Ali Aadil Khan Editor’s Desk
धर्म, दुनिया में विकास ,मुहब्बत ,सदभाव और त्रिलोकिये सफलता का माध्यम है किन्तु जब धर्म की ज़हरीली घुट्टी भक्तो को पिलाई जाने लगे तब ……
देश में विकास हुआ है ? हाँ हुआ है …..नया संसद भवन बनने वाला है , बड़े बड़े expressways , नया PM हाउस तैयार होने को है , राजपथ की जगह कर्तव्यपथ , नए और बड़े बड़े पार्क , पहले से Posh इलाक़ों का सौन्दर्यीकरण भी हुआ है , Lutians zone का नक़्शा बदल दिया गया है .और कई शहरों , भवनों , सड़कों और संग्राहलयों के नाम बदल दिए गए .इन सबके बनने बनाने में जो manpower लगी जितनी लगी उन्हीं को 2 करोड़ रोज़गार हर साल देने से जोड़ दिया गया . खुद प्रधान मंत्री ने इसके बारे में बताया . Corporate घरानों का Tax 30 % से घटाकर 22 % करदिया गया जिससे डेढ़ लाख करोड़ साल का लाभ पहुँचाया ….यानी सर्कार का डेढ़ लाख करोड़ का नुकसान कराया .और इन सबसे बढ़कर देश को धर्मों , वर्गों , समुदायों , लिंग्स और क्षेत्रों में भी बांट दिया गया . देश की अधिकतर सरकारी सम्पत्तियों का निजीकरण होगया , यही देश का विकास हुआ है .
देखिये देश से जुड़ी अनसुनी खबरे – गौरव और राघव का मोदी सरकार पर हमला
लेकिन सवाल यह की क्या देश की आम जनता इन जगहों पर आती है ? नहीं इन सब जगहों से सिर्फ़ 0.50% भारतियों का ताल्लुक़ है . बाथ विश्वविद्यालय में विजिटिंग प्रोफेसर संतोष मेहरोत्रा, और हैदराबाद विश्वविद्यालय के प्रोफेसर जाजति के.परिदा ने 2021 में भारत में गरीबी की ऊपरी सीमा 25.9 प्रतिशत आंकी है ।
सरकारी आंकड़ों में आज भी 80 करोड़ नागरिकों को फ्री राशन के स्कीम चल रही है . नागरिकों की Per Capita Income घट रही है जबकि क़र्ज़ लगातार बढ़ रहा है . एक बड़ा फ़र्क़ जो पिछले दशक में देखने को मिला है वो है लोगों का मशीनीकरण यानि घर में मोटर साइकिल और कार तो आ गयी है . मकान भी पक्का दिख रहा है लेकिन ये सब लोन या किस्तों और emi पर चल रहा है . नागरिक किश्ते चुकाते चुकाते बूढा हो जाता है घर का हर फर्द अपनी ज़िन्दगी लोन चुकाने में लगा देता है.गरज़ के आजका नागरिक पहले से 10 गुना काम कर रहा है .
ज़िंदगी के हर Field में Crime और जुर्म बढ़ गए हैं .सड़क एक्सीडेंट्स 100 गुना बढ़ गए हैं. मेडिकल साइंस ने तरक़्क़ी कर ली है मगर नित नए Varients और मर्ज़ सामने आ रहे हैं . अस्पतालों और मेडिकल stores पर लाइन लगी हुई है .हमारा कहने का मक़सद यह है आज जिस विकास को विकास कहा जा रहा है वो सिर्फ एक झांसा है .
हिंदुस्तान की करेंसी की Value लगतार घट रही है , सिंगापुर , थाईलैंड , बांग्लादेश जैसे छोटे देशों की करेंसी का मूल्य हिंदुस्तान के रूपये के मुक़ाबले बढ़ी है . हम कब तक हिन्दू मुस्लिम , हिंदुस्तान पाकिस्तान , क़ब्रस्तान , शमशान , मदरसा , हिजाब , लव जिहाद , तीन तलाक़ जैसे मुद्दों पर सियासत करके सामजिक ताने बाने को तार तार करते रहेंगे ? हम कब तक अपना मुक़ाबला पाकिस्तान की गिरती Currency और Petrol व दाल आटे के भाव से करते रहेंगे . शायद तब तक जब तक जनता सत्ता से सवाल नहीं पूछेगी , सत्ता को उसकी ज़िम्मेदारियों की याद नहीं दिलाएगी .
जिस देश की 80 % दौलत 6 % लोगों के पास हो , देश की संवैधानिक संस्थाओं पर संकीर्ण और प्रदूषित मानसिकता का क़ब्ज़ा हो , जिस देश में मंदिर और मस्जिदों पर व्यर्थ पैसा बहाया जाए और जनता भूक से बिलक रही हो . जहाँ पिज़्ज़ा और पास्ता , swiggy और zomato के ज़रिये 10 मिनट में आपके द्वार पहुँचता हो और Ambulance व Fire Brigade प्राण पखेरू होने के बाद पहुंचे तो इस विकास को पूँजीवाद यानी Capitalism और सामंतवाद यानी Feudalism का ग़ुलाम कहा जायेगा .
देश में बिगड़ते आर्थिक संतुलन का अंदाज़ा उस वक़्त होगा जब लोग सड़कों पर खुले आम लूट मार करने लगेंगे . अगर उस दिन से देश को बचाना है तो सर्कार से सवाल पूछने होंगे और भक्तो को भक्ति इंसानो की नहीं अपनी पैदा करने वाले की करनी होगी . उसके बाद आप उम्मीद कर सकते है की धरती पर शांति, सुकून, चैनो अमन और साम्प्रदायिक सौहार्द क़ायम होगा ,और देश विकास की राह पर चल पड़ेगा .लेकिन आज धर्म की ज़हरीली घुट्टी ने समाज और विकास को बीमार कर दिया है.
Please follow and like us: