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मुर्शिदाबाद हिंसा का साजिशकर्ता कौन?

मुर्शिदाबाद हिंसा का साजिशकर्ता कौन?

मेहमूद मदनी ने वक़्फ़ संशोधन पर AIMPLB और ओवैसी के मौक़िफ़ का किया समर्थन

SDPI सदस्यों ने पिछले कई दिनों से इलाके में मुस्लिम समाज के युवाओं को वक़्फ़ के नाम पर भड़काना शुरू कर दिया?

TOP Bureau // New Delhi : आज राजनैतिक और वैचारिक विरोध का तरीक़ा यह है कि पहले माहौल बनाओ , फिर शक करो और फिर विरोधी को आरोपी बना डालो .

यह किसी भी विरोधी गुट, संस्था या राजनितिक पार्टी को कमज़ोर करने या घुटनो पर लाने का सत्ता पक्ष का आज़माया हुआ सियासी नुस्खा है .और यह हथकंडा आज लगभग सभी पार्टियां अपनाती हैं .

इसी नीति के चलते SDPI और बांग्लादेश के चरमपंथी संगठन पर शक करते हुए मुर्शिदाबाद हिंसा का आरोप सेट किया जा रहा है .

Murshidabad violence

On Murshidabad violence Yusuf Pathan

कहा जा रहा है के पश्चिम बंगाल पुलिस की जांच में इस बात का इशारा किया गया है कि SDPI सदस्यों ने पिछले कई दिनों से इलाके में मुस्लिम समाज के युवाओं को वक़्फ़ के नाम पर भड़काना शुरू कर दिया था.

अब अगर आप भड़काने वाले जुमलों का पिछले 11 वर्षों का इतिहास निकालें तो अभी भी आपको सत्तापक्ष के हज़ारों नेताओं के भाषणों में भड़काव मिलेगा , नफ़रत और द्वेष मिलेगा जो असंवैधानिक है .

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सरकार में बैठा कोई नेता किसी वर्ग ,समुदाय या पंथ विशेष के ख़िलाफ़ धर्म जाती सूचक शब्दों का इस्तेमाल नहीं कर सकता ,यह कठोर आरोप की श्रेड़ी में आता है मगर आप यह सब रोज़ देख रहे हैं .

दरअसल पश्चिम बंगाल में लगातार हिंसा और अशांति को बढ़ावा दिया जा रहा है . ताकि राज्य हुकूमत के ख़िलाफ़ Narrative set किया जाए की देखो जी सूबे की सर्कार शासन करने में नाकाम हो रही है .

इसी के चलते मुर्शिदाबाद में हिंसा की घटनाएं सामने आईं, और इसके बाद घटना के पीछे एसडीपीआई का हाथ बताया जाने लगा .

इसके अलावा कहा गया के बांग्लादेश से जुड़े चरमपंथी संगठनों की भूमिका भी जांच के दायरे में है. मामले की जांच कर रही बंगाल पुलिस को कुछ ऐसे इनपुट्स मिले हैं इत्यादि .

अब इस प्रकार कि बातें करके किसी वर्ग , समुदाय या पार्टी के ख़िलाफ़ Propeganda किसी भी सर्कार के लिए करना बहुत छोटा काम है .

SDPI सदस्यों पर आरोप लगाया जा रहा है कि उन्होंने पिछले दिनों इलाके में मुस्लिम समाज के युवाओं को वक़्फ़ के नाम पर भड़काना शुरू किया था.

यानी समस्याओं के बारे में बात करना या समाज को जागरूक करना भड़काने का अमल बता दिया गया .

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अगर इसको भड़काना कहा जाएगा तो यह काम सत्तापक्ष की पार्टियों के नेता और संवैधानिक पदों पर बैठे लोग दिन में १० बार करते हैं , जिसके प्रमाण मौजूद हैं .

जमीअत उलेमा हिन्द के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व सांसद मौलाना महमूद मदनी ने वक़्फ़ क़ानून में बदलावों पर गहरी चिंता व्यक्त की,और बिल को मुस्लिम समुदाय के ख़िलाफ़ बताया .

मौलाना महमूद ने अपनी प्रेस कांफ्रेंस में इस बिल को देश के आम नागरिकों के भी ख़िलाफ़ बताया . उन्होंने मीडिया को बताया कि नया वक़्फ़ कानून न केवल भारतीय समाज और मुस्लिम समुदाय के विरुद्ध है, बल्कि इसका उद्देश्य कुछ ख़ास बिल्डरों को लाभ पहुंचाना है.

प्रेस वार्ता के दौरान Main Stream Media के एक Reporter द्वारा पूछे गए सवाल पर मदनी भड़क उठे. उन्होंने वक़्फ़ अमेंडमेंट पर असदुद्दीन ओवैसी और आल इण्डिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के विरोध का समर्थन करते हुए सभी संगठनों से अपनी अपनी ताकत दिखाने की बात की .

मुर्शीदाबाद में हुई हिंसा को लेकर सवाल पूछा गया जिसपर महमूद मदनी ने कहा इसके लिए आपको सवाल मुल्क के गृहमंत्री जी से करना चाहिए .

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