मेरी दिलचस्पी आर्यन खान या सुशांत राजपूत के ड्रग्स case में बिलकुल भी नहीं है और न आपकी ही रूची होनी चाहिए क्योंकि celebrities की इन ख़बरों में देश के असली मुद्दे गुम हो जारहे हैं ,चर्चा ऐसे मुद्दों की हो जिनका देश की जनता सें सीधा सरोकार है , जिनका ताल्लुक़ देश की तरक्की और विकास से है गरीब , आदिवासी पिछड़ा और देश के करोड़ों बेरोज़गार नवजवानों और किसानों से है ।
देश में साम्प्रदायिक सद्भाव और आपसी भाई चारे की बात ही नहीं होती , जबकी किसी भी देश या कौम का विकास एकता और सौहार्द में छुपा है । लेकिन मसला यह है कि आज पब्लिक को भी भड़कीले और सनसनी वाले मुद्दों में ही मज़ा आता है । और जनता की यह रुचि अत्यंत चिंता का विषय है ।
अडानी के पोर्ट पर drug उतरता है तो ख़ामोशी किसी आर्यन या जिंदगी से परेशान इंसान के पेट में उतरे तो जुर्म और गिरफ्तारी। मज़े की बात यह है कि शहर में सब गैर क़ानूनी धंधे पुलिस की मिली भगत से होते हैं । इलाक़े की हर ग़ैर क़ानूनी Activity पुलिस के Notice में होती है , मगर जिस धंधे में उसका share नहीं वो जुर्म और जिसमें पुलिस की पत्ती वो 100 टका सही । अडानी पोर्ट पर 3000 किलो ड्रग्स किसके पेट में गया उसका पता लगाने विदेशी agencies आएँगी? क्या उसके लिए संसद में बहस की जरूरत पड़ेगी ?
मीडिया को क्या करना था और क्या करने लगी ? Media Houses Bussiness House बन गए , सरकारों के प्रवक्ता बने बैठे है Anchors , यह देश की बदक़िस्मती है . Israeli पेगासस Software Case में निजता के अधिकार पर सरकार का अड़ियल रवैय्या देश के हित में नहीं है ,अगर है तो खुले मंच से बात हो .सरकार आपने खिलाफ जाने वाले हर मुद्दे को National Security या देशद्रोह से जोड़ने की नीति ज़्यादा दिन तक नहीं चला पाएगी . सर्वोच्च न्यायालय ही सभ्य समाज व् लोकतान्त्रिक प्रणाली को सुरक्षित कर कानून के राज को मज़बूत बना सकती है क्योंकि लोकतंत्र के नाम पर हर संवैधानिक और संवेदनशील जगहों में घुसपैठ कर अधिकतर आपराधिक सोच के फ़र्ज़ी नेता अंधेरगर्दी मचा रहे हैं।
पेगासस मामले में देश की सर्वोच्च न्यायलय ने सरकार से सवाल किये हैं , आपने सॉफ्टवेयर खरीदा या नहीं ,इसपर सरकार खामोश है और एक जांच Committee बनाने की बात रखी है अगर कुछ दिन के बाद सरकार यह कह दे की हमने खरीदा था तो क्या सरकार को बर्खास्त कर दिया जाएगा ?क्या ऐसा करने की Power किसी Agency को है ? दूसरे जो सरकार सर्वोच्च न्यायालय के रिटायर्ड Chief Justices , Election Commissioner और दीगर बड़े नेताओं व् पत्रकारों के खिलाफ इस Weapon का इस्तेमाल कर सकती है अब इसका इस्तेमाल जांच Committee के Members पर नहीं होगा इसकी क्या Guarantee है .Right To Privacy के उल्लंघन पर सरकार से सवाल अगर ईमानदार मीडिया नहीं पूछेगी तो क्या आम कैसे खाया जाता है पूछने वाली Agency देश के लिए कैसे फायदेमंद होगी ? नाकामियों पर फ़ुज़ूल मुद्दों का खोल कैसे चढ़ाया जाता यह कला तो अच्छे से आती है सत्ताधारी पार्टी को …खैर अभी Drugs के नशे से निम्टा जाए …….
शाहरूख ने बेटे की बेल के लिए सतीश मानशिंदे ,पूर्व अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी, आनंदिनी फर्नांडिस, रुस्तम मुल्ला ,लॉ फर्म करंजावाला एंड कंपनी के सीनियर पार्टनर्स रूबी सिंह आहूजा और संदीप कपूर जेसे वकीलों की फौज खड़ी कर दी है । और आर्यन को जल्द बेल हो भी जाएगी । Editorial लिखने के दौरान ही समाचार मिल गया है की आर्यन की बैल होगई है ,.. सवाल यह है क्या इसके बाद देश नशे से मुक्ति हासिल कर लेगा ? क्या अब किसी बेगुनाह को जेल में नहीं रहना होगा ? क्या इसके बाद Narcotics का अवैध धंदा बंद हो जायगा ? अवैध शराब , चरस , गांझा , हीरोइन , कोकीन और न जाने कौन कौन से नशे वाली चीज़ों के धंदे बंद कराने में क्या पुलिस इन्साफ से काम लेगी ? या अवैध धंधे करने वाले गुंडों को शरीफ नागरिकों के खिलाफ हमले करने से रिक देगी ? ज़्यादा चिंता का विषय यह है कि अपराध , और अवैध गतिविधियों को प्रोत्साहन पुलिस के सहयोग से मिलता है .
वैसे अगर शाहरुख़ , नरेंद्र मोदी जी का एक इंटरव्यू करते हुए यह पूछ लेते की आप केला कैसे खाना पसंद करते हैं , तो इस सारे लोचे से बच जाते ..केला इस लिए कहा की आम के बारे में सवाल पहले ही पूछा जा चुका है . और अगर BJP की एक दो चुनावी रैलियों में स्टार प्रचारक की हैसियत से शाहरुख़ शामिल होगये होते तो भले आर्यन 3 लाख किलो ड्रग्स के अवैध कारोबार में लिप्त होते कुछ बिगड़ने वाला नहीं था .अफसोसनाक है कि अधिकतर मुजरिमों का रक्षा कवच बन गया है सियासत का पंडाल..जुर्म करो और सियासत की शरण लेलो , और ईमानदार तथा शरीफ़ नेता और अफ़सर घुटन महसूस करते हैं ऐसे माहौल में .
NDA सत्ता के पूरे कार्यकाल में मज़े की बात तो ये हैं की AIIMS, IIT, IIM, universities,एयरपोर्ट, हॉस्पिटल, हाईवे बनवाने वाले खामोश रहे ,और शौचालय बनवाने वालों ने इतना शोर मचाया कि 70 वर्षों के सारे विकास कार्यों पर पानी फिर गया , भले शौचालयों में आज भी पानी का अकाल है . वैसे मोदी है तो मुमकिन है …..सिर्फ मोदीजी ही अब देश को बचा भी सकते हैं लेकिन इसके लिए मोदीजी और उनकी पार्टी को पुरुषोत्तम राम की तरह सत्ता की क़ुरबानी देनी होगी , मगर यहाँ तो राम के नाम पर पाखण्ड है आतंक है . राम की आंतरिक परम्पराओं से कोई सरोकार ही नहीं है , हाँ वोट ज़रूर राम के नाम पर लेते रहने का प्रण किया है पार्टी ने , और कुछ नहीं |