मुल्क भर में उर्दू के लिए अपनी खिदमात अंजाम देने वाले सहाफ़ी ,लेखक , शिक्षक और छात्र , छात्राओं को भी नवाज़ा जाता है आज के दिन
उर्दू है जिसका नाम हमीं जानते हैं दाग़ |
हिन्दोस्ताँ में धूम हमारी ज़बाँ की है ||
दुनिया में हर रोज़ कोई न कोई दिन एक ख़ास उन्वान से मनाया जाता है |पूरे भारत में हिंदी डे मनाये जाने का चलन भी दशकों से है .जिसकी तैयारियां सरकारी स्तर पर बड़े पैमाने पर की जाती हैं . लेकिन उर्दू भी इसी भारत की ज़बाँ है . इसका जन्म भी इसी भारत की धरती में हुआ है .मगर सरकारी सतह पर उर्दू डे मानाने की रिवायत नहीं थी .और मज़ीद यह के …..
ज़ुल्म उर्दू पे भी होता है इसी निस्बत से |
लोग उर्दू को मुसलमां समझ लेते हैं ||
आपको बता दें , जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के भारतीय भाषाओं के Centre और अखिल भारतीय कॉलेज एवं विश्वविद्यालय उर्दू शिक्षक संघ ने माँग की थी कि 31 मार्च को उर्दू दिवस मनाया जाना चाहिए । इसकी वजह यह है कि उस दिन उर्दू के लिए पंडित देव नारायण पाण्डेय और जय सिंह बहादुर ने अपनी जानों की क़ुरबानी दी थी ।
उर्दू के ये मतवाले उर्दू मुहाफ़िज़ दस्ता के सदस्य थे। जो उर्दू के संरक्षण के लिए काम करते थे | 20 मार्च 1967 को उत्तर प्रदेश में देव नारायण पाण्डेय ने उर्दू की बक़ा और फ़लाह के लिए कानपुर कलेकटर के दफ़्तर के सामने धरना दिया था | और भूख हड़ताल पर बैठे थे. दूसरी तरफ़ जय सिंह बहादुर ने विधान सभा के सामने धरना और भूख हड़ताल की। देव नारायण पाण्डेय का देहान्त 31 मार्च को हुआ जबकि सिंह इसके कुछ दिनों बाद गुज़र गए।
इसके बाद दिल्ली में स्थित उर्दू डेवलपमेंट ऑर्गनाइज़ेशन और उर्दू की बक़ा और फ़रोग़ के लिए काम करने वाले संगठन व् उर्दू दोस्तों ने मिलकर 1997 से भारत में उर्दू डे मानाने का बीड़ा उठाया | इस दिन शायरों, लेखकों , सहाफ़ियों और शिक्षकों को उनकी नुमायां कारगुज़ारियों के लिए Certificates , और मेमेंटोज़ के साथ इनामात से नवाज़ा जाता है ।
लेकिन सवाल यह था की कौनसी शख्सियत को इस दिन से मंसूब करने के लिए चुना जाए .लिहाज़ा तमाम उर्दू प्रेमियों से मश्वरा करके अल्लामा इक़बाल के यौम इ पैदाइश यानो 9 नवंबर को उर्दू डे के लिए मुन्तख़ब किया गया |
1997 से उर्दू डेवलपमेंट ऑर्गनाइज़ेशन (UDO) की तरफ़ से शुरू हुई यह तहरीक आज तक जारी है | इस बार 9 नवंबर 2022 को 25 बरस मुकम्मल होने पर UDO देश भर में सिल्वर जुबली मानाने जा रहा है |
उर्दू डे से मुताल्लिक़ देश भर में होने वाले Programmes के सिलसिले में एक Review मीटिंग का भी इनक़ाद किया गया | UDO के संयोजक डॉ सईद अहमद खान ने बताया कि उर्दू डे पर हर साल उर्दू से मुनसलिक किसी अहम् शख्सियत पर एक सोविनयर भी पब्लिश किया जाता है |
उन्होंने बताय गुज़िश्ता बरसों में प्रो० जगन्नाथ आज़ाद , मौलाना मुस्लिम रहीमुल्लाह , मौलाना अब्दुल माजिद दरयाबादी , मुंशी प्रेम चंद ,उस्मान फ़ारूक़ अल्वी साहब जैसी शख्सियत पर सोविनियर निकाले गए थे | इस साल मौलाना अब्दुल हमीद रहमानी साहब की शख्सियत पर सोविनियर पब्लिश किया जाएगा . रहमानी साहब की तालीमी मैदान में क़ाबिल ए क़द्र ख़िदमात रही हैं | जिसमें दीनी और असरी तालीम के निज़ाम को साथ चलाया गया है . जो यक़ीनन देश के लिए भी बड़ी ख़िदमत है |
इस साल 2022 के उर्दू डे की इब्तदा के तौर पर उर्दू डेवलपमेंट ऑर्गनाइज़ेशन ने मुज़फ्फर नगर के सादात हॉस्टल में 8 नवंबर को शानदार प्रोग्राम का आयोजन किया .प्रोग्राम के आयोजक तहसीन अली असारवी ने बताया इस मौके पर मुल्क भर की मारूफ़ हस्तियों के साथ होनहार बच्चों की होंसला अफ़ज़ाई भी की जायेगी और उनको इनामात से नवाज़ा गया |
मुल्क भर से उर्दू की मारूफ़ शख़्सियात , पत्रकार , शिक्षक और बुद्धिजीवियों ने Program में शिरकत की | जिनमें इंक़लाब उर्दू अख़बार के Editor अब्दुल वदूद साजिद , डॉ शाह आलम इस्लाही ,हकीम अताउर्रहमान अजमली (मेंबर मुस्लिम Advisory Committee Delhi Minority Comission ) , मुज़फ्फर नगर UDO के सरपरस्त और समाज सेवी असद फ़ारूक़ी ,डॉ शमीम हसन ,सदर कलीम त्यागी , डॉ शहाबुद्दीन क़ासमी (पत्रकार) बदरूज़ ज़मां खान और शमीम क़ेसर ने अपने ख्यालात का इज़हार किया .
Program की सदारत डॉ शमीमुल हसन साहब ने की और निज़ामत के फ़राइज़ जनाब कलीम त्यागी ने अंजाम दिए . Program का आग़ाज़ मुफ़्ती मुहम्मद ज़ुबैर की क़िराअत से हुआ . इस मौके पर क़ारी शाहिद अरमान , और हाफ़िज़ मुहम्मद अफ़्फ़ान ने खूबसूरत अंदाज़ में नात पाक पढ़ी .