मुंबई की सड़कों पर मुसलमानों का सैलाब उमड़ आया आख़िर क्यों ?
देश के विकास ,अमन और इंसाफ़ के लिए मुसलमान देशभर में इस प्रकार की संविधान रैलियां निकालने की योजना बना रहे हैं : सलीम अहमद क़ुरैशी
महाराष्ट्र में गुस्ताख़े रसूल और अमन के दुश्मन रामगिरी महाराज और बीजेपी नेता नितेश राणे के खिलाफ एक्शन की मांग का मामला अब तूल पकड़ता जा रहा है. राणे कहते हैं के हमने जो कहा एक्शन का रिएक्शन था .
हम पूछते हैं इस मुद्दे पर पहला एक्शन तो रामगिरी का है तो उसपर तुमको रिएक्शन में मुसलमानों का साथ देना चाहिए था . FIR होने के बाद भी अपराधी कि गिरफ्तारी न हो तो अब इन्साफ कौन करेगा ? इतना ही नहीं हुआ , महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री रामगिरी जो अपराधी हैं उनके समर्थन में बयान देते हुए सांप्रदायिक बयान दे रहे हैं . यह देश के साथ , लोकतंत्र और संविधान के साथ बग़ावत है . और बागी कोई भी हो उसको सज़ा तो मिलनी ही चाहिए .
चुनाव देश के लोकतंत्र , संविधान और नागरिकों के अधिकारों की रक्षा के लिए कराये जाते हैं . ताकि सर्वसमति से कुछ लोगों को इसकी ज़िम्मेदारी दे दी जाए . लेकिन आज इलेक्शन न होगये जंग का मैदान हो गए . हर वक़्त धुर्वीकरण , हर मामले में हिन्दू मुस्लिम . भारत को ख़त्म कर देना चाहते हैं ये देश के दुश्मन नेता .
देश में मुस्लमान किसी मंदिर , साधु , संत , धार्मिक नेता या किसी धार्मिक पुस्तक के खिलाफ कहीं बोलता मिल्या है क्या आपको . कहीं नहीं … अगर कोई मुस्लमान ऐसा करे तो तुरंत उसको भी सज़ा दे सरकार .
इंसाफ़ और सज़ा के मामले में यहाँ हाल यह है कि किसी ख़ास समुदाय के एक व्यक्ति को सिर्फ शेर या नज़्म पढ़ने पर ही सज़ा दी जारही है . और दूसरी तरफ खुले आम देश में आग लगाने वालों ,आये दिन देश के संविधान के धज्जियाँ उड़ाने वालों , समुदाय विशेष को धमकियाँ देने वालों , हेट स्पीच देने वालों और इससे भी बड़े बड़े जुर्म करने वालों को सरकारी संरक्षण दिया जा रहा है , और अपराधियों को फूल माला पहनाई जाती हैं .
मुंबई रैली के बाद असदुद्दीन ओवैसी और इम्तियाज़ जलील के भाषण और बयानों को भड़काऊ और धमकी बताने वाले TV cahnnel के स्क्रिप्ट लिखने वालों के पेन की स्याही उस वक़्त क्यों सूख जाती है और Anchors की ज़बान पर ताला क्यों लग जाता है जब धर्म विशेष को मस्जिदों में काटने , उनकी माँ बहनों की इज़्ज़त लूटने , उनका सामाजिक और आर्थिक बहिष्कार करने , उनको बर्बाद करने और सबक़ सिखाने की बात दुसरे नेता खुले मंचों से जनता को भड़काने और देश में आग लगाने का काम कर रहे होते हैं .
भडकाव बयानबाज़ी किसी की भी हो वो तो गलत है उसका समर्थन हरगिज़ नहीं होना चाहिए . लेकिन इस भड़काव लहजे तक लाने वाले जो ज़हर उगलते हैं उनको लगाम कौन देगा ? उनको सज़ा कौन देगा ?
इस तरह कब तक चलता रहेगा , एक न एक दिन तो सब्र का बाँध टूट ही जाता है . उस स्थिति तक क्यों पहुंचाया जाता है . और क़ानून कि नज़र में किसी अपराध के लिए मजबूर करने वाला व्यक्ति अपराधी से बड़ा मुजरिम है .
अब इसी को कुछ मीडिया Houses यह कहकर चला देंगे कि देखो एक समुदाय को भड़काने का काम किया जा रहा है . दरअसल ज़ुल्म के ख़िलाफ़ और इंसाफ़ के लिए लड़ना या आवाज़ उठाना धर्म है .
श्रीकृष्ण ने अर्जुन को उपदेश दिया था कि तुम्हें अपने क्षत्रिय धर्म का पालन करना चाहिए और एक क्षत्रिय की भांति अपने अधिकारों के लिए लड़ना चाहिए . श्रीकृष्ण ने अर्जुन को दुर्योधन की महत्वाकांक्षा का उदाहरण देते हुए समझाया था कि अन्याय का प्रतिकार करना जरूरी होता है.
महाभारत में श्रीकृष्ण के दिए उपदेश से यह समझना जरूरी है कि अन्याय को न्याय से ही हराया जा सकता है।
मुंबई में निकाली गयी संविधान रैली से मुसलमान ने देश की Divide and Rule वाली नफ़रती सोच को यह पैग़ाम दे दिया कि मुसलमान अपना ज़ाती , जानी माली नुकसान बर्दाश्त कर सकता है .
लेकिन क़ुरआन , रसूल सल्ललाहु अलैहि वसल्लम या दीन पर किसी भी क़िस्म की गुस्ताखी को हरगिज़ बर्दाश्त नहीं करेगा और उसके लिए हर क़िस्म की क़ुर्बानी देने को तैयार रहेगा
जब इन्साफ नहीं मिलता तो जनता को सड़कों पर आना ही पड़ता है और किसी भी लोकतान्त्रिक प्रणाली में सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन करना जनता का संवैधानिक अधिकार है .
और अब देश का हर वंचित समुदाय और वर्ग इस बारे में सोचने लगा है , आख़िर कब तक देश की जनता नाइंसाफ़ी और ज़ुल्म को बर्दाश्त करेगी ???
लेकिन ध्यान रहे लोकतान्त्रिक और संवैधानिक अधिकार को लेने के लिए हिंसा नहीं होनी चाहिए , देश की संपत्ति या लोगों का किसी भी तरह का नुकसान नहीं होना चाहिए .
असुदद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM के पूर्व सांसद इम्तियाज़ जलील ने 23 सितंबर को छत्रपति संभाजीनगर से लेकर मुंबई तक शक्ति प्रदर्शन करते हुए राष्ट्रीय ध्वज के साथ संविधान रैली निकाली.कहा जा रहा है कि इस प्रकार की संविधान रैलियां देशभर में निकालने की योजना है .
इस मौक़े पर कुल हिन्द आसान निकाह और MFI के चेयरमैन सलीम अहमद ने मीडिया से बात करते हुए कहा देश के विकास के लिए हम सबको मिलकर प्रयास करने होंगे . उन्होंने कहा विकास के लिए देश में शांति का होना ज़रूरी है .
और शांति का सम्बन्ध इंसाफ़ से है , नागरिकों के साथ इंसाफ़ होगा तो अशांति आ ही नहीं सकती . इसलिए अब मुसलमान मुल्क के विकास और शांति के लिए देशभर में ऐसी रैलियां आयोजित करने की योजना बना रहे हैं . इन रैलियों में सभी धर्मों , वर्गों और संस्थाओं के लोग शामिल होंगे .
मगर सवाल यह है कि क्या सरकार AIMIM कि इस रैली के जान सैलाब को देखते हुए देशभर में इसकी इजाज़त देगी ???
इस रैली में AIMIM के लाखों कार्यकर्ता और नेताओं के साथ गैर मुस्लिम और मुस्लिम दोनों समुदायों के लाखों लोगों ने शिरकत करके यह बताया कि देश में नफ़रत के ख़िलाफ़ हर समुदाय साथ है .इस दौरान इम्तियाज जलील ने क्या कहा और इसपर कई अलग अलग videos भी देखिये और सुनिए
परभणी के एक हिंदू भाई ने रैली के लिए 100 गाड़ीयां दी।
सुनिए Adv Khizer Patel को, सलाम हैं इस हिंदू भाई को 😍🙏 pic.twitter.com/MFtLw0cfpb
— Junaid Aalam (@JunaidAalam84) September 23, 2024
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