अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में रविवार सुबह अमेरिकी ड्रोन हमले में अलकायदा का मुखिया अयमान अल जवाहिरी मार दिया गया. सूत्रों ने बताया कि अलकायदा के मुखिया के खात्मे की जानकारी भारत को रविवार को दे दी गई थी. 9/11 हमले के साज़िशकर्ता अल-ज़वाहिरी के मारे जाने से इसका असर भारत पर क्या होगा, आइए जानते हैं.
अल कायदा से संबद्ध आतंकी संगठन, अंसार गजवत-उल-हिंद का गठन वर्ष 2017 में कश्मीर में हुआ था लेकिन आतंकी जाकिर मूसा के सफाये के बाद इस संगठन का वजूद ही खत्म हो गया था. 2014 में जवाहिरी ने इस्लामिक एकता पर बोलते हुए भारत को लेकर पहला बयान जारी किया था. हिजाब विवाद को लेकर इसी साल, अप्रैल माह में भी उसने बयान जारी किया था. जून माह में एक बयान जारी करके उसने आत्मघाती हमलावारों से दिल्ली, मुंबई और यूपी में धमाकों को अंजाम देने की चेतावनी दी थी. भारतीय अधिकारियों ने मंगलवार को कहा कि जवाहिरी का मारा जाना भारत में अलकायदा समर्थकों और सहयोगियों के लिए एक बड़ा झटका हो सकता है. हालांकि, उन्होंने तालिबान द्वारा जवाहिरी को काबुल में पनाह दिए जाने पर चिंता जताई और कहा कि मुख्य रूप से भारत को निशाना बनाने वाले आतंकवादी संगठन को भी ऐसी सुविधाएं मिल सकती हैं.
अधिकारियों ने कहा कि अल-कायदा को पनाह दे रहा तालिबान, जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा जैसे पाकिस्तान स्थित संगठनों को भी इस तरह की सुविधाएं दे सकता है, जो मुख्य रूप से भारत को निशाना बनाते हैं. इसके अलावा भारतीय सुरक्षा एजेंसियों का आकलन है कि तालिबान के भीतर अंतर्कलह तेज हो सकती है क्योंकि अल-कायदा के बहुत करीब माना जाने वाला हक्कानी नेटवर्क जवाहिरी के बारे में जानकारी अमेरिकी अधिकारियों को देने का बदला लेने की कोशिश कर सकता है. भारत के सामने एक चिंताजनक तथ्य यह है कि अल-कायदा से मोहभंग होने की सूरत में इसके सदस्य इस्लामिक स्टेट और उसके क्षेत्रीय सहयोगी इस्लामिक स्टेट-खुरासान प्रांत (आईएसकेपी) से जुड़ सकते हैं.
अल जवाहिरी के खात्मे के बाद आप सवाल उठ रहे हैं कि अलकायदा का अगला मुखिया कौन होगा. माना जा रहा है कि सैफ अल अदेल को अलकायदा का मुखिया बनाया जाता है. अदेल एक खूंखार आतंकी है जिसने 1998 में केन्या में अमेरिकी दूतावास पर हमले को अंजाम दिया था. माना जा रहा है कि ज़वाहरी के उलट अदेल बड़े आतंकी हमलों को अंजाम दे सकता है.