कश्मीर फ़ाइल ने अब सच को सामने लाने का रास्ता साफ़ करदिया है ? मगर झूट वालों का क्या होगा ?
Editor’s Desk Ali Aadil Khan
कश्मीर से पंडितों का पलायन भी भयानक त्रासदियों में से एक है .UP हो या हरियाणा ,गुजरात हो कि कश्मीर, इंसानों के आतंक के भय से एक आदमी का भी अपनी ज़मीन छोड़ना भयावय होता है …….पलायन के 32 साल बाद बनाई गयी कश्मीर फाइल क्या पलायन जैसे हादसे का हल ढूंढ़ने के लिए बनाई गयी है ? क्या ये फिल्म उन ज़ख्मों के लिए मरहम है या नमक ? जो ज़ख्म अपने ही देश के अल्पसंख्यकों के सीनों में घाव कर गए थे .जो वापस कुरेदे जा रहे हैं . अगर यह फिल्म सच दिखाने के लिए बनाई गयी है तो फिर देश में ऐसे सैकड़ों हादसे हैं जिनका सच सामने आना ज़रूरी है , और उनका हल निकालना भी .
Glimpses of BJP Relationship with Peoples Democratic Party PDP
हालाँकि मसला ए कश्मीर , हिन्द पाक रिश्ते , आतंकवाद , माओवाद , नक्सलवाद , और विस्थापित कश्मीरी पंडित जैसे मुद्दों पर सैंकड़ों किताबें तथ्यों और सच के साथ मौजूद हैं , और कई यूट्यूब documentaries भी . जबकि इस फिल्म में तो सलेक्टेड सच दिखाया गया है यानी तस्वीर का एक रुख .जबकि विस्थापित पंडितों का पूरा सच राहुल पंडिता की किताब ” Our Moon Has Blood Clots ” में तफ्सील और तथ्यों के साथ देखा जा सकता था , लेकिन किसी ने देखा ही नहीं , शायद इसी लिए….. कि इसमें पूरा सच है …..वैसे इस फिल्म में सिर्फ एक क़ौम को ही नहीं बल्कि , उस मीडिया को भी टारगेट किया गया है जो सरकार से सवाल पूछता है या अपने फ़र्ज़ को ईमानदारी से निभाना चाहता है ,इसके अलावा कई बड़े शिक्षा संस्थानों को भी प्रदूषित मानसिकता के ऐनक से देखा गया है मानो यहाँ Anti Nation Sylabus पढ़ाया जाता हो .
Glimpse of Relations between PDP & BJP
आपको मालूम है देश में एक नए शब्द का निर्माण किया गया है Urban नक्सल …इस शब्द के निर्माता भी वही हैं जो कश्मीर फाइल के निर्माता निर्देशक हैं .आप जानते हैं क्या मायने निकलते हैं इस शब्द के ? बस इतना समझ लीजे कि जो नागरिक अच्छी शिक्षा हासिल करने के बाद देश के नागरिक अधिकारों और संविधान तथा लोकतंत्र की रक्षा के लिए तर्कों के साथ सरकारों से सवाल करे वो Urban Naxal कहलाया जाता है ..अब अक्सर इसी शब्द का प्रयोग करते आपने प्रधान मंत्री जी को सुना होगा …..इसी जैसे शब्द Love जिहादी , UPSC जिहादी , चूड़ी जिहादी , कोरोना जिहादी धुर्वीकरण के लिए गढ़े गए हैं , जिनका धरातल से कोई सम्बन्ध नहीं है … ….. मज़े की बात यह है कि कुछ ऐसे ही Urban Naxal सरकारों में भी मौजूद होते हैं , जो समय समय पर सरकारों को आईना दिखाते रहते हैं .
नए भरता का वो वर्ग जो यह कहता है कि देश को आज़ादी मई 2014 में मिली है , और जो देशभक्ति के ढोंग के साथ अंधभक्ति के नशे में डूबे रहना चाहता है उनके लिए कष्मीर फाइल का Recommendation बिलकुल सही है . और वैसे भी यह फिल्म New India के Narative को चलाने के लिए ही बनी है , क्योंकि इसमें हिन्दू मुस्लमान , मंदिर मस्जिद , आतंकवाद ,नक्सलवाद ,हिंदुस्तान पाकिस्तान , जिहाद, हिजाब पर्दा सब कुछ एक छत के नीचे मिल रहा है .और इसको देखने के बाद जो देश का माहौल बन रहा है , दरअसल यह सपना है एक विचारधारा का जिसको वो साकार होते देखना चाहती है .लेकिन इसके भयानक परिणाम होंगे जिसके लिए फिल्म बनाने वाले कम और इस फिल्म को देखने के लिए प्रेरित करने वाले नेता ज़्यादा ज़िम्मेदार होंगे .
Governor J&K Jagmohan Malhotra 1990
हैरत इस बात की है कश्मीर पंडितों के पलायन जैसी त्रासदी को अंजाम देने में सहयोग करने वाली पार्टी , आज उसका सच दिखाने के लिए इतनी उतावली क्यों है , इस सच का इलज़ाम भी तो इसी पर आएगा , क्योंकि उस समय न तो नेहरू थे न गाँधी और न उनकी पार्टी कांग्रेस ,जिनको कोसकर काम चलाया जा सकता …. बल्कि BJP के 85 सांसदों के समर्थन से केंद्र में जनता दल की सरकार थी , कश्मीर में Governer राज था , कश्मीर के राजयपाल जगमोहन मल्होत्रा थे ,जो बाद में BJP से ही सांसद भी बने ….Nation Wants To Know …. Governor जगमोहन मल्होत्रा को कश्मीर पंडितों और आम कश्मीरी की सुरक्षा के लिए भेजा गया था या कश्मीरी पंडितों का पलायन कराने के लिए ? जगमोहन का कश्मीर में कार्यकाल 19 जनवरी 1990 से 26 मई 1990 तक रहा . बस इसी बीच हुआ कश्मीरी पंडितों का पलायन………… जो आर्मी Governor की सुरक्षा में थी क्या वो पंडितों कि सुरक्षा नहीं कर सकती थी ??
Governor Jagmohan ki Kushalta lene Pahunche Home Minister aur BJP President
आपको यह भी याद होगा दोस्तों उस समय गृहमनत्री मुफ़्ती मुहम्मद सईद थे , वही मुफ़्ती सईद जिनकी पार्टी PDP के साथ मिलकर बीजेपी ने 2 बार सरकार बनाई एक बार केंद्र में जनतादल की सरकार को BJP के 85 सांसदों का समर्थन था और मुफ़्ती सईद की PDP गठबंधन में थी , दूसरी बार J&K में मेहबूबा मुफ़्ती के साथ ,सत्ताधारी पार्टी को सच सामने लाने के कई अवसर मिले ,उस वक़्त यह सच सामने क्यों नहीं लाया गया ?? 1998 से 2004 तक लगातार 5 साल और 11 महीने अटल जी के नेतृत्व वाली बीजेपी की सरकार थी तभी विस्थापित कश्मीरी पंडितों को अपने वतन में स्थापित किया जा सकता था ….!! शायद उस वक़्त NEW INDIA का Idea ज़ेहन में नहीं रहा होगा .
Pics From :https://www.livemint.com/Politics/0ru2VyghY3lXP4OoHdwD3K/Narendra-Modi-says-cant-support-Mufti-Sayeeds-comments-on.html Courtesy Updated: 04 Mar 2015, 01:20 AM IST
Attention : Two Flags in One Nation (Example of Nation First )
यह सब जानते हैं कि दुश्मन पाकिस्तान ने पंजाब के बाद कश्मीरी कट्टरता को Promote किया ,और कश्मीर के सांप्रदायिक सौहार्द को ख़त्म करने और नफरत की खाई को गहरा करने में कोई कसर नहीं छोड़ी ,क्या वही काम यह फिल्म और इस फिल्म को Promote करने वाले नहीं कर रहे , क्या इस फिल्म को देखने के बाद सांप्रदायिक नफरत नहीं बढ़ेगी ?? Nation wants To Know कि वादी में मिलिटेंसी की बुनियादी वजह क्या रही ?? और आज नफरत को बढ़ावा देने केलिए क्या धर्म संसद जैसे कार्यक्रमों का आयोजन भी कहीं पाकिस्तान के सहयोग से तो नहीं हो रहा . जिस वादिये कश्मी के लोग बंदूक और फसाद से डरता था लड़ना नहीं जानता था उस वादी में मिलिटेंसी का कारण क्या था ? याद रहे कश्मीर मिलिटेंसी का वही 1989 का दौर था जब Amnesty International , Human Rights Watch and the International Commission of Jurists अपनी Reports में पेश कर रहा था जिसके अनुसार घाटी में 1 ,00,000 आम कश्मीरियों का क़त्ल हो चुका था .
मिलिटेंट्स ने कश्मीरी पंडितों को ही विस्थापित नहीं किया बल्कि आम कश्मीरियों के साथ कश्मीर के मज़हबी रहनुमा और इंडियन डेमोक्रेसी के बड़े supporter मीर वाइज़ मौलवी मुहम्मद फ़ारूक़ शाह तक को नहीं छोड़ा , और उनका क़त्ल कर दिया गया , People’s Conference के एक और Moderate और राष्ट्रवादी नेता अब्दुल गनी लोन की भी हत्या करदी गयी थी .ये केसा जिहादी था जो जिहाद की परिभाषा बताने वालों का ही क़त्ल कर रहा था , मौलवी मुहम्मद फ़ारूक़ शाह के जनाज़े में शरीक हज़ारों लोगों पर CRPF ने गोली बारी किसके आदेश पर की थी?जिसमें सरकारी रिपोर्ट के मुताबिक़ 28 मासूम कश्मीरी मारे गए थे , जबकि बीबीसी कि रिपोर्ट में 100 आम शहरियों के मारे जाने का सच भी है .कश्मीर की इन सच्चाइयों के बारे में देश जानना चाहता है ,,,,,यह सच कौन बताएगा प्रधानमंत्री जी ??
अटल जी के दौर में कई ऐतिहासिक काम हुए , जैसे लाहौर दिल्ली समझौता एक्सप्रेस उन्ही के कार्यकाल में चली, President मुशर्रफ बीजेपी के ही दौर में भारत आये , और कई दौर की वार्ता हुई .कश्मीर समाधान के लिए अटल बिहारी ने एक सिद्धांत दिया – इंसानियत , जम्हूरियत और कश्मीरियत यानी (हिंदू-मुस्लिम दोस्ती की परंपरा) पर चलते हुए कश्मीर समस्या के हल के लिए अटल काफी सरगर्म थे ,इस बीच गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान प्रधानमंत्री कश्मीरी पंडितों के पलायन के सच को उजागर करने केलिए अटल जी को सुझाव देते तो वे तुरंत संसद के पटल पर इस मुद्दे को रखते और दूध का दूध पानी का पानी होजाता .
इन तथ्यों से बात साफ़ होजाती है कि कश्मीर फाइल कश्मीरी पंडितों के पलायन के सच को सामने लाने के लिए नहीं बल्कि Agenda 24 तय: करने के लिए बनाई गयी है , या बनवाई गयी है .