”चिदंबरम जी का कहना की केंद्र सरकार द्वारा जनता को अर्थिक स्थिति और बेरोज़गारी जैसे ज़रुरी मुद्दो से भटकाकर, हलाल हराम के मुद्दो पर लाना सही है या गलत? हिंदुस्तान की जनता के हित में कोन से मुद्दे पर आवाज उठाना ज्यादा जरूरी है?”
उदयपुर में कांग्रेस नव संकल्प चिंतन शिविर के दूसरे दिन पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने केन्द्र सरकार और बीजेपी की नीतियों पर जमकर हमला बोला.
चिदंबरम ने कहा कि ध्रुवीकरण और आर्थिक नीति दोनों अलग-अलग मामले है. ध्रुवीकरण विशुद्ध रूप से राजनीतिक मुद्दा है. लेकिन आर्थिक नीति देश की लाइफ लाइन है. जिसे केन्द्र सरकार गंभीरता से नहीं ले रही है.पत्रकार वार्ता में चिदंबरम ने कहा कि केंद्र सरकार की आर्थिक नीतियां देश हित में नहीं है. जीएसटी के गलत इंप्लीमेंटेशन की वजह से राज्यों की हालत खराब हो गई है.
78 हजार करोड़ से भी ज्यादा का राज्यों का पैसा केन्द्र के पास है. केंद्र सरकार राज्यों को जीएसटी का पैसा समय पर नहीं दे रही है. आर्थिक मोर्चे पर केंद्र सरकार लगातार गलत कदम उठा रही है.रोजगार को लेकर चिदंबरम ने कहा कि 2019 में हमने केंद्र सरकार में रिक्त वेकैंसी को भरने की बात कही थी. उन्होंने कहा कि कांग्रेस के 2019 के घोषणापत्र में कहा था हम सरकार में आए तो केंद्र सरकार की 30 लाख खाली पदों को भरेंगे. आज 2022 चल रहा है, केंद्र में मोदी सरकार ने इन पदों को भरा नहीं है बल्कि और पद खाली हो गए हैं.चिंतन शिविर में आर्थिक मसलों की कमेटी के कन्वीनर पूर्व वित्त मंत्री ने कहा कि देश में अनाज को लेकर युक्रेन और रूस के युद्ध को दोषी ठहराया जा रहा है यह पूरी तरह से ठीक नहीं है.
इस युद्ध से पहले भी इस तरह के हालात थे. आज महंगाई बढ़ रही है, लेकिन मोदी सरकार के पास कोई तैयारी नहीं, ना ही कोई प्लान है. केंद्र सरकार गेहूं का निर्यात कर रही है .जबकि देश में स्टोरेज की व्यवस्था नहीं है. गेहूं का निर्यात किसानों के विरोधी कदम है. केंद्र सरकार किसान हितैषी नहीं है.
चिदंबरम ने कहा कि महंगाई की वजह यूक्रेन व रूस के बीच युद्ध को बताया जा रहा है. इसमें हमारा मानना है कि युद्ध अचानक से चालू नहीं हुआ है. कई दिनों से दोनों देशों के बीच तनाव की स्थिति थी. तभी हमें महंगाई को नियंत्रण करने की तैयारी करनी थी जो नहीं की गई.
उदयपुर में कांग्रेस नव संकल्प चिंतन शिविर के दूसरे दिन पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने केन्द्र सरकार और बीजेपी की नीतियों पर जमकर हमला बोला.
चिदंबरम ने कहा कि ध्रुवीकरण और आर्थिक नीति दोनों अलग-अलग मामले है. ध्रुवीकरण विशुद्ध रूप से राजनीतिक मुद्दा है. लेकिन आर्थिक नीति देश की लाइफ लाइन है. जिसे केन्द्र सरकार गंभीरता से नहीं ले रही है.पत्रकार वार्ता में चिदंबरम ने कहा कि केंद्र सरकार की आर्थिक नीतियां देश हित में नहीं है. जीएसटी के गलत इंप्लीमेंटेशन की वजह से राज्यों की हालत खराब हो गई है.
78 हजार करोड़ से भी ज्यादा का राज्यों का पैसा केन्द्र के पास है. केंद्र सरकार राज्यों को जीएसटी का पैसा समय पर नहीं दे रही है. आर्थिक मोर्चे पर केंद्र सरकार लगातार गलत कदम उठा रही है.रोजगार को लेकर चिदंबरम ने कहा कि 2019 में हमने केंद्र सरकार में रिक्त वेकैंसी को भरने की बात कही थी. उन्होंने कहा कि कांग्रेस के 2019 के घोषणापत्र में कहा था हम सरकार में आए तो केंद्र सरकार की 30 लाख खाली पदों को भरेंगे. आज 2022 चल रहा है, केंद्र में मोदी सरकार ने इन पदों को भरा नहीं है बल्कि और पद खाली हो गए हैं.चिंतन शिविर में आर्थिक मसलों की कमेटी के कन्वीनर पूर्व वित्त मंत्री ने कहा कि देश में अनाज को लेकर युक्रेन और रूस के युद्ध को दोषी ठहराया जा रहा है यह पूरी तरह से ठीक नहीं है.
इस युद्ध से पहले भी इस तरह के हालात थे. आज महंगाई बढ़ रही है, लेकिन मोदी सरकार के पास कोई तैयारी नहीं, ना ही कोई प्लान है. केंद्र सरकार गेहूं का निर्यात कर रही है .जबकि देश में स्टोरेज की व्यवस्था नहीं है. गेहूं का निर्यात किसानों के विरोधी कदम है. केंद्र सरकार किसान हितैषी नहीं है.
चिदंबरम ने कहा कि महंगाई की वजह यूक्रेन व रूस के बीच युद्ध को बताया जा रहा है. इसमें हमारा मानना है कि युद्ध अचानक से चालू नहीं हुआ है. कई दिनों से दोनों देशों के बीच तनाव की स्थिति थी. तभी हमें महंगाई को नियंत्रण करने की तैयारी करनी थी जो नहीं की गई.