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श्रीलंका के पास सिर्फ एक दिन का पेट्रोल, भारत की मदद से दूर होगा पड़ोसी देश का ऊर्जा संकट.

श्रीलंका के पास सिर्फ एक दिन का पेट्रोल, भारत की मदद से दूर होगा पड़ोसी देश का ऊर्जा संकट.

श्रीलंका की डूबती अर्थव्यवस्था को भारत से बड़ा सहारा मिल रहा है। बदतर होते हालातों के बीच भारत श्रीलंका के लिए खेवनहार बनकर सामने आया है। आर्थिक संकट के साथ-साथ जब यह देश ऊर्जा संकट से भी घिर गया है, तो ऐसे समय में भारत की ओर से पड़ोसी देश को बड़ी मदद भेजी जा रही है। श्रीलंका में पेट्रोल का भंडार खत्म हो चुका है।

प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने सोमवार को राष्ट्र के नाम संबोधन में इस बात की पुष्टि करते हुए कहा भी कि ‘‘फिलहाल हमारे पास बस एक दिन के लिए पेट्रोल का भंडार है।’’ ऐसे में अब खबर आई है कि भारतीय ऋण सुविधा के माध्यम से श्रीलंका को बड़ी मदद मिलने वाली है। 

श्रीलंका ‘ड्रैगन’ के जाल में फंसकर आज बुरी तरह बर्बाद होता जा रहा है। देश में जगह जगह दंगे-फसाद हो रहे हैं, इनसब के चलते आए दिन मौते हो रही है। देश में आर्थिक तंगी चल रही है। श्रीलंका के इन सब हालातों की एक वजह महिंदा राजपक्षे का इस्तीफा देना भी माना जा रहा है। हालांकि, अब उनका स्थान रानिल विक्रमसिंघे ने लेते हुए श्रीलंका के नए प्रधानमंत्री के तौर पर शपथ भी ले ली है। सोमवार को रानिल विक्रमसिंघे ने एक ट्वीट थ्रेड शेयर जारी किया है जो उनके भाषण से लिया गया था। इसमें उन्होंने देश के वास्तविक आर्थिक हालात जनता को बताने की कोशिश की है और यह भी कहा कि, ‘यही सच है और यह भयावह है।’इतना ही नहीं यह देश इन दिनों बिजली, गैस और दवा जैसी जरूरी वस्तुओं के संकट से भी जुंझ रहा है। यदि ऐसा ही चलता रहा तो देश के हालत बाद से बदतर हो जाएंगे। आज श्रीलंका की हालत कुछ ऐसी हो गई है कि, कोई कह नहीं सकता यह एक समय में बहुत ही खूबसूरत और खुशहाल देश था।

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प्रधानमंत्री विक्रमसिंघे देश में मौजूदा आर्थिक संकट पर विश्व बैंक और एडीबी के प्रतिनिधियों के साथ चर्चा की और इस दौरान दवाई, भोजन और उर्वरक आपूर्ति के मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया गया. सरकारी बयान के मुताबिक, प्रधानमंत्री ने कहा कि बैठक के दौरान वित्तीय सहायता के लिए एक ‘फोरेन कन्सोर्टियम’ (विदेशी संघ) गठित करने के संबंध में भी विदेशी प्रतिनिधियों के साथ विचार-विमर्श किया.

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