दोस्तों आपको ईरान के Nuclear Plants पर अमेरिकी हमले के बाद दुनिया के मुल्कों के Reactions का इंतज़ार होगा तो हम लेकर आये हैं आपके लिए आलमी मंज़रनामा प्रोग्राम. जिसमें दुनिया के ख़ास मुल्को और मुस्लिम सैन्य संस्थाओं के Reactions को हम आपके सामने रखेंगे , उसके आखिर में पाकिस्तानी Strategy का हल्का सा इशारा भी करेंगे हो सकता है आप उससे सहमत हों
सबसे पहले ईरान
हमलों के बाद अपने पहले Public बयान में ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराक़ची ने अमेरिका पर अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन करने का आरोप लगाया।
उन्होंने एक सोशल मीडिया पोस्ट में कहा, “संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य होने के बावजूद, अमेरिका ने ईरान की शांतिपूर्ण परमाणु Sites पर हमला करके संयुक्त राष्ट्र चार्टर, अंतरराष्ट्रीय कानून और परमाणु अप्रसार संधि (NPT) यानी Non-Proliferation Treaty का गंभीर उल्लंघन किया है।”
उन्होंने आगे कहा, “आज सुबह (sunday) की घटनाएं निंदनीय हैं और इसके Long-term Results होंगे। संयुक्त राष्ट्र के प्रत्येक सदस्य को इस बेहद खतरनाक, गैरकानूनी और आपराधिक कृत्य को लेकर सतर्क हो जाना चाहिए।”
अराक़ची ने यह भी कहा कि ईरान “अपनी संप्रभुता, हितों और जनता की रक्षा के लिए सभी विकल्प सुरक्षित रखता है।”
इज़राइल
इसके बाद इज़राइल की प्रतिक्रया आई और प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने एक टेलीविज़न बयान में कहा,“बधाई हो, राष्ट्रपति ट्रंप को ।
ईरान की परमाणु सुविधाओं को निशाना बनाने का आपका साहसिक निर्णय, अमेरिका की महान और न्यायोचित शक्ति के साथ, इतिहास को बदल देगा।”
नेतन्याहू ने कहा “इतिहास यह दर्ज करेगा कि राष्ट्रपति ट्रंप ने दुनिया के सबसे ख़तरनाक शासन को दुनिया के सबसे ख़तरनाक हथियारों से महरूम करने के लिए कदम उठाया।”
संयुक्त राष्ट्र
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटरेस ने कहा,
“मैं आज अमेरिका द्वारा ईरान के खिलाफ बल प्रयोग किए जाने से अत्यधिक चिंतित हूँ।”
“यह एक बेहद संवेदनशील क्षेत्र में एक खतरनाक बढ़ोतरी है – और अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए सीधा खतरा है,” उन्होंने कहा कि “यह संघर्ष तेजी से बेकाबू हो सकता है – जिससे आम नागरिकों, क्षेत्र और दुनिया के लिए विनाशकारी परिणाम हो सकते हैं।”
गुटरेस ने सदस्य देशों से आग्रह किया कि वे “तनाव कम करें” और “UN चार्टर और दुसरे अंतरराष्ट्रीय कानूनों के तहत अपनी ज़िम्मेदारियों को निभाएं ”
“इस संकटपूर्ण घड़ी में, अशांति के बुरे दौर से बचना बहुत ज़रूरी है।। इस स्थिति का कोई सैन्य समाधान नहीं है। आगे बढ़ने का एकमात्र रास्ता है—Diplomatic Dialogues। और एकमात्र शांति की उम्मीद ”
हमास
हमास के official में कहा गया कि वह “ईरान की संप्रभुता और क्षेत्र पर अमेरिका की बेशर्मी वाले हमले की कड़े से कड़े शब्दों में निंदा करता है।”
हमास ने कहा, “ईरान के खिलाफ अमेरिकी हमला एक खतरनाक उकसावे की कार्रवाई है, जो ज़ालिमों और नाजाइज़ क़ब्ज़ों वाले एजेंडे के प्रति अंधभक्ति और अंतरराष्ट्रीय कानून का स्पष्ट उल्लंघन है।”
“हम ईरान, उसकी Leadership Power और जनता के साथ एकजुटता की घोषणा करते हैं और हमें ईरान की अपनी संप्रभुता की रक्षा करने की क्षमता पर पूरा विश्वास है।”
हिज़्बुल्लाह
लेबनानी सशस्त्र समूह हिज़्बुल्लाह ने ईरान पर अमेरिका के “बर्बर और विश्वासघाती” हमले की कड़ी निंदा की।
हिज़्बुल्लाह ने अरबी ज़बान में एक बयान में कहा, “यह एक लापरवाह, खतरनाक और Careless escalation है, जो युद्ध के दायरे को फैलाने और क्षेत्र व विश्व को ऐसे अंजाम की ओर धकेलने की आशंका पैदा करता है जिसके नुकसान का अंदाज़ा लगाना मुश्किल है ।”
“यह हमला इस बात की दलील है कि अमेरिका और इज़राइल के बीच इस्लामी गणराज्य (ईरान) के खिलाफ युद्ध की PLanning पहले से थी बल्कि न केवल ईरान के खिलाफ, बल्कि ग़ज़ा, लेबनान, सीरिया और यमन में चल रहे तमाम युद्धों और अपराधों में भी इनकी आपसी साझेदारी रही है ।”
उन्होंने यह भी कहा, “लेकिन इस सब के बावजूद हमें यक़ीन है कि ये हमले ईरान को उसकी प्रगति और विकास के मार्ग से नहीं रोक पाएंगे।”
हूथी
ईरान समर्थक यमनी समूह हूथियों ने अमेरिका द्वारा ईरान पर किए गए हमले को सभी अंतरराष्ट्रीय कानूनों और समझौतों का खुला उल्लंघन करार देते हुए उसकी निंदा की और कहा कि यह क्षेत्रीय और वैश्विक शांति और सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा है।
हूथी गठबंधन के अल-मसीरा टीवी पर जारी एक बयान में समूह ने कहा कि यह हमला अमेरिका द्वारा इज़राइल को दिए जा रहे “असीम समर्थन” का हिस्सा है।
हूथियों ने कहा, “यह आक्रामकता ईरान के उस रुख के खिलाफ की गई है जो फ़िलिस्तीनी मुद्दे के समर्थन में और ज़ायोनिस्ट सत्ता के खिलाफ जिहाद व प्रतिरोध आंदोलनों के पक्ष में रहा है।”
सऊदी अरब
सऊदी अरब ने अमेरिका के हमलों के बाद “गंभीर चिंता” व्यक्त की है, SA के विदेश मंत्रालय ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा कि “सऊदी अरब इस्लामी गणराज्य ईरान में हो रहे सभी घटनाक्रमों को गंभीर चिंता के साथ देख रहा है, जिसमें अमेरिका द्वारा ईरानी परमाणु स्थलों को निशाना बनाना शामिल है।”
सऊदी अरब ने “संयम बरतने, तनाव को कम करने और हालात को और अधिक बिगड़ने से रोकने के लिए हरसंभव प्रयास किए जाने की ज़रुरत पर ज़ोर दिया और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील की कि वह “बेहद संवेदनशील हालात” में राजनीतिक समाधान निकालने के प्रयास तेज़ करे।
क़तर
क़तर ने अमेरिका द्वारा ईरान की परमाणु सुविधाओं पर किए गए हवाई हमलों के बाद गंभीर परिणामों की आशंका जताई और उसके विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा,
“हालिया दिनों में ख़ित्ते में जो तनाव बढ़ रहा है, वह क्षेत्रीय और वैश्विक स्तर पर विनाशकारी परिणाम ला सकता है।” क़तर ने आगे कहा , “हम सभी पक्षों से संयम बरतने, समझदारी दिखाने और तनाव न बढ़ाने की अपील करते हैं।”
ओमान
ईरान और अमेरिका के बीच परमाणु वार्ताओं में मध्यस्थता कर रहे ओमान ने अमेरिका के हमलों की कड़ी निंदा की है।
सरकारी ओमान न्यूज़ एजेंसी ने बताया, कि “ओमान ने अमेरिका द्वारा इस्लामी गणराज्य ईरान में किए गए सीधे हवाई हमलों से पैदा तनाव को लेकर गहरी चिंता, निंदा और विरोध व्यक्त किया है।”
रूस
राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की सुरक्षा परिषद के उप प्रमुख दिमित्री मेदवेदेव ने कहा कि कई देश ईरान को परमाणु हथियार देने को तैयार हो सकते हैं। उन्होंने देशों का नाम नहीं लिया, लेकिन कहा कि अमेरिका के हमले से बहुत कम नुकसान हुआ है और इससे तेहरान के परमाणु हथियारों की दिशा में प्रयास नहीं रुकेंगे।
रूस के विदेश मंत्रालय ने अमेरिका के हमलों की कड़ी निंदा करते हुए कहा,
“किसी भी तर्क के बावजूद किसी संप्रभु देश की भूमि पर मिसाइल और बम हमले करना एक गैर-जिम्मेदाराना निर्णय है, जो अंतरराष्ट्रीय कानून, संयुक्त राष्ट्र चार्टर और सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों का घोर उल्लंघन है।”
यहाँ आपने रूस के ब्यान और अरब देशों की भाषा शैली और अंदाज़ के फ़र्क़ को महसूस किया होगा , रूस का ब्यान एक बहादुर , सक्षम सैन्य शक्ति और परमाणु शक्ति वाले देश का लहजा साफ़ नज़र आरहा है .
जबकि अरब देशों के लहजे में दुनिया छूट जाने का डर और ऐशपरस्ती की बू आती है .उनके बयानात कायराना बुज़दिलाना और मह्कूमाना सुनाई पड़ते हैं .
ऐसा लग रहा है कि वो किसी के रहमो करम पर जी रहे हैं उनको अपने रब पर भरोसा नज़र नहीं आता.उनके ऊपर महलों में पलने वाली यहूदी औरतों का असर साफ़ दिखाई देता है .
चीन
अब कुछ इसी तरह का अंदाज़ आप चीन का भी देखें …..चीनी विदेश मंत्रालय ने कहा कि वह ईरान के परमाणु स्थलों पर अमेरिका के हमलों की “कड़ी निंदा” करता है, जो “United Nation चार्टर और International Law के उद्देश्यों और सिद्धांतों का गंभीर उल्लंघन है और यह मध्य पूर्व में तनाव को और बढ़ाता है।”
चीन ने कहा, “हम विवाद में शामिल दोनों फ़रीक़ों , ख़ास तौर से इज़राइल से कहते हैं कि वे जल्द से जल्द संघर्षविराम करें, नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करें और वार्ता की प्रक्रिया शुरू करें।”
चीन ने आगे कहा, “चीन अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ मिलकर न्याय की रक्षा करने और मध्य पूर्व में शांति व स्थिरता बहाल करने के प्रयास करने को तैयार है।
” यानी चीन का इशारा है अगर अमेरिका और इजराइल न माना तो हम भी इस जंग में कूद जाएंगे . हालांकि चीन का रवैया भी अभी तक diplomatic ही रहा है Physically उसने अभी तक किसी मज़लूम का साथ दिया हो ऐसा प्रमाण नहीं है .
लेकिन Moral Support चीन करता रहा है जिसका कोई बड़ा लाभ सेंट्रल या south Asia के देशों को नहीं हुआ है उसको अपने अजेंडे की सफलता में ज़्यादा दिलचस्पी रहती है .लेकिन वो European Nations के लिए एक खतरा तो है .
यूरोपीय संघ
यूरोपीय संघ की विदेश नीति की प्रमुख काजा कल्लास ने तनाव कम करने और Dialogues की अपील की है।
उन्होंने X पर लिखा,
“मैं सभी पक्षों से आग्रह करती हूं कि वे पीछे हटें, फिर से Dialogues की मेज पर लौटें और आगे किसी भी प्रकार के तनाव को रोकें ।”
हालांकि वो ईरान दुश्मनी या वैचारिक मतभेद से न बच सकीं और उन्होंने कहा ” कि ईरान को परमाणु हथियार विकसित करने की अनुमति नहीं दी जा सकती और यूरोपीय संघ के विदेश मंत्री सोमवार को इस स्थिति पर चर्चा करेंगे।
अब आप सोच रहे होंगे कि पाकिस्तान का कोई ज़िक्र क्यों नहीं है ,,,बिलकुल है साहब उसके बग़ैर साउथ एशिया की सियासत अधूरी है ….तो पाकिस्तान ने sunday को ईरान की परमाणु सुविधाओं पर अमेरिका के हमलों की निंदा करते हुए कहा कि ये हमले सभी international norms का उल्लंघन हैं और ईरान को Self Deffence का हक़ हासिल है। याद रहे यह बयान उस वक़्त आया जब कुछ दिन पहले ही पाकिस्तान सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के नाम की सिफारिश नोबेल शांति पुरस्कार के लिए की थी।
पाकिस्तान के विदेश मंत्री इशाक डार ने एक official बयान में कहा:
“पाकिस्तान ईरान की परमाणु सुविधाओं पर अमेरिका द्वारा किए गए उन हमलों की निंदा करता है, जो इज़राइल के हमलों की श्रृंखला के बाद हुए हैं। उन्होंने कहा हमें Region में तनाव की मुम्किना बढ़ोत्तरी को लेकर गहरी फ़िक्र है।”
हालांकि पाकिस्तान पर इलज़ाम है कि उसने 37 घंटे की उड़ान भरने वाले US bomber B 2 को अपनी एयर space मोहय्या कराई है और B2 Bomber ने वहां से पेट्रोल भरा लेकिन इसकी अभी तक कोई तस्दीक़ नहीं है .
अलबत्ता पाकिस्तानी field Marshal और army chief आसिफ मुनीर ने 18 jun को ही white house में Donald Trump के साथ लंच लिया था.
2001 में परवेज़ मुशर्रफ के बाद किसी पाकिस्तानी army chief की अमेरिकी सदर से वाइट हाउस में होने वाली यह मुलाक़ात कई मानों में चर्चा का विषय बनी हुई है .
पाकिस्तान सर्कार का iran के खिलाफ अमेरिका को किसी तरह का support या नरम रवैया इलाक़े और खुद पाकिस्तान के लिए घातक हो सकता है .
नंगे बादशाह के लिबास की तारीफ़ राष्ट्र को बर्बाद कर सकती है . zionist एजेंसीज शिया सुन्नी Card खेलने की पूरी कोशिश में लगी हैं जिसका इमकान भी पाकिस्तानी Social media में दिखाई दे रहा है .
लेकिन इसमें सऊदी अरब , तुर्किया और क़तर अगर समझदारी से काम लें तो सहयोनि ताक़तें सिर्फ खम्बा खसोट सकती हैं .
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