समाज सेवा बुर्के में हो या साड़ी में , मुस्लिम महिला करे या किसी और मज़हब की महिला , इसपर गन्दी राजनीति समाज को उसके अधिकारों से वंचित करेगी
सेनिटेशन करती मुस्लिम महिला के सम्मान पर आखिर क्यों भड़के भाजपा नेता, बताया योगी सरकार की प्रतिष्ठा पर ठेस पहुंचाने वाला
झाँसी की रानी से क्यों हैं BJP कार्येकर्ता नाराज़
अब इसमें तो कोई संदेह नहीं है की यदि कोई व्यक्ति योगी राज में समाज सेवा करने चला है , तो यह कहीं न कहीं उनको ठेस पहुंचाने जैसा हो सकता है जैसा उनकी पार्टी के ही एक कार्यकर्त्ता अपने लिखे letter में साबित भी कर रहे हैं .
कोई व्यक्ति सरकार की नीतियों से यदि सहमत नहीं है तो उसको देश द्रोह कहने पर देश के बड़े बड़े अधिवक्तागण और विचारक तथा पूर्व नयाधीष अपनी अपनी राये देश के सामने बार बार रखते रहे हैं , जबकि इसके विपरीत यदि कोई राजनेता ,सियासी पार्टी , संस्था या फिर अधिकारी , कर्मचारी या अन्य आम आदमी देश के संविधान के विरोध में कोई काम करता है या क़ानून बनाने जैसी राये भी देता है तो वह देशद्रोह में आता है.
अब ऐसे में luchnow की परवीन नामी मुस्लिम महिला जो CAA ,NRC विरोधी आंदोलन में शरीक रही और अब देश के सामने पैदा हुए संकट में COVID 19 Warrior की हैसियत से उसकी समाज सेवा को नकारना या फिर इसको योगी सरकार की प्रतिष्ठा पर ठेस पहुंचाने जैसी टिप्पणी करना स्वयं एक अपराध नहीं होगा ?? ऐसी ही एक रिपोर्ट देखें जिसका लिंक खबर के आखिर में दिया गया है .
“भाजपा नेता ने कहा समाजसेवा के नाम पर सरकारी अधिकारियों ने उस महिला को सम्मानित किया है, जो CAA की रही है मुख़र विरोधी, इससे पहुंची है योगी सरकार की प्रतिष्ठा को ठेस…
असद रिज़वी की रिपोर्ट
जनज्वार, लखनऊ । बुर्क़ा पहन कर स्वच्छीकरण (सेनिटेशन) करने वाली महिला को सम्मान मिलने पर भाजपा नेता दिलीप श्रीवास्तव ने आपत्ति जतायी है। दिलीप श्रीवास्तव ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर नागरिकता संशोधन क़ानून (सीएए) का विरोध करने वाली उज़्मा परवीन को सम्मान देने वाले सरकारी अधिकारियों की शिकायत की है।
लखनऊ के घंटाघर पर सीएए के विरुद्ध प्रदर्शन में मुख्य भूमिका निभाने वाली महिलाओं में से एक उज़्मा परवीन कोविड-19 महामारी के दौरान राशन बांटने और स्वच्छीकरण का काम कर रही हैं। लॉकडाउन में उनको इस काम को जारी रखने के लिए ज़िला मजिस्ट्रेट के कार्यालय से विशेष पास भी दिया गया है।
बुर्क़ा पहन कर उज़्मा परवीन अपने इलाक़े के मंदिरों, रेलवे स्टेशन से लेकर मलिन बस्तियों तक स्वच्छीकरण (Spray) करती रही हैं। इसके अलावा उनके द्वारा प्रवासी मज़दूरों आदि को राशन किट आदि भी बांटा गया था। उज़्मा परवीन का कहना कि उन्होंने स्वच्छीकरण के मशीन आदि ख़रीदने में उन्होंने अपने पास से क़रीब 95 हजार रुपए भी खर्च किये हैं।
उनकी समाजसेवा को देखते हुए कई ग़ैर सरकारी संस्थाओं ने भी उनको सम्मानित किया और प्रशंसा प्रमाणपत्र भी दिए। इसी क्रम में लखनऊ नगर निगम ने भी उनको सम्मानित किया। उज़्मा परवीन ने बताया कि नगर आयुक्त द्वारा उनको सम्मानस्वरूप 28 मई को एक प्रशंसा प्रमाणपत्र के साथ सुरक्षा किट और सेनिटेशन किट दी गई। उन्होंने बताया कि इनाम राशि के तौर पर उनके खाते में 11 हज़ार रुपए भी नगर निगम द्वारा भेजे गए।
उनकी समाजसेवा को देखते हुए कई ग़ैर सरकारी संस्थाओं ने भी उनको सम्मानित किया और प्रशंसा प्रमाणपत्र भी दिए। इसकी क्रम ने लखनऊ नगर निगम ने भी उनको सम्मानित किया। उज़्मा परवीन ने बताया कि नगर आयुक्त द्वारा उनको सम्मानस्वरूप 28 मई को एक प्रशंसा प्रमाणपत्र के साथ सुरक्षा किट और सेनिटेशन किट दी गई। उन्होंने बताया कि इनाम राशि के तौर पर उनके खाते में 11 हज़ार रुपए भी नगर निगम द्वारा भेजे गए।
दिलीप श्रीवास्तव द्वारा लगाए गए आरोप और उज़्मा परवीन का ब्यान
उज़्मा परवीन के सम्मानित होने की ख़बर प्रकाश में आने के बाद भाजपा के दिलीप श्रीवास्तव ने इसका विरोध शुरू कर दिया। उन्होंने 30 मई मुख्यमंत्री को एक पत्र लिखकर कहा कि समाजसेवा के नाम पर सरकारी अधिकारियों ने उस महिला को सम्मानित किया है, जो CAA की मुख़र विरोधी है।
उज़्मा परवीन ने CAA के विरूद्ध प्रदर्शन के दौरान मोदी और योगी सरकारों के विरुद्ध बयान भी दिए और आवाम को गुमराह किया था। दिलीप श्रीवास्तव जो भाजपा के प्रवक्ता के साथ मैथिलीशरण वार्ड के पार्षद भी हैं, के पत्र पर उज़्मा परवीन ने जनज्वार को बताया कि वह नगर निगम द्वारा दिए गए सम्मान को वापिस करने के लिए तैयार हैं।
उन्होंने कहा वह नहीं चाहती हैं कि उनकी वजह से किसी अधिकारी की नौकरी पर आँच आये। उज़्मा परवीन ने कहा कि उन्होंने नगर निगम के अधिकारियों को सूचित कर दिया है कि वह सम्मान वापिस करना चाहती है। हालाँकि अभी तक वहाँ से उज़्मा परवीन के सम्मान को लेकर कोई बयान जारी नहीं किया गया है।
जनज्वार से हुई बातचीत में दिलीप भाजपा नेता दिलीप श्रीवास्तव कहते हैं कि उज़्मा को सम्मान महापौर की उपस्थिति में देना चाहिए था, क्योंकि वह जनता द्वारा चुनी गई हैं।वैसे भी उज़्मा परवीन ने जनता को सीएए के विरुद्ध आंदोलन में गुमराह किया है, इसलिए वे इस सम्मान की हकदार नहीं हैं।
वहीं जब जनज्वार से उज़्मा को मिले सम्मान के बारे में बात करने की कोशिश की गयी तो नगर आयुक्त ने बात करने से इंकार कर दिया। वहीं उज़्मा कहती हैं, आज भी सीएए की विरोधी है। उन्होंने संविधान में मिले अधिकार के तहत सीएए विरोध किया, जो अपराध नहीं है। मुझे कुछ मुक़ामों में अदालत से राहत मिल गई और कुछ में मिलना बाक़ी है।
उनके अनुसार लॉकडाउन में भी उनके घर पुलिस गई थी, लेकिन वह उस समय घर में नहीं थी। उल्लेखनीय है कि उज़्मा परवीन लखनऊ में सीएए के विरुद्ध महिलाओं के प्रदर्शन में काफ़ी सक्रिय थी। वह अपने एक साल के बच्चे के साथ प्रदर्शन में आती थीं और महिलाएँ उन्हें झाँसी की रानी कहकर बुलाती थी। प्रदर्शन के दौरान उन पर कई मुक़दमे भी लिखे गए। इसके अलावा उन्होंने बताया की CAA के प्रदर्शन के दौरान उनके पति को जेल भी जाना पड़ा था।