
बिहार विधानसभा के आम चुनाव और मध्य प्रदेश के उपचुनाव चल रहे हैं ऐसे में आज विभिन्न राजनीतिक पार्टियों के स्टार प्रचारकों पर नजर डालकर विश्लेषण किया जाए की कौन प्रचारक मजबूत है और कौन कमजोर है क्योंकि चुनाव के समय पार्टियों के भीतर स्टार प्रचारकों का महत्व बढ़ जाता है जो अपनी अपनी पार्टियों की जीत में एक निर्णायक भूमिका अदा करते हैं !
वैसे तो सभी पार्टियों में स्टार प्रचारक होते हैं और कई पार्टियां फिल्मी हस्तियों को भी चुनाव के समय स्टार प्रचारक के रूप में जनता के बीच पेश करती हैं लेकिन देश के अंदर सदाबहार स्टार प्रचारक के रूप में केंद्र में सत्ताधारी पार्टी भा जा पा और विपक्षी पार्टी कांग्रेस के स्टार प्रचारक को ज्यादा जानती है और प्रभाव भी जनता के बीच उन्हीं का अधिक देखा जाता है !
मौजूदा समय में देश के अंदर सबसे मजबूत स्टार प्रचारक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एकमात्र नजर आते हैं जो अपनी बातों से विपक्ष को उलझा कर जनता को समझाते हुए अपनी बात और मुद्दे को सर्वोपरि रखने में कामयाब होते हैं !
2014 से लेकर 2020 तक यदि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बात करें तो वह विपक्ष पर भारी पड़ते हुए नजर आए और जनता के बीच अपनी बात और मुद्दे को समझाने में भी कामयाब रहे !
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अपनी लछेदार बातों को प्रचारित करने की अपनी एक शैली है, और अपनी इस शैली के कारण वह देश जनता और विपक्ष के बीच हमेशा चर्चा में बने रहते हैं और यही चर्चा उन्हें अभी तक देश का सबसे ताकतवर राजनेता की छवि के रूप में स्थायित्व दे रही है !
जहां तक कांग्रेस के स्टार प्रचारक की बात करें तो जनता राहुल गांधी को स्टार प्रचारक के रूप में अधिक महत्व देती है लेकिन राहुल गांधी प्रचार के रूप में अभी भी नरेंद्र मोदी के सामने कमजोर हैं और कमजोरी का कारण यह है कि राहुल गांधी 6 साल से एक ही बात को अभी तक पकड़ कर बैठे हुए हैं, राहुल गांधी अपनी चुनावी जनसभाओं में नोटबंदी जीएसटी का जिक्र करते नजर आते हैं जबकि यह चुनावी मुद्दा अब नहीं रहा है इसके बाद कई मुद्दे देश के सामने आ गए हैं !
जहां तक नोटबंदी और जीएसटी की बात करें तो भाजपा सरकार को इससे नुकसान और फायदा मिल चुका है नुकसान 2017 के मध्य प्रदेश छत्तीसगढ़ और राजस्थान मैं संपन्न हुए विधानसभा चुनावों में भाजपा को हो चुका है और फायदा गुजरात विधानसभा चुनाव और 2019 में देश के आम चुनाव में भा जा पा को जीत के साथ मिल चुका है, नोटबंदी और जीएसटी का मुद्दा यहीं खत्म हो गया अब इसका प्रभाव जनता पर पड़ता नजर नहीं आता है फिर भी राहुल गांधी सहित कांग्रेस के स्टार प्रचारक इस मुद्दे को अभी तक भी जनता को याद दिलाते नजर आते हैं ।
जबकि भाजपा के नेता नोटबंदी जीएसटी के मुद्दे को खारिज करते हुए यह बताते और समझाते हुए नजर आते हैं कि यदि नोटबंदी और जीएसटी से देश की जनता को नुकसान होता तो वह भाजपा को गुजरात और देश के आम चुनाव में नहीं की जाती उनका यह लॉजिक सही भी है क्योंकि इन चुनावों में निसंदेह जीत भाजपा को ही मिली थी !
भाजपा सरकार को चुनावी जनसभाओं में घेरने के लिए विपक्ष के पास अनेक बड़े मुद्दे हैं जो सीधे जनता से सरोकार रखते हैं लेकिन कांग्रेस के स्टार प्रचारक उन मुद्दों पर कम बोलते हैं या फिर बोलते ही नहीं आज देश के सामने भाजपा को घेरने के लिए सबसे बड़ा मुद्दा बेरोजगारी आर्थिक संकट का है मुद्दा यह है कि बेरोजगारी बढ़ी क्यों और आर्थिक संकट आया क्यों जनता को विस्तार से यह बताने की बात है मुद्दा सामने है लेकिन विपक्ष उसे ठीक से समझा नहीं पा रही है यह उसकी कमजोरी है !
बेरोजगारी और सरकारी नौकरी क्यों नहीं मिल रही सवाल यह है कारण यह है कि भाजपा सरकार सरकारी संस्थाओं का निजी करण कर उन्हें बेचने में लगी हुई है इन संस्थानों से बेरोजगार युवाओं के लिए सरकारी नौकरियां निकलती थी लेकिन आज उन पर ब्रेक लगा हुआ है !
रेलवे बीएसएनएल ऐसे संस्थान हैं जो लाखों नौकरियां उत्पन्न करते हैं मगर इन संस्थानों को निजी हाथों में सौंपा जा रहा है !
विपक्ष को ज्वलंत मुद्दों पर अधिक फोकस करना चाहिए लेकिन विपक्ष रही घिसे पिटे मुद्दों को आज भी जनता के बीच पेश कर उम्मीद करती है कि जनता विपक्ष का साथ दें यह कैसे संभव होगा जिस गम और बात को जनता भूल चुकी है और जनता ने सत्ता को माफ भी कर दिया क्योंकि 2019 में उन्हें प्रचंड बहुमत के साथ जनता ने जिताया है ऐसे में ऐसे मुद्दों की बात करना कहां तक उचित है !
कुल मिलाकर आज भी स्टार प्रचारक के रूप में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सब पर भारी है !