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पाकिस्तान विदेश मंत्री ने शहे रग जम्मू कश्मीर को भारतीय स्टेट कहा

पाकिस्तान विदेश मंत्री ने शहे रग जम्मू कश्मीर को भारतीय स्टेट कहा

पाकिस्तान विदेश मंत्री ने शहे रग जम्मू कश्मीर को भारतीय स्टेट कहा ,आगे की रिपोर्ट देखें क्या हुआ !!

स्विज़रलैंड जिनेवा में पाक विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी की भी ज़बान फिसली ,कश्मीर का ज़िक्र ‘भारतीय राज्य जम्मू एवं कश्मीर’ कहकर किया।जिसको वो अपनी शह रग कहते रहे हैं

नई दिल्ली: पाकिस्तान कश्मीर के मुद्दे पर भारत को वैश्विक स्तर पर चौतरफा घेरने में लगभग नाकाम रहा है , पाक अभी तक अपनी शाह रग की हिफाज़त नहीं कर पाया है ।हालाँकि पाकिस्तानी प्राइम मिनिस्टर इमरान खान ने भारत को एक क़दम बढ़ने पर खुद को 2 क़दम आगे आने की offer दी थी मगर हालिया दिनों में पाक नुक्लेअर जंग की धमकी देते हुए भी सुना गया , आखिर अचानक इमरान खान का रवैया क्यों बदल गया ।

पाकिस्तान की तरफ से तरह-तरह के बयान जारी किए जा रहे हैं। इस बीच पाकिस्तान ने जम्मू कश्मीर को ‘भारतीय राज्य माना ‘ है। न्यूज एजेंसी ANI की तरफ से जारी वीडियो में पाक विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने जिनेवा में कश्मीर को ‘भारतीय राज्य जम्मू एवं कश्मीर’ कहते सुने जा सकते हैं ।

 

curtesy ANI

पाक विदेश मंत्री का यह ब्यान जिनेवा में चल रही मानवाधिकार परिषद की बैठक के बाद मीडिया से बात करते हुए शाह मेहमूद कुरैशी की भी ज़बान फिसल गयी और जम्मू एवं कश्मीर को भारतीय राज्य जम्मू एवं कश्मीर कह डाला , याद रहे जिनेवा सन्धि की पहल भूतपुर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के कार्यकाल में हुई थी ।

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इस सन्धि के तहत अगर भारत का कोई भी सिपाही अन्य देश के कब्जे में आता हैं तो उसके साथ मानवीय बरताव किया जाएगा उसे किसी प्रकार की कोई हानि नहीं पहुंचाई जाए , इस सन्धि के तहत हालही में भारत के विंग कमांडर अभिनन्द को पाकिस्तान द्वारा रिहा किया गया इससे पहले L K लचिकिता को भी पाक ने जीनेवा सन्धि के नियमों को पालन करते हुए उनको अपने देश भारत पहुँचाया।

जिनेवा सम्मेलनों में चार संधियां और तीन अतिरिक्त प्रोटोकॉल (मसौदे) शामिल हैं जो युद्ध के मानवीय उपचार के लिए अंतरराष्ट्रीय कानून के मानकों को स्थापित करते हैं।  द्वितीय विश्व युद्ध (1939-45) के बाद बातचीत के जरिए 1949 के समझौतों को दर्शाता है, जिसमें पहली तीन संधियों (1864, 1906, 1929) की शर्तों को अपडेट किया गया और चौथी संधि जोड़ी गयी।

चौथे जिनेवा सम्मेलन (1949) के अनुच्छेदों में बड़े पैमाने पर कैदियों के युद्धकालीन बुनियादी अधिकारों (नागरिक और सैन्य) को परिभाषित किया गया; युद्ध क्षेत्र में और आसपास के क्षेत्र में नागरिकों और घायलों के लिए सुरक्षा स्थापित किये जाने की व्यवस्था दी। 1949 की संधियों का 194 देशों ने पूर्णतः या कुछ आपत्ति के साथ approval किया।

curtesy The Sun

पाकिस्तानी विदेश मंत्री कुरैशी ने कहा, ‘भारत दुनिया को यह जताने की कोशिश कर रहा है कि कश्मीर में जिंदगी सामान्य हो गई है। उन्होंने कहा ,अगर जिंदगी सामान्य है तो भारत की सर्कार अंतरराष्ट्रीय मीडिया, अंतरराष्ट्रीय संगठन, एनजीओ, सिविल सोसायटी को भारत के राज्य जम्मू-कश्मीर में जाने क्यों नहीं दे रहे। उन्हें खुद सच्चाई क्यों नहीं देखने दे रहे।’ कुरैशी ने आरोप लगाया कि वे झूठ बोल रहे हैं। एक बार कर्फ्यू हटते ही सच्चाई बाहर आएगी और दुनिया जानेगी कि वहां क्या तबाही चल रही है।’

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बता दें कि इससे पहले कश्मीर की स्थिति पर संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त मिशेल बैश्लेट ने जिनेवा में मानवाधिकार परिषद के 42वें सत्र में ‘जम्मू कश्मीर में बिगड़ती स्थिति को लेकर चिंता जताई थी ।

मिशेल बैश्लेट ने कहा कि कश्मीर में मानवाधिकार स्थिति और वहां लगातार प्रतिबंधों पर संयुक्त राष्ट्र की चिंता विश्व निकाय के रुख के ही अनुरूप है। बैश्लेट ने सोमवार को कश्मीर में प्रतिबंधों पर ‘गंभीर चिंता’ जताई और मूलभूत सुविधाएं लोगों तक पहुँचाने के लिए भारत से प्रतिबंधों में ढील देने को कहा। उन्होंने भारत और पाकिस्तान से कश्मीरी लोगों के मानवधिकार सुनिश्चित करने को भी कहा।

उधर, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने ट्विटर पर कहा, ‘अब समय आ गया है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय को भारतीय सेना बलों की ओर से किए जा रहे मानवाधिकार उल्लंघन पर अलग राय नहीं रखनी चाहिए।’ और उनको कश्मीरी अवाम के अधिकारों के लिए आगे आना चाहिए ।

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