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इतने बुरे हालात कभी नहीं देखे:मौलाना अरशद

इतने बुरे हालात कभी नहीं देखे:मौलाना अरशद

“हमने अपनी 85 साल की ज़िंदगी में इतने बुरे हालात कभी नहीं देखे”
हमारी लड़ाई किसी व्यक्ति या देश की जनता से नहीं, सरकार से है: मौलाना अरशद मदनी

नई दिल्ली, 4 मई 2025 :प्रेस विज्ञप्ति 
जमीयत उलमा-ए-हिंद की कार्यसमिति की दो दिवसीय बैठक के समापन के तुरंत बाद आज यहाँ जमीयत उलमा-ए-हिंद के मुख्यालय के मदनी हॉल में आयोजित विशाल प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए मौलाना मदनी ने अत्यंत भावुक स्वर में कहा कि “हमने अपनी 85 साल की जिंदगी में देश में इतने खराब हालात पहले कभी नहीं देखे, जैसे अब हैं।”

उन्होंने बेझिझक कहा कि सत्ता की कुर्सी जिस पत्थर पर टिकी है वह ‘नफरत’ है। सरकार का केवल एक ही सिद्धांत है—नफरत फैलाओ, लोगों को धर्म के आधार पर बांटो और आसानी से सत्ता प्राप्त कर लो ।

यह अफ़सोसनाक सच्चाई है कि सरकार ऐसा कोई काम नहीं करना चाहती जिससे देश की आम जनता को शांति और सुकून मिले, लोगों को रोज़गार और नौकरी मिलें, व्यापार के अवसर पैदा हों या जीवन स्तर में कोई सुधार आए।

मौलाना मदनी ने कहा कि आज देश में जो हालात हैं, उन्हें देखकर सिर्फ हम ही नहीं बल्कि हमारे ग़ैर-मुस्लिम भाई भी दुखी हैं। हर मुद्दे को धर्म से जोड़कर नफरत फैलाना आज की राजनीति का हिस्सा बन गया है। पहलगाम आतंकी हमले पर पूछे गए सवालों के जवाब में उन्होंने कहा कि किसी भी निर्दोष की हत्या बहुत बड़ा पाप है और जो लोग ऐसा करते हैं वे इंसान नहीं हो सकते।

Maulana arshad madni

Maulana Arshad Madni

उन्होंने कहा कि हम हर प्रकार के अन्याय की, चाहे वह किसी भी रूप में हो, निंदा करते हैं। आतंकियों के घरों पर बुलडोज़र चलाए जाने को लेकर सवाल पर उन्होंने कहा कि अगर वह घर वास्तव में आतंकियों के थे, तो हमें कोई आपत्ति नहीं है और हम इस कार्रवाई को उचित मानते हैं।

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लेकिन अगर केवल शक के आधार पर किसी निर्दोष के घर को मलबे में बदल दिया गया है, तो कोई भी न्यायप्रिय व्यक्ति इसे सही नहीं ठहरा सकता। उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि एक ऐसे पर्यटन स्थल पर जहाँ उस दिन तीन हज़ार से अधिक सैलानी मौजूद थे, कोई सुरक्षा व्यवस्था क्यों नहीं थी?

और यह भी कि जब हर चप्पे पर सेना और बीएसएफ तैनात है तो आतंकी वहां तक कैसे पहुंच गए? मौलाना मदनी ने कहा कि यह भी चिंता की बात है कि हमले के डेढ़ घंटे बाद तक भी पुलिस या सेना वहाँ नहीं पहुँची। स्थानीय लोगों ने अपनी जान जोखिम में डालकर घायलों की मदद की और उन्हें अस्पताल पहुँचाया।

क्या यह सुरक्षा व्यवस्था की विफलता नहीं है? एक अन्य सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि देश प्रेम और भाईचारे से ही आगे बढ़ सकता है। इसलिए हमें ऐसी सरकार चाहिए जो प्यार और मोहब्बत फैलाए, न कि नफरत की राजनीति करे।

वक्फ कानून में किए गए संशोधनों पर पूछे गए सवालों के जवाब में उन्होंने कहा कि हम इसे धर्म में हस्तक्षेप मानते हैं। जिन प्रावधानों को हटाया गया है, उससे स्पष्ट होता है कि सरकार हमारे वक्फ की संपत्तियों पर कब्जा करना चाहती है।

इस मुद्दे पर सड़कों पर उतरने की मांग के जवाब में मौलाना मदनी ने कहा कि हमारी लड़ाई किसी व्यक्ति या देश की जनता से नहीं है, बल्कि उस सरकार से है जो हमारे धार्मिक मामलों में सीधा हस्तक्षेप कर रही है।

उन्होंने स्पष्ट किया कि हम सड़कों पर उतरने को उचित नहीं मानते क्योंकि हमारे बुजुर्गों ने भी कभी ऐसा नहीं किया। उन्होंने कहा कि जब आज़ादी के तुरंत बाद बाबरी मस्जिद का विवाद शुरू हुआ, तब भी हमारे पूर्वज सड़कों पर नहीं उतरे, बल्कि 70 साल तक कानूनी लड़ाई लड़ी।

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भले ही हमारी मस्जिद ‘अखाड़े’ को दे दी गई, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने यह स्वीकार किया कि मस्जिद मंदिर को तोड़कर नहीं बनाई गई थी, जो हमारे पक्ष की पुष्टि करता है और यह हमारी बड़ी जीत है।

हालाँकि उन्होंने यह भी कहा कि नए वक्फ कानून को लेकर शांतिपूर्ण विरोध होना चाहिए और देशभर में ऐसे कई विरोध हो भी रहे हैं। जमीयत उलमा-ए-हिंद ने भी इसके खिलाफ तीन बड़े जलसे किए जिनमें लाखों लोगों ने भाग लिया, लेकिन किसी प्रकार की कोई अशांति नहीं हुई। उन्होंने कहा कि हमें कानून को अपने हाथ में नहीं लेना चाहिए।

हम शांति पसंद लोग हैं और हमें संविधान और कानून के दायरे में रहकर अपने अधिकारों की रक्षा करनी चाहिए। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यह जनता से जनता की लड़ाई नहीं है, बल्कि सरकार से है जो हमारा संवैधानिक हक छीनना चाहती है।

सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दायर हलफनामे पर उन्होंने कहा कि यह झूठ और भ्रामक है। उन्होंने कहा कि न्यायपालिका के फैसले न्याय और सच्चाई पर आधारित होते हैं और हमें विश्वास है कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला इंसाफ पर आधारित होगा।

एक और सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि इस्लाम दुनिया में सबसे तेजी से फैलने वाला धर्म है और कुछ लोग इसकी छवि को बिगाड़ने में लगे हुए हैं। कुछ लोग इस्लाम को आतंकवाद से जोड़ने की कोशिश कर रहे हैं, जो पूरी तरह झूठ है।

उन्होंने कहा कि इस्लाम एक सच्चा और न्यायप्रिय धर्म है, जिसमें न केवल किसी निर्दोष की हत्या से रोका गया है, बल्कि इसके लिए सख्त सज़ा का प्रावधान भी है। यही कारण है कि आज पूरी दुनिया में लोग तेजी से इस्लाम अपना रहे हैं।

फजलुर्रहमान क़ासमी
प्रेस सचिव जमीयत उलमा-ए-हिंद
9891961134
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