा गया तो वो बहुत प्रभावित थीं कि मुल्क में एक ऐसी संस्था बनाई जाए जो इस्लामिक Culture और संस्कृति के साथ विभिन्न धार्मिक समूहों के लोगों के बीच आपसी समझ और Undersatanding को बढ़ावा दे सके . जो राष्ट्रीय एकीकरण (National Integration) के उद्देश्य में मददगार साबित हो ।

1994 में बेगम आबिदा अहमद की अध्यक्षता में एक नया बोर्ड ऑफ ट्रस्टी चुना गया। श्री मोहम्मद फज़ल , तत्कालीन सदस्य, योजना आयोग, केंद्र के पहले महानिदेशक बने। बाद में, भारत सरकार के पूर्व सचिव श्री मूसा रज़ा को केंद्र का महानिदेशक नियुक्त किया गया था ।

डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम का IICC में तारीख़ी ख़ुत्बा

Former President of India Dr APJ Abulkalam Historical Speech at IICC lodi Road New  Delhi

इसके बाद 19-07-2007 को इंडिया इस्लामिक कल्चरल सेंटर IICC में डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के तारीखी ख़ुत्बे की चंद लाइनें आपके सामने रखना भी ज़रूरी है . Dr अबुल कलाम मरहूम ने कहा था , “मुझे (आईआईसीसी), नई दिल्ली के सदस्यों को संबोधित करते हुए खुशी हो रही है, क्योंकि आप भारत के विभिन्न समुदायों के बीच राष्ट्रीय एकता, सौहार्द को बढ़ावा देने और इस्लामी संस्कृति और लोकाचार को बढ़ावा देने के उद्देश्य से अपने गठन के 26 वर्ष पूरे कर रहे हैं।

Dr कलाम ने ज़ोर देकर कहा “जब बोलो तो सच बोलो। जो वादा करो उसे पूरा करो।लोगों के भरोसे को टूटने न दो । जो कुछ भी अवैध और बुरा है उसे करने ,लोगों का हक़ मारने और रिश्वत के नाम से कुछ भी लेने से अपना हाथ रोको।

आइए हम इस मार्ग का अनुसरण करें और एक महान जीवन जियें। राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देने के अपने महान मिशन में सफलता के लिए इंडिया इस्लामिक कल्चरल सेंटर के सभी सदस्यों को मेरी शुभकामनाएं।

READ ALSO  रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह: हमारे किसी सैनिक की मृत्यु नहीं, न ही कोई सैनिक गंभीर रूप से घायल हुआ है .

अब ज़रा इन दो महानुभावों के सेंटर के प्रति अपने नज़रियात और आजके सेंटर की कारगुज़ारियों पर हम ग़ौर कर लें . क्या हम इस्लामी पहचान के साथ मुल्क में सद्भाव और आपसी भाईचारे का माहौल बना पाए ? क्या हम ज़ुल्म , ना इंसाफ़ी और ग़ैर बराबरी के चलन को रोक पाए?? .

क्या क्या हुआ IICC में पिछले 24 बरसों में

India Islamic Culture Centre IICC Lodi Road New Delhi

 

फिलहाल मुल्की सतह पर सेंटर की ज़िम्मेदारी को छोड़ भी दें तो क्या हम मुस्लिम क़ौम को Educate कर पाए ? क्या उनके वयवसायिक , आर्थिक तथा सामाजिक मुद्दों का कोई हल तलाश कर पाए ??. क्या मुस्लिम विरोधी दंगे और नफ़रत रोक पाए ?? क्या मुसलमानों को उनकी मिल्ली ज़िम्मेदारियों का एहसास करा पाए ?? क्या मुसलमानों की जनसँख्या के हिसाब से उनको संसद और विधान सभाओं में हिस्सेदारी दिला पाए ?? जवाब है नहीं …….. तो इस बीच में क्या हुआ….

क्यों है IICC का चुनाव इतना अहम ?

IICC हिंदुस्तान के दिल दिल्ली के जिगर में स्थित है . दुनिया भर की मख़सूस शख्सियत की मेहमानी करने का इस सेंटर को सौभाग्य प्राप्त है . साथ ही इसकी निस्बत हिन्दुस्तान की उन मुख़लिस और नामवर शख़्सियात से वाबस्ता है जिन्होंने मुल्क और मिल्लत की ख़िदमत में कारहाये नुमायां अंजाम दिया है .

और आज पूरी दुनिया में यह सेंटर हिंदुस्तान के मुसलमानों की सियासी और समाजी तरक़्क़ी की पहचान के रूप में भी देखा जाता है . हालांकि धरातल पर असलियत इसके विपरीत है .

बहरहाल दुनिया की नज़र में इसकी अहमियत है इसलिए इसका चुनाव भी अहम है . कई कैबिनेट और यूनियन मिनिस्टर्स इसकी सदारत के लिए अपनी क़िस्मत आज़मा चुके हैं . इस बार फिर देश के यूनियन मिनिस्टर अपनी क़िस्मत आज़मा रहे हैं .

सेंटर में पहला बड़ा काम ईमारत का निर्माण हुआ . इसके Revenue Generation का इंतज़ाम भी हुआ . IAS Academy चलाई गयी और बंद हो गयी .IICC के पदाधिकारियों ने अपने ज़ाती राजनितिक और कारोबारी रिश्ते बनाये .

हालांकि कुछ लोग रिश्ते बनाते बनाते दिवालिया भी हो गए . अब यह उनका मुक़द्दर हो सकता है . लेकिन सच्चाई यह है किसी की भी नीयत सेंटर के बुनयादी मक़ासिद को हासिल करने के लिए नेक नहीं रही , एक दो को छोड़कर . वही जो दुसरे सेंटर्स में होता है वही यहाँ भी चल रहा है बल्कि उससे बदतर माहौल है यहाँ का .

यहाँ से इस्लामिक तहज़ीब या संस्कृति के फ़रोग़ का कोई काम नहीं हुआ है . मस्जिद को तहख़ाने में रखा गया ,इसको प्रेयर रूम से प्रसिद्द किया गया . जबकि एक ख़ालिस और शानदार मस्जिद की ईमारत यहाँ होनी चाहिए थी . जहाँ से ईमान और सलामती के साथ इंसानी ख़िदमत , तौहीद , रिसालत और आख़िरत की दावत का काम मॉडर्न अंदाज़ में होना था वहां से क्या परोसा जा रहा आपको हमसे ज़्यादा ज्ञान है .

ऐसा होना था यहाँ का माहौल , जो ….

Kareem Restaurant in IICC Premises

इंडिया इस्लामिक कल्चरल सेंटर (IICC) के अध्यक्ष पद के चुनावों की फिलहाल गहमा गहमी है . कई उम्मीदवारों और उनके सहयोगियों के ज़रिये से प्रचार का काम इतने भोंडे तरीके से हो रहा है कि किसी पंचायती चुनाव में शायद ऐसा भोंडापन होता होगा .

सेंटर के मेमब्रान आपस में ऐसे बर्ताव कर रहे हैं जैसे जानी दुश्मन हों . वहां आने वालों की नज़रों में मुनाफ़कत झलक रही है , नफ़रत है , एक तरह का दुश्मनी का भाव देखने को मिल रहा है .हालांकि बज़ाहिर कुछ लोग गले मिलते और हाथ मिलाते भी दिखाई देंगे आपको .

READ ALSO  रेल हादसे के बाद फंसे 18 लोगों को बाहर निकालकर रिजवान ने पेश की मिसाल

जहाँ आपसी इत्तिफ़ाक़ और Coexistence न हो क्या ऐसे इदारे मिल्लत या इंसानियत का भला कर पाएंगे ?? जहाँ चुगली , ग़ीबत , नफ़रत और मुनाफ़कत हो वहां से क्या हासिल हो सकता है ? इस्लामिक Culture तो कम से कम वहां से आम नहीं हो सकता … बाक़ी सब कुछ होगा .

आप खुद ही सोचो ,,,,कई बार सोचो … बार बार सोचो अगर ज़रा भी फ़िक्र रखते हो तो …उसके बाद अपनी कोई राय क़ायम करो… वहां आने वाला हर शख्स आपकी संस्कृति से मुतास्सिर होकर जाना चाहिए था ऐसा माहौल होना था यहाँ का .

लोग यहाँ पीस और मैडिटेशन का तसव्वुर लेकर आते , हिदायत का और त्रिलोकिये सफ़लता का नूर लेकर जाते यहाँ से . इतना अच्छा मौक़ा था मगर अफ़सोस .. सद अफ़सोस हम हर मौके को गँवा बैठते हैं और रोना रट हैं ज़ुल्म और ज़ियादती का …,,

IICC चुनाव के लिए Candidate का Criteria ?

President Of India Marhoom APJ Abul Kalaam visited IICC July 2007

यहाँ के चुनाव मिसाली होने चाहिए थे , हर एक प्रत्याशी की क़ाबिलयत को परखने के लिए उनके भाषण अलग अलग वक़्तों में तमाम मेंबर्स के सामने होने चाहियें . फ़िलहाल Observer की निगरानी में एक Committee बने जो सभी प्रत्याशियों को उनकी पोस्टों के हिसाब से Subject दे .

उसपर सभी Contestants अपना 20 minut का भाषण दें . वहीँ एक जूरी हो जो भाषणों पर नंबर दे यहाँ winner और runner को Further Contest के लिए Valid क़रार दिया जाए . और साथ ही candidates के लिए एक सेट Criteria हो जो इंसानियत और ईमान की बुनियाद पर तैयार किया जाए .

इसके बाद इसकी उम्मीद की जा सकती है कि इंडिया इस्लामिक कल्चर सेंटर में इंसानियत और इस्लाम के लिए कुछ मुस्बत और सकारात्मक काम हो सकेंगे . वरना यहाँ भी वही हंगामा और मारा मारी दिखने को मिलेगी जो दूसरी जगह चुनावों में दिखती है .

हमारी दुआ और कोशिश है कि यह सेंटर हिन्द में एक मिसाली सेंटर बने जहाँ से मुल्क में अम्न , ईमान , सलामती , मोहब्बत , भाईचारा , सद्भाव , विकास और तरक़्क़ी की शमा रोशन हो . और यह इदारा पूरी इंसानियत की हिदायत का ज़रिया बने न की नफ़रत और बेदीनी का अड्डा !!!!!!!

iicc election mode

फिलहाल निवर्तमान President के बारे में एक खबर मुंबई से है जहाँ उनका अच्छा ख़ासा माहौल रहा करता था , इस बार मुंबई के जिमखाना में IICC के मेंबर्स और कई दुसरे दानिश्वर हज़रात ने IICC चुनाव को लेकर एक मीटिंग की . जिसमें सिराज कुरैशी के Candidate Dr माजिद कलिकोटि को वोट करने का ऐलान किया गया .

हालांकि कई मेमब्रान ने RSS विचारधारा से जुड़े होने की वजह से IICC President के तौर पर Dr मजीद को ना अहल माना . और उनको वोट न करने की बात कही . लोगों ने कहा वो एक Dr अच्छे हो सकते हैं मगर IICC में उनकी एंट्री सेंटर के बुनयादी उसूलों और उसकी रूह के ख़िलाफ़ है .और आजतक भी कौनसे वो काम हुए हैं जिनको सामने रखकर बड़ों ने इसकी बुनियाद रखी थी . मुंबई के Members भी IICC में इस बार बदलाव चाहते हैं .

iicc election mode

iicc election mode

दूसरी तरफ़ अफ़ज़ल अमानुल्लाह के आने से भी चुनाव त्रिकोणीय होता दिखाई दे रहा है , उनका भी सेंटर में अच्छा ख़ासा जनाधार है . उधर 14 मीटिंगों में शिरकत के बाद सलमान खुर्शीद के बारे में रुझान बढ़ता हुआ दिखाई दिया है.

जो लोग कल तक सिराज कुरैशी के हितैषी थे आज उनमें से एक बड़ी तादाद ऐसी है जो उनको या उनके Candidate के साथ नहीं हैं . कई सिराज कुरैशी के क़रीबी उनको फ़ोन करके भी यह बता रहे हैं की वो अपने Decorum को क़ायम रखना चाहते हैं तो BOT न लड़ें .

फिलहाल मुल्क के तथाकथित मुस्लिम बुद्धिजीवियों में इस बात को लेकर चर्चा है की IICC चुनाव में उनकी पसंद का Pannel बने . हालांकि जो हाल आज तक है आइंदा भी वही रहने की ज़्यादा उम्मीद है , बस चेहरे बदल जायेंगे चरित्र लगभग वही रहने वाला है .

लेकिन हमारा मानना है सेंटर से देश के वंचित और मज़लूम समुदाय और वर्गों को उनके अधिकार और इंसाफ़ दिलाने ,तथा मज़हबों के बीच Understanding बढ़ाने के लिए कोशिश होती रहे . यह भी सेंटर की तरफ़ से बड़ी सेवा होगी .

Please follow and like us:

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

*

five × five =

You may use these HTML tags and attributes: <a href="" title=""> <abbr title=""> <acronym title=""> <b> <blockquote cite=""> <cite> <code> <del datetime=""> <em> <i> <q cite=""> <s> <strike> <strong>

Scroll To Top
error

Enjoy our portal? Please spread the word :)