उत्तर प्रदेश उप चुनाव में गोरखपुर जैसी ग़लती नहीं दोहराएगी कांग्रेस
कांग्रेस ने कैराना लोकसभा और नूरपुर विधानसभा उपचुनाव में उम्मीदवार नहीं उतारने का लिया फैसला
नई दिल्ली: देश में पंचायत , निकाय , उप चुनाव, विधान सभा तथा आम चुनाव् अब आम बात होगई है , यानि लोकतंत्र का यह त्यौहार अब कभी भी आजाता है , इसका कोई ख़ास मौसम नहीं रह गया है .
अब फिलहाल बात उत्तर प्रदेश के उपचुनाव की जिसमें कांग्रेस ऐसा कुछ भी नहीं करने वाली है, जिससे महागठबंधन की संभावनाओं पर कोई बुरा असर पड़े. इस महीने के अंत में होने वाले कैराना लोकसभा और नूरपुर विधानसभा उपचुनाव में कांग्रेस अपना कैंडिडेट नहीं उतारेगी .
इसकी वजह यह बताई जा रही है कि पार्टी इस कदम से विपक्ष के महागठबंधन की उम्मीदों को बढ़ाना चाहती है, ताकि इन दो सीटों पर बीजेपी को हराया जा सके. कांग्रेस पार्टी को उम्मीद है कि इस कदम से इन दो सीटों पर बीजेपी को टक्कर देने के लिए विपक्ष के महागठबंधन की संभावनाओं में सुधार होगा.
गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा उपचुनाव के अंतिम समय में अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी और मायावती की बहुजन समाजवादी पार्टी के बीच गठबंधन ने न सिर्फ बीजेपी को दोनों सीटों से हराया था, बल्कि दो दशक से सीएम योगी आदित्यनाथ का गढ़ माने जाने वाले गोरखपुर की सीट पर भी सपा-बसपा गठबंधन ने जीत दर्ज की थी. और इससे यह स्पष्ट संकेत गया कि अगर विपक्ष अपने सियासी मामलात सही रखता है तो वे 2019 में बीजेपी को हरा सकते हैं.
UP उप चुनाव में विपक्ष की सूझबूझ बदल सकती है सियासी समीकरण
बता दें कि इसी सप्ताह बसपा प्रमुख मायावती ने बातचीत में यह स्पष्ट कर दिया कि अखिलेश यादव के साथ उनका गठबंधन 2019 के लोकसभा चुनाव में भी जारी रहेगा. हालांकि, उन्होंने कहा कि इस समझौते पर काम हो रहा है और जल्द ही इसकी तफ्सील साझा की जाएंगी .
कांग्रेस नेता का कहना है कि कैराना लोकसभा उपचुनाव और नूरपुर विधानसभा उपचुनाव में उम्मीदवार नहीं उतारने का फैसला किया है. पार्टी का कहना है कि दोनों सीटों पर ग्रैंड अलायंस की जीत के मद्दे नज़र ये फैसला किया गया है.
बता दें कि बीजेपी के सांसद हुकूम सिंह के निधन के बाद कैराना और लोकेंद्र चौहान की मौत के बाद नूरपुर की सीट खाली हो गई थी. इस उपचुनाव में बीजेपी ने हुकूम सिंह की बेटी मृगांका सिंह को कैराना लोकसभा सीट से उतारा है, वहीं, लोकेंद्र चौहान की पत्नी अवनी सिंह को नूरपुर सीट के लिए प्रत्याशी बनाया है. वहीं, विपक्ष के महागठबंधन ने अजीत सिंह की नेतृत्व वाली राष्ट्रीय लोकदल के तबस्सुम बेगम को कैराना लोकसभा सीट से और सपा के नेमुल हसन को नूरपुर विधानसभा सीट से चुनावी मैदान में उतारा है.
हालांकि, कांग्रेस अभी तक औपचारिक रूप से इस गठबंधन का हिस्सा नहीं बनी है. इसी साल मार्च में हुए उपचुनाव में जहां बसपा-सपा ने एक साथ मिलकर कैंडिडेट उतारा था, वहीं कांग्रेस ने गोरखपुर और फूलपुर में अपना अलग कैंडिडेट खड़ा किया था. कैराना के लिए कांग्रेस का क़दम सराहनीये माना जारहा है . 2014 के चुनावों में, बीजेपी के हुकूम सिंह को करीब 50 फीसदी वोट मिले थे.
विपक्षी पार्टियों का Great Alliance 2019 आम लोक सभा चुनाव के समय तक किस शक्ल में पहुंचेगा इसका अनुमान लगाना मुश्किल है , किन्तु फिलहाल इस अलायन्स को भाजपा या सांप्रदायिक कही जाने वाले दलों के लिए एक चुनौती माना जारहा है .टाइम्स ऑफ़ पीडीए ब्यूरो