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काश्मीर का खलनायक :-

काश्मीर का खलनायक :-

Mohammed Zahid

जम्मू काश्मीर के पूर्व गवर्नर जगमोहन नहीं रहे।

जम्मू काश्मीर के आतंकवाद को सांप्रदायिक ताने बाने में फिट करने वाले यह पहले व्यक्ति थो जिन्होंने ज़मीनी स्तर पर आतंकवाद से पीड़ित लोगों को हिन्दू मुस्लिम में बाँट दिया।

जम्मू काश्मीर का गवर्नर रहते यह शख्स कितना मज़बूती से संघ का एजेन्डा चला रहा था वह इस उदाहरण से समझिए।

राजीव गाँधी के सत्ता से हटते ही , काश्मीर में अचानक आतंकवाद का बवंडर आ गया , प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह बने और जाॅर्ज फर्नांडीज बने रेल मंत्री जिनको “काश्मीर” का प्रभार दिया गया।

कुछ दिनों बाद ही भाजपा के दबाव में खाटी संघी “जगमोहन” को काश्मीर का पुनः गवर्नर नियुक्त किया गया।

इसके कुछ दिनों बाद ही तब हम अलीगढ़ मुस्लिम युनिवर्सिटी के सर ज़ियाउद्दीन हाल के “रशीद अहमद सिद्दीकी” हास्टल के “हास्टल फंक्शन” में जार्ज फर्नांडीज को चीफ गेस्ट के तौर पर सुन रहे थे , वह 1990 का दौर था।

वहीं कुछ काश्मीरी छात्रों ने फर्नांडीज से काश्मीर में हो रहे कत्लेआम को लेकर सवाल जवाब करना शुरु कर दिया।

जार्ज फर्नांडीज ने हंगामा होता देख सबको , गेस्ट हाऊस में बातचीत करने के लिए आमंत्रित किया। मेरे सीनियर रूम पार्टनर काश्मीरी रऊफ भाई का भारत से मुहब्बत करने वाला छोटा भाई भी काश्मीर में गायब था।

मुझसे कहा कि चलो चलते हैं , जार्ज साहब से कहते हैं कि भाई को ढुढवा दें , मुझे अलीगढ आए कुछ दिन ही हुए थे , मैं उनको इंकार ना कर सका और चला गया।

गेस्ट हाऊस के एक कमरे पर जब सभी लोगों ने नाॅक किया तो एक महिला ने आकर दरवाजा खोला , और हम 10-12 लोगों को अंदर बिठाया , उस वक्त तो नहीं पर बाद में मैंने उस महिला को पहचाना कि वह “जया जेटली” थीं।

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दोनों एक ही कमरे में थे , वह पीछे बेड पर कोने में बैठ गयीं , और काश्मीरी लड़के जाॅर्ज फर्नांडीज से सवाल जवाब करने लगे। जगमोहन को हटाने की माँग करने लगे।

झुझला कर “जाॅर्ज फर्नांडीज” बोले , “मुझे पता है कि काश्मीर में क्या हो रहा है ? मैं वहाँ का इंचार्ज हूँ , मुझे मत बताईए , आप लोग जो बता रहे हैं उससे 100 गुना अधिक वहाँ बुरा हो रहा है”

सबने एक स्वर में बोला कि फिर आप रोकते क्युँ नहीं ? जगमोहन को हटाते क्युँ नहीं ?

जाॅर्ज फर्नांडीज ने लगभग चीखते हुए कहा , “जगमोहन , संघ का आदमी है , हमने उसे हटाया तो सरकार गिर जाएगी , हमें पता है कि वहाँ खून की नदियाँ बह रही हैं , पर हम मजबूर हैं , हम कुछ नहीं कर सकते”।

सभी लोग देर तक बहस करते रहे और जाॅर्ज फर्नांडीज यही एक बात रटते रहे कि “वह जगमोहन के सामने मजबूर हैं”।

जगमोहन वैसे तो 1984 से 1989 तक भी जम्मू काश्मीर के गवर्नर रहे , काश्मीर में आतंकवाद उनके ही कार्यकाल में पनपा , फला और फैला।

1990 के बाद वह उसी काश्मीर में खुल कर संघ का एजेन्डा चलाने लगे और आतंकवाद से पीड़ित लोगों को धार्मिक आधार पर बाँट कर , काश्मीरी पंडितों को सुरक्षित गलियारा देकर घाटी से बाहर निकाल दिया ,और मुसलमानों को वहीं आतंकवाद से मरने दिया।

बाद में यह नयी दिल्ली लोकसभा सीट से भाजपा के टिकट पर निर्वाचित हुए और अटल बिहारी बाजपेयी की सरकार में कई मंत्रालय के मंत्री रहे।

1989 में सांप्रदायिक राजनीति की फसल बोने वाले को RIH

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