खिलाड़ियों और कुश्ती संघ के बीच चल रही लड़ाई में आज लेख लिखे जाने तक एक नया मोड़ आगया है.भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह ने उनके ऊपर आरोप लगाने वाले पहलवानों के ख़िलाफ़ दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर की है।
बृजभूषण सिंह ने साक्षी मलिक, विनेश फोगट और बजरंग पूनिया सहित कई बड़े पहलवानों को आरोपी बनाया है ।
याचिका में कहा गया है पहलवानों ने यौन शोषण कानून का दुरुपयोग किया है और न्याय व्यवस्था का मज़ाक़ उड़ाया है । उन्होंने कहा है कि अगर किसी पहलवान के साथ यौन शोषण हुआ है तो उसे पुलिस स्टेशन में शिकायत करके कोर्ट और कानूनी प्रक्रिया के ज़रिये न्याय की मांग करनी चाहिए थी।
कुश्ती संघ के अध्यक्ष ने कहा था अगर मेरे ऊपर यौन शोषण के आरोप लगते हैं तो मैं फांसी पर लटक जाऊंगा | श्रीमान फांसी पर न लटक कर नैतिकता के आधार पर Resign कर देते तो अच्छा था .
इससे पहले कई बीजेपी नेताओं के यौन शोषण Case में उनके ख़िलाफ़ आरोप सिद्ध हुए हैं और वो जेल गए हैं .मगर हम आशा करते हैं ब्रजभूषण शरण बेगुनाह साबित होंगे.
क्योंकि जिस तरह से अच्छे अच्छों को मिटटी चटाने वाले पहलवान अपनी मांगें पूरी हुए बिना ,अनुराग ठाकुर के एक सियासी धोबी पाट में चित हो गए और अखाड़ा छोड़ गए .. इससे उनका धरना संदेह के घेरे में आजाता है . लेकिन साथ ही पहलवानों की ट्रेनिंग के दौरान उनका शोषण किसी भी तरह असहनीय है .
वैसे देश में पिछले 8 – 10 वर्षों में कुछ अनोखी घटनाएं हुयी हैं . पिछले दिनों देश के सर्वोच्च न्यायालय के नयायधीश देश की जनता के सामने आये प्रेस कांफ्रेंस कर अपना दर्द ब्यान किया था .
अब देश के लिए गौरव बने पहलवान और Olympions जनता के सामने आये प्रेस कांफ्रेंस कर अपना दर्द रखा . 3 दिन तक मीडिया ट्रायल चला .राष्ट्रीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष और बीजेपी सांसद ब्रजभूषण सरन पर महिला पहलवानों का यौन शोषण का संगीन आरोप लगाया गया है .
फ़िलहाल खेल मंत्री अनुराग ठाकुर सामने आये उन्होंने पहलवानों के साथ बैठकर धरना ख़त्म कराया . जांच समिति बनाई गयी 4 हफ़्तों में रिपोर्ट पेश की जायेगी उसके बाद पता चलेगा कि सांसद ब्रजभूषण सरन सिंह अपराधी हैं या सियासत के शिकार .
जैसा कि उनका दावा भी है .यहाँ एक बात समझना बाक़ी है , क्या बीजेपी अपने सांसद के पक्ष में है या पहलवानों के , या फिर हरियाणा चुनाव में वोटों पर नज़र है .
यहाँ सवाल यह है कि अगर बीजेपी सांसद बृजभूषण समिति की रिपोर्ट में बेगुनाह साबित हुए तो क्या फ़र्ज़ी आरोप के इलज़ाम में पहलवानों के खिलाफ कार्रवाई की जायेगी . और अगर वो आरोपी सिद्ध हुए तो ब्रजभूषण सरन खुद को फांसी लगा लेंगे ? शायद इन दोनों ही कार्रवाइयों में से कुछ भी न होगा .
दुसरे , क्या पहलवानो की मांग के मुताबिक़ कुश्ती Federations को भंग किया जाएगा ? पहलवानों की मांग है कि संघ के अध्यक्ष राजनीतिज्ञ न होकर खेल जगत से ही होने चाहिए .
रही महिला पहलवानो के साथ यौन शोषण की बात , तो इस बात की क्या Guarantee है कि अब जो भी पदाधिकारी आएंगे वो या उनके Subordinates कोई अश्लील हरकत नहीं करेंगे .
क्योंकि Crime का सम्बन्ध किसी Profession के साथ नहीं जुड़ा होता बल्कि यह तो प्रवर्ति में शामिल होता है .
दूसरी तरफ़ ब्रजभूषण का आरोप था कि , धरने पर हरयाणा के केवल एक परिवार के ही लोग बैठे थे , जिनको सियासी तौर से मेरे खिलाफ बिठाया गया है . तो क्या इसको हम Congress का हरयाणा चुनाव के मद्देनज़र सियासी दांव मान सकते हैं ?
हमारा विचार है , इसके पूरे पूरे chances हैं क्योंकि Congress भी तो इसी देश की सियासत का हिस्सा है और उसको भी वैसी ही सियासत का अधिकार है जैसा दूसरी पार्टियों को हासिल है .और वैसे भी जवाब दुश्मन की ज़बान में ही दिया जाए तो समझ में भी जल्दी आता है .
लेकिन अगर ईमानदारी और नैतिकतावादी सियासत को अपनाया जाए तो उसका असर दूरगामी होता है .
यहाँ एक और सवाल यह निकलकर आया था , क्या Olympic पुरस्कार विजेता राष्ट्रीय खिलाडी देश का सम्मान इस तरह की घटिया राजनीती का मोहरा बन सकते हैं ? अगर हाँ तो यह खुद खिलाड़ियों की विश्वसनीयता , स्मिता और चरित्र पर बड़ा सवाल खड़ा कर देता है .
याद रहे WFI अध्यक्ष ने TV चैनल पर बात करते हुए कहा था ,उनका यानी पहलवानों का खेल समाप्त हो चूका है और अब वो राजनितिक ज़मीन तलाश रहे हैं .अध्यक्ष ने इस धरने को शाहीन बाग़ का धरना कहकर एक नई बहस का रास्ता खोल दिया था .
क्यों कहा उन्होंने इसको शाहीन बाग़ का धरना ? जबकि शाहीन बाग़ पूरे देश और दुनिया के कई देशों में नागरिक अधिकारों की लड़ाई से सम्बंधित था .
और पहलवानों का धरना खिलाडियों के चयन में अनियमितता और यौन शोषण के आरोपी के ख़िलाफ़ इंसाफ़ न मिलने का था . इन धरनों का किसी भी तरह आपस में कोई मेल नहीं था.
उसके बावजूद बीजेपी सांसद ब्रजभूषण का ऐसा कहना किसी ख़ास राजनितिक सोच को दर्शाता है , जिसके लिए ब्रजभूषण जी से सवाल होना चाहिए .
आपको यह भी याद दिला दें कि इस सम्बन्ध में अक्टूबर 2021 में विनेश फोगट प्रधानम्नत्री नरेंद्र मोदी से मिल चुकी हैं .और यौन शोषण से मुताल्लिक़ प्रधानमंत्री को अवगत कराया था .
विनेश को आश्वासन दिया गया था कि तुम मेरी बेटी हो .और इंसाफ़ किया जाएगा लेकिन सवा साल इंतज़ार के बाद जब कोई इंसाफ़ नहीं मिला तब पहलवान धरना के मैदान में नई तरह की कुश्ती लड़ने पहुंचे और लंगोट घुमाकर चले गए .
देखना यह है कि अगर वास्तव में ये पहलवान कांग्रेस अखाड़े के थे तो इस कुश्ती को आर पार की खेलेंगे या फिर मैच फिक्स भी हो सकता है ?
लेकिन बीजेपी की केंद्र सरकार और हरयाणा की खट्टर सरकार के लिए यह मुद्दा चुनौती भरा तो ज़रूर रहेगा , भले बीजेपी के तेज़ तर्रार रेफ़री इस खेल को बिना हार जीत के ख़त्म कराने की योग्यता रखते हों .
कुछ भी कहें आज देश में ना इंसाफ़ी , ख़ौफ़ और नफ़रत के माहौल में किसी भी मुद्दे को सांप्रदायिक और राजनितिक रंग देना आसान तो होगया है .किन्तु डरो मत और मोहब्बत की दूकान को भी अब देश गंभीरता से ले रहा है .
इसका सत्ताधारी बीजेपी को भी पूरा आभास है जिसका असर हालिया बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारणी मीटिंग में PM के बयानों में देखने को मिला , और मुसलमानो के ख़िलाफ़ नफ़रती बातों और बयानात पर विराम लगाने की फ़िलहाल बात सामने आई .
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