
Ali Aadil Khan , Editor’s Desk
असदुद्दीन ओवैसी के बाद आज़म खान को देश की राजनीती में अल्पसंख्यकों के बड़े नेता के तौर पर देखा जाने लगा था . हालांकि आज़म खान की छवि एक मग़रूर और मुतकब्बिर नेता के रूप में देखि जाती है . नवाब परिवार रामपुर और प्रदेश के कई मुस्लिम सियासी विरोधि आज़म की बढ़ती शोहरत को हज़म नहीं कर पा रहे थे .
आज़म खान का Hostile Group ऐसे मौके की तलाश में था जब उनसे बदला लिया जा सके . लेकिन इसका बड़ा लाभ उनको हो रहा है जो देश की सियासत में एक तीर से दो शिकार करना चाहते हैं .इसी रंजिश के चलते रामपुर सिटी की विधान सभा सीट आज़ादी के बाद पहली बार बीजेपी के किसी हिन्दू प्रत्याशी को मिली .
हालांकि अगर देश में ऐसा माहौल बन जाए कि मुस्लिम बहुल इलाक़ों से हिन्दू प्रत्याशी कामयाब हो और हिन्दू बहुल इलाक़ों से मुस्लिम तो यह बहुत खुशआइंद माहौल होगा . रामपुर शहर से बीजेपी के आकाश सक्सेना के विधायक बनने के बाद मुस्लिम समाज को ज़िले की क़िस्मत के सँवरने की भी उम्मीद जताई जा रही है .इसी के साथ नवाब नवेद मियाँ ने योगी आदित्य नाथ को अब तक का सबसे अच्छा CM होने का सर्टिफिकेट दे दिया है .
जैसा कि आपको मालूम है , 18 अक्टूबर 2023 को आज़म खान उनकी पत्नी और बेटे अब्दुल्लाह को उनके DOB मामले में रामपुर जिला Court से 7 साल क़ैद की सजा सुनाई गयी है .आज़म 27 माह की सजा के बाद 18 मई 2022 को ही अंतरिम ज़मानत पर जेल से बाहर आये थे .
यह मेरे लिए कहना मुश्किल है कि आज़म खान , क़ानून की नज़र में कितने मुजरिम हैं या कितने बेगुनाह , यह काम अदालतों का है .अब चाहे उनके साथ नाइंसाफ़ी हो या इंसाफ़ . लेकिन आज़म खान का देश के सदन में दिया गया एक बेबकाना और मुंसिफाना भाषण , और रामपुर में मौलाना मुहम्मद अली जौहर यूनिवर्सिटी (MAJU) का क़याम , प्रदूषित या पूर्वाग्रह से ग्रस्त मानसिकता वाले वर्ग को ज़रूर खटक रहे होंगे और उसी के परिपेक्ष में उनको एक मुजरिम बनाने की Script आज़म के समाज के सियासी दुश्मनों के साथ मिलकर लिखी जा रही होगी .
रामपुर जिला जेल से बाराबंकी जेल स्थान्तरित होते समय आज़म खान ने कहा हमारा एनकाउंटर भी हो सकता है ….कुछ भी हो सकता है . क्या उनके इस ब्यान को हलके में लिया जा सकता है ? या इसपर प्रश्न ने कोई संज्ञान लिया है ? क्या उनके वकीलों और पार्टी ने कोई संज्ञान लिया है . और क्या संज्ञान लिए जाने की ज़रुरत है भी या नहीं .
आज़म खान के केस में MAJU यूनिवर्सिटी को ख़त्म करने की योजना मुस्लिम गद्दारों के साथ मिलकर बनाई जा रही है . मौलाना मुहम्मद अली जोहर ऐसा नाम था जो देश की आज़ादी का प्रतीक, पूँजीवाद और साम्राजयवाद का सबसे बड़ा दुश्मन था . मगर आजके माहौल में परिस्तिथि एकदम विपरीत है .
खैर रहना इस दौर को भी नहीं है ….UPSC जिहाद का नाम देने वाली मानसिकता अपना काम कर रही है , जबकि सर्वपल्ली राधाकृष्णन और मौलाना आज़ाद के तालीमी मिशन पर काम करने वालों को MAJU जैसे Projects की हिफाज़त के लिए अपना कर्तव्य निभाना होगा . और MAJU को भी AMU , JMI , MANU , और उस्मानिया की तरह देश के लिए एक सरमाया बनाने के लिए ईमानदारी से कोशिश करनी होगी .
आज़म खान पर एक और आरोप यह है की उन्होंने UNVERSITY के Constitution में अपने ही परिवार के आने वाली कई पीढ़ियों तक chancelor बने रहने का क़ानून बना लिया है जिसपर लोगों को ऐतराज़ है . यह Objection अगर रामपुर की अवाम का है तो इसमें तरमीम की जाए और MAJU का तहफ़्फ़ुज़ किया जाए .ऐसी हमारी राये है .और आज़म खान कि मुसीबतों का यह सुझाव एक हल हो सकता है
आज़म खान की परेशानियों का एक दूसरा हल यह भी है के वो और उनके परिवार के लोग अपनी अवाम से माफ़ी मांग लें . मुझे लगता है इसके बाद उनके परिवार के ऊपर से मुसीबतों के बादल छठ जाएंगे . और इज़्ज़त में भी १० गुना इज़ाफ़ा होजायेगा शर्त यह है उनकी इस माफ़ी में अल्लाह कि रज़ा भी शामिल हो .
हर दौर में देखा गया है के हुकूमतें अकलियतों ख़ास तौर से मुसलमानों की तालीमी , इक़्तेसादी और सियासी हिस्सेदारी को लेकर संजीदा नहीं रहीं हैं .बल्कि कांग्रेस सत्ताकाल में जारी सच्चर कमेटी की रिपोर्ट ने खुद कांग्रेस में बैठे सांप्रदायिक सोच वाले नेताओं और उनकी नीतियों का पर्दा फ़ाश करदिया है .अब अगर बीजेपी , कांग्रेस पर मुसलमानों के उत्पीड़न का आरोप लगाती है तो क्या ग़लत है ?
देश में मुसलमानों के साथ लगातार सौतेलेपन की राजनीती पर मुस्लिम नेताओं की खामोशी और बेहिसी उनकी मौक़ापरस्ती को दर्शाता है . हालाँकि कई तजज़ियानिगार मुलायम सिंह और उनकी पार्टी समाजवादी की नीतियों को भी मुस्लिम मिख़ालिफ़ बताते रहे हैं , 2013 के मुज़फ्फर नगर दंगों में समाजवादी की सरकार आजतक सवालों के घेरे में है
लेकिन हमारा मानना है कि मुल्क में मुस्लिम समुदाय के हालात के लिए मुस्लिम क़यादत बड़ी ज़िम्मेदार है . हालांकि बीजेपी सबका साथ सबका विकास के नक़ली नारे के साथ असलियत में देश को ,,,,,कांग्रेस , लेफ्ट , क्रिस्चियन , मुस्लिम और दलित मुक्त भारत बनाने में काफी ईमानदार नज़र आती है .क्योंकि उनका OPEN एजेंडा यही है .
हो सकता है आजकी नई कांग्रेस ने हालात से सबक़ ले लिया हो , और आइंदा अपनी नीतियों और नीयत में तब्दीली ले आये .अब जो बात हम आपसे कहने जा रहे हैं यह काफी लोगों को परेशान कर सकती है विचलित कर सकती है लेकिन इसको सुन्ना होगा . और वो बात यह है कि इससे इंकार नहीं किया जा सकता कि कांग्रेस के आने के बाद सत्ता में सिर्फ पार्टी का नाम बदला हुआ दिखाई दे किन्तु हुकूमत चलाने वाली विचारधारा जो आज है कल भी वही हो सकती है.
ऐसे में जब 5 राज्यों में Assembly और देश में लोकसभा चुनाव सर पर हैं , मुस्लिम जमातों , संस्थाओं और नेताओं की तरफ से देश के Deprived या वंचित वर्गों के लिए कोई Proposal ,चार्टर या Strategy अभी तक नहीं बनाई गयी है . बस एक नारा है जिसके सहारे देश की 67 % जनता को छोड़ा जाएगा , INDIA को लाना है बीजेपी को भगाना है .
और विडंबना यह है के इस नारे को ढोने का ठेका भी मुस्लिम , SC , ST और आदिवासी नेताओं और वोटर्स को दिया जा रहा है . जबकि इसके survival की कोई मज़बूत योजना अभी तक नहीं बनाई गयी है . INDIA गठबंधन में सिर्फ 5 Alfabets को जोड़ा गया है जबकि दिल अभी नहीं जुड़े हैं और INDIA में भी पार्टियां या नेता कोई परलोक से तो उतरे नहीं हैं इसी स्वार्थी समाज के बीच के ही हैं , यह अलग बात है फ़िलहाल INDIA के Partners का सियासी दुश्मन एक ही है . दरअसल देश और जनता कि चिंता किसी को नहीं है सबको अपने अपने अस्तित्व और सत्ता की फ़िक्र सत्ता रही है .
तथाकथित धर्मनिरपेक्ष राजनितिक पार्टियां कहीं बीजेपी का डर दिखाकर मुस्लिम वोट पर क़ब्ज़ा करने कि कोशिश कर रही हैं तो बीजेपी हिन्दू को खतरे में बताकर हिन्दू वोट Polarise करने में मसरूफ है . कुल मिलाकर देश में अभी तक हमेशा की तरह ख़ौफ़ और नफरत के आधार पर elections का माहौल बनाने का काम चल रहा है .
उधर वंचित और हाशिये पर पड़े समाजों के सौदागर आज फिर अपनी अपनी क़ौम का सौदा करने के लिए सियासी बाजार में दूकान लगाकर बैठ गए हैं , और खरीदारों का इंतज़ार है . लेकिन आपको किसका इंतज़ार है कमेंट बॉक्स लिखकर बताएं . आपका मेज़बान इजाज़त चाहता है जय हिन्द .
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