[t4b-ticker]
[]
Home » Editorial & Articles » क्या कोरोना काल ग्रह युद्ध की तरफ़ ले जायेगा ?
क्या कोरोना काल ग्रह युद्ध की तरफ़ ले जायेगा ?

क्या कोरोना काल ग्रह युद्ध की तरफ़ ले जायेगा ?

कोरोना के चलते drop out rate आसमान पर ,लॉकडाउन के चलते स्कूलों को बंद किया गया था तब उसका असर 94 फीसदी छात्रों पर पड़ा था, जिनकी संख्या करीब 160 करोड़ थी


अकेले हरियाणा में १२ लाख बच्चे शिक्षा के मैदान से बाहर ,Indian Express के सुखबीर सिवाच ने अपनी Report में यह आंकड़ा दिया

Ali Aadil Khan ,Editor’s Desk

देश और दुनिया में शिक्षा के मैदान में बहुत तेज़ी से बढ़ते फ़र्क़ पर अब शिक्षा प्रेमी चिंता करने लगे हैं .हम जानते हैं पढ़ी लिखी जनता देश के लिए Asset और अनपढ़ Liablity होती है .साथ देश के लॉ एंड आर्डर के लिए भी समस्या होती है .पिछले 2 वर्षों में किशोरावस्था में अपराध का ग्राफ एक डीएम बढ़ा है उसकी वजह सिर्फ स्कूलों का बंद होजाना है यानि जिस हाथ में क़लम और कॉपी थी अब वो खली हैं और आर्थिक मंदी तथा कारोबारों और नौकरियों के छीन जाने से माँ बाप उनको जेब खर्च देने में असमर्थ हैं . इसपर तुरंत संसदीय स्तर पर हंगामी मीटिंग होनी चाहिए अन्यथा देश के करोड़ों किशोर सियासी बयानों से उत्पन्न सांप्रदायिक और ध्रुवीकरण के शोलों को आग और अपराध में बदल देंगे . और देश ग्रह युद्ध का भी शिकार हो सकता है . जिससे बचने के लिए तत्काल प्रभाव से भारत की शिक्षा प्रणाली को सुवयवस्थित करने की ओर क़दम बढ़ाएं जाएँ .

यूनिसेफ के चीफ ऑफ एजुकेशन रॉबर्ट जेनकिंस के अनुसार दुनिया भर में वैक्सीन देने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। अभी भी दुनिया के करोड़ों बच्चे इस महामारी से उत्पन्न समस्या से ग्रस्त हैं। ऐसे में यह जरुरी है कि स्कूलों को जल्द से जल्द खोलने के प्रयास किए जाएं। साथ ही एक बार जब स्वास्थ्य कर्मियों और उच्च जोखिम वाली आबादी को टीका लगा दिया जाता है तो शिक्षकों को भी वैक्सीन देने में प्राथमिकता देनी चाहिए। जिससे हम अगली पीढ़ी के भविष्य को सुरक्षित कर सकें।

READ ALSO  शम्भुलाल मनचले आतंकी को हीरो बनाने वाली संस्थाओं का क्या होगा ?

संयुक्त राष्ट्र (United Nations) की एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, कोरोना वायरस (COVID-19) के आर्थिक परिणामों के प्रभावस्वरूप लगभग 24 मिलियन बच्चों पर स्कूल न लौट पाने का खतरा उत्पन्न हो गया है।

दुनिया भर में शिक्षा पर महामारी के पड़ते प्रभाव को मापने के लिए संयुक्त राष्ट्र ने एक नया ट्रैकर जारी किया है जिसे जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी, वर्ल्ड बैंक और यूनिसेफ के आपसी सहयोगी से बनाया गया है। कोरोना वायरस (COVID-19) और Lockdown के बाद आर्थिक परिणामों के प्रभावस्वरूप 160 करोड़ बच्चों की शिक्षा पर असर पड़ा है।

यदि ट्रैकर से प्राप्त मार्च 2021 की शुरुआत तक के आंकड़ों को देखें तो 51 देशों में स्कूल खुल चुके हैं और बच्चे आमने-सामने के फॉर्मूले से शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। जबकि 90 से अधिक देशों में अन्य तरीकों से शिक्षा दी जा रही है। जहां कई स्कूल खुले हैं और कई अन्य तरीकों से बच्चों को शिक्षा दी जा रही है।

यदि शिक्षा पर संकट की बात करें तो वो इस महामारी से पहले भी काफी विकट था। इस महामारी से पहले भी दुनिया भर में शिक्षा की स्थिति बहुत ज्यादा बेहतर नहीं थी। उस समय भी प्राथमिक और माध्यमिक स्कूल जाने योग्य 25.8 करोड़ बच्चे स्कूल से बाहर थे।

वहीं निम्न और मध्यम आय वाले देशों में करीब 53 फीसदी बच्चों को शिक्षा नहीं मिल रही थी। जिसका मतलब है कि 10 वर्ष से ऊपर के करीब 50 % बच्चे Basic शिक्षा भी नहीं ले पाए । वहीं उप-सहारा अफ्रीका Reagion में स्थिति और बदतर थी जहां यह आंकड़ा 90 फीसदी के करीब था। वहीं उच्च आय वाले देशों में यह आंकड़ा 9 से 12 फीसदी था। जो स्पष्ट तौर पर शिक्षा में व्याप्त असमानता को दर्शाता है।

इस महामारी ने शिक्षा पर छाए इस संकट को और बढ़ा दिया है। जिसका असर हमारी आने वाली पीढ़ी पर लंबे समय तक रहने की संभावना है।जो दुनिया के लिए अत्यंत चिंता का विषय होना चाहिए था .जो दुर्भग्यपूर्ण दिखाई नहीं दे रहा है .. अप्रैल 2020 में जब महामारी और उसके कारण हुए लॉकडाउन के चलते स्कूलों को बंद किया गया था तब उसका असर 94 फीसदी छात्रों पर पड़ा था, जिनकी संख्या करीब 160 करोड़ थी।

READ ALSO  और नरेंद्र मोदी का विकल्प होंगे ?

अनुमान है अभी भी करीब 70 करोड़ बच्चे अपने घरों से ही शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। इसके बावजूद बड़ी संख्या में बच्चे हाइब्रिड और रिमोट लर्निंग के विकल्प के बीच संघर्ष कर रहे थे, जबकि कई करोड़ शिक्षा से पूरी तरह वंचित हुए हैं ।

Free vaccine और free राशन के इश्तहार के साथ फ्री शिक्षा का इश्तहार लगा दिया जाता तो साक्षर भारत की ओर बढ़ते क़दम का आभास तो कम से कम होजाता … ….अच्छा हमारे प्रधान मंत्री अब यह करें की स्कूलों में बच्चों के लिए जो मिड डे मील और दीगर सुविधा दी जाती थी उसको बच्चों के घर पर पहुंचवा दें ,और पढ़ाई के लिए होने वाले MObile Data के खर्च को Corona के चलते जब तक स्कूल नहीं खुलते हैं अपने मित्र Ambani brother से कह दें की देश के हर एक Student को उसके ID No . से Data मुफ़्त करदें ये देश के लिए उनकी मदद होगी , या देश के लिए सारी क़ुर्बान भूकी मासूम जनता से ही लेते रहेंगी सरकारें .

Please follow and like us:

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

*

1 × one =

You may use these HTML tags and attributes: <a href="" title=""> <abbr title=""> <acronym title=""> <b> <blockquote cite=""> <cite> <code> <del datetime=""> <em> <i> <q cite=""> <s> <strike> <strong>

Scroll To Top
error

Enjoy our portal? Please spread the word :)