टीपू सुल्तान की जयंती पर चर्चा ज़रूरी है या देश में गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले 50 करोड़ लोगों को रोटी खिलाना , कपडा पहनाना , स्वास्थ्य सुविधा दिलाना , शिक्षा दिलाना और सामाजिक सुरक्षा दिलाना
कर्नाटक में शिक्षा प्रणाली को लेकर येदियुरप्पा के रवैये पर संघ सहमत, हैदर अली को भी पुस्तकों से हटाने की मंशा की ज़ाहिर , देश के बुनयादी मुद्दे योजना और चर्चा से लगभग गायब
WRITTEN BY :Ali Aadil Khan Editor-in-chief Times of Pedia (TOP) news group
जब देश का गृहमंत्री कोई बात कहता है तो उसका मतलब होता है , आपको याद होगा अमित शाह जो देश के ग्रह मंत्री भी हैं और पार्टी अध्यक्ष भी वो यह कहते रहे हैं कि देश के इतिहास को बदलेंगे और हमें इतिहास लिखने से कोई नहीं रोक सकता ,और वो यह भी कहते हैं कि अंग्रेज़ों के लिखे या लिखवाये इतिहास को हम कबतक रोते रहेंगे , हमें अपना इतिहास खुद लिखना होगा ।
अब शाह साहब यह बताएं कि देश की आज़ादी की लड़ाई अंग्रेज़ों से लड़ने वाले योद्धा शेरे मैसूर टीपू सुल्तान अँगरेज़ साम्राज्य के दुश्मन थे या दोस्त ? टीपू सुल्तान देश के लिए लड़ते हुए अपनी सल्तनत को लुटा गए ,तिरंगे की शान को क़ायम करने के लिए और देश को अँगरेज़ साम्राजयवाद से आज़ाद करने के लिए टीपू की क़ुरबानी को यदि इतिहास से निकालने का दुस्साहस कोई करता है तो इसका मतलब सीधे यह निकलता है वह देश का दुश्मन और अँगरेज़ साम्राजयवाद का हिमायती है । जो आज कर्नाटक में बीजेपी के शासन में किया जारहा है ।
अब टीपू सुल्तान की जयंती पर पाबंदी लगाने के कर्नाटक के मुख्यमंत्री येदियुरप्पा के फैसले पर भले ही हाईकोर्ट ने सवाल खड़े कर दिए हों लेकिन संघ परिवार येदियुरप्पा के फैसले को सही मानता है , और RSS को सही मानना भी चाहिए ।अब उसे खेमे से यह बात भी उठाई जा रही है कि टीपू सुल्तान के साथ-साथ उनके पिता हैदर अली से जुड़े चैप्टर भी इतिहास की पुस्तकों से हटा दिए जाएं।
टीपू सुल्तान की एक तस्वीर है जो कि उनकी असली तस्वीर मानी जाती है। माना जाता है कि यह चित्र जर्मन पेंटर जोहन ज़ोफानी ने 1780 में तब बनाया था जब टीपू 30 साल के थे। विवाद टीपू की तस्वीर को लेकर भी उठा और टीपू जयंती पर बीजेपी की राज्य सरकार की पाबंदी पर भी।
कर्नाटक हाई कोर्ट ने राज्य के मुख्यमंत्री से पूछा है कि राज्ये में 28 जयंतियां मनाई जाती हैं , जब उनको मनाने में कोई ऐतराज़ नहीं है तो टीपू से परहेज़ क्यों? आपको याद दिला दें जब येदियुरप्पा ने बीजेपी छोड़कर केजीपी का दामन थामा था तो टीपू के मामले में उनकी विचार धारा अलग थी ,टीपू के लिए उनमें प्रेम जगा हुआ था।
लेकिन बीजेपी में आते ही येदियुरप्पा बदल गए, टीपू जयंती पर ही रोक लगा दी।अब आप बताएं कि जो इतिहास पार्टियों के बदलने से बदल जाता है , तो ऐसे इतिहास की प्रमाणिकता( IDENTITY ) क्या बचेगी ?? यह सोच भारत की भारतीयता को ही ख़त्म करने की योजना लगती है । भारत की विश्व में पहचान अनेकता में एकता , unity in diversity , गंगा जमनी तहज़ीब , मिला जुला समाज ,सेवा परमो धर्म: ,वसुधेव कुटुंबकंम , अतिथि देवो भव्य जैसे जुमलों से ही बनी है ।
वर्ना सच्चाई यही है की भारत कोई विकसित देश नहीं है , पेट्रोल उत्पादक देश नहीं है , दुनिया के हाई टेक विमान , हथ्यार , रोबोट या उपकरण हम नहीं बनाते हैं , हम तो दीवाली की आतिशबाज़ी तक का सामान चीन से मंगाते हैं ।हमारी पहचान यही है की हम बहु धार्मिक , बहु भाषीये , बहु सांस्कृतिक , होने के बावजूद एक हैं ।एकम् ब्रह्म, द्वितीय नास्ते, नेह-नये नास्ते, नास्ते किंचन में विशवास रखते हैं ।
आपको मालूम है देश में बीजेपी के सरकार में आने के बाद से पूरा ध्यान हिन्दू राष्ट्र बनाने पर रहा है इस सम्बन्ध में सरकारी एजेंसियों को ज़िम्मेदारियाँ दी गयी हैं की उस योजना को जो भारत को हिन्दू राष्ट्र बनाने में सहायक हो अमल में लाये , चाहे रोज़गार,बिजली , पानी , शिक्षा , स्वास्थ्य , मंहगाई , खाद्य पदार्थों में गुणवत्ता की कमी , पर्यावरण , किसानो की समस्याएं , आदिवासियों की समस्याएं , भ्रष्टाचार , पोलुशन, असहिष्णुता , और साम्प्रदायिकता जैसे मुद्दों और समस्यायों की तरफ कोई धयान नहीं है , बस तीन तलाक़ , पाकिस्तान ,मंदिर मस्जिद , लव जिहाद , गाये गोबर , गोमूत्र , योग ,और दुसरे धार्मिक आस्था के मुद्दों में दिलचस्पी रहती है ।
हालांकि यह सब दिखावा है भारत की हिंदूवादी जमात का ड्रामा करने वाली पार्टियों से देश की हिन्दू अवाम को आर्थिक , सामाजिक , राजनितिक या निजी स्तर पर कोई उल्लेखनीय लाभ नहीं है । हिन्दू मज़दूर वही मज़दूर है , हिन्दू रिक्शा वाला वही है , किसान उसी स्तिथि में है बल्कि और बुरी स्तिथि में आगया है , हिन्दू नौजवान ग़रीबों की संख्या पहले कई गुना बढ़ गयी है ,हिन्दू नेताओं ,अफसरों और अधिकारीयों की हत्याएं बढ़ी हैं , इन सबके रिकॉर्ड मौजूद हैं
आस्था और धर्म का सम्बन्ध इंसान की अपनी निजी सोच और विचार धारा से है , सरकारों का यह काम नहीं होता की जनता को क्या खाना है क्या नहीं , कोनसा धर्म अपनाना है कोनसा नहीं , विकसित देशों में ये सब मुद्दे नहीं होते । अगर डोनाल्ड ट्रम्प जैसा कोई शासक धार्मिक मुद्दों को लेकर वहां की जनता का शोशण करता है तो यह देश की पराजय और विनाश की ओर इशारा है जिसका प्रमाण अमेरिका की गिरती जीडीपी और और आर्थिक मंदी है। और अमेरिका के नौजवानो में तेज़ी से बढ़ती नशे की लत तथा वहां के आर्मी के जवानो में बढ़ते STRESS के कारण आत्म हत्यायों का ग्राफ लगातार ऊपर जा रहा है।
आजकी सत्तारूढ़ पार्टी की योजनाओं का मुख्य फोकस फ़ुज़ूल के मुद्दों पर क्यों है ,उसकी वजह यह है जनता को आस्था और धर्म के नाम पर साथ ही पाकिस्तान को दुश्मन बनाकर रखने में सत्ता में बने रहना ज़्यादा आसान है ।इसी के चलते कर्नाटक बोर्ड के लिए सिलेबस तैयार करने वाली संस्था यह तय करने में लगी है कि टीपू और हैदर अली के बारे में जो अब तक पढ़ाया जा रहा है वही पढ़ाया जाए या इसमें बदलाव किए जाएं। आप बताएं क्या ये देश के ISSUES हैं ?
संघ परिवार का आरोप है कि टीपू ने लोगों का धर्म परिवर्तन करवाया और कुदगु जिले में नरसंहार भी किया।जबकि प्रसिद्द इतिहासकार प्रोफेसर के नरसीमैयाह कहते हैं कि टीपू ने कुदगु में हमला इसलिए किया क्योंकि वहां के लोगों ने सात बार अंग्रेज़ों से मिलकर टीपू के खिलाफ बगावत की। कोई भी राजा अपने क्षेत्र की बगावत बर्दाश्त नहीं कर सकता इसलिए उसने हमला किया। टीपू के अलावा दूसरे हिन्दू राजाओं ने भी यही किया।
इस तरह के धार्मिक और जज़्बाती झूठे मुद्दों को उठाकर जनता को बहकाना और देश में लगातार सांप्रदायिक माहौल बनाकर रखना बीजेपी की योजना का बड़ा हिस्सा बन गया है ।जो देश को कमज़ोर बना रहा है , इस कमज़ोरी के भी प्रमाण मौजूद हैं ।
अगर वास्तव में आजके भारत में सरकारों की दिल चस्पी धार्मिक मुद्दों में ही ज़्यादा है तो चाहिए की सभी धार्मिक स्थलों में प्राथमिक सुविधाओं का उचित प्रबंध हो और बिजली पानी मुफ्त दी जाए , साथ ही श्रद्धालुओं के सफर , सुरक्षा , खान पान , तथा यात्राओं के दौरान फ्री निवास का प्रबंध कराये ताकि देश के करोड़ों की तादाद में ग़रीब परिवार भी अमरनाथ और चारों धाम जैसी यात्राओं का लाभ उठा सकें ।इसके विपरीत राजनितिक पार्टियां ग़रीब परिवारों के साथ यह बर्ताव करती है कि “चढ़ जा बेटा सूली पे राम भली करेगा”। धर्म के नाम नाम पर देश की भोली भाली जनता का दोहन उसका शोषण है जो नहीं होना चाहिए ।
हिन्दू राष्ट्र से यदि देश की जनता का भला होरहा हो , देश की Economy का भला हो रहा हो , देश का नाम विश्व में रोशन हो रहा हो , देश में शान्ति , अम्न , सद्भाव और प्यार बढ़ रहा हो , देश विकसित हो रहा हो तो हम हिन्दू राष्ट्र बनाने की अपील करेंगे.
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