By Ali Aadil Khan
अब धड़कनों में भी धोखा , Air Quality में जारी फ़रेब, वायु प्रदूषण प्रयोगशाला और UPPCB के आंकड़ों में भारी अंतर
हमारे पाठको के लिए यह खबर जानना इंतहाई ज़रूरी और दिलचस्प होगा कि किस…..

ताज ट्रेपेज़ियम ज़ोन (TTZ) या ताज समलम्बाकार क्षेत्र को ताजमहल के चारों ओर 10,400 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र के रूप में परिभाषित किया जाता है
जब इंसान की सांसों के साथ भी खिलवाड़ होने लगे तब क्या कहियेगा। हवा की गुणवत्ता बताने वाले एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) या Air Quality Index के जरिए धोखा चल रहा है।
हमारे पाठको के लिए यह खबर जानना इंतहाई ज़रूरी और दिलचस्प होगा कि किस तरह अपने दामन को साफ़ रखने और इंसानों की ज़िंदगियों को प्रदूषित बनाने के लिए सरकारें इंसानी साँसों के साथ खिलवाड़ करती हैं .
सरकारी स्तर पर हर एक क्षेत्र में आंकड़ों की सच्चाई को छुपाने का काम लगातार जारी है . या यूँ कहें सरकारें अपनी नाकामियों को छुपाने में लगातार व्यस्त हैं. सरकारों को अपने नागरिकों की सेहत की तनिक भी परवाह नहीं . यह सब बहुत भयानक है देश के लिए .
इस तरह की reports सामने आने के बाद जनता का भरोसा टूटने लगता है . लेकिन इनका सामने आना भी ज़रूरी है .आपको क्या लगता है इस तरह की रिपोर्ट्स का आम होना सही है ? या इनको छुपाना चाहिए ? अपनी राये Comment Box में जाकर ज़रूर दें .
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की वायु प्रदूषण प्रयोगशाला के प्रदूषण आंकड़े लगभग एक जैसे हैं, जबकि UP राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (UPPCB) के आंकड़े इन दोनों से बहुत कम दर्शाए जा रहे हैं।
यह खुलासा सूचना के अधिकार में मिली जानकारी से हुआ है। यूपीपीसीबी और एएसआई-सीपीसीबी के तीन माह के आंकड़ों में भारी अंतर पाया गया।
प्रदूषण की जांच करने वाले ऑटोमेटिक स्टेशनों से छेड़छाड़ और पानी का छिड़काव कर धूल कणों की कमी दर्शाने का खुलासा होने के बाद भी एक्यूआई में फरेब जारी है।
आगे बढ़ने से पहले SPM को समझ लेते हैं . सस्पेंडेड पार्टिकुलेट मैटर (SPM) यह पृथ्वी के वायुमंडल में मौजूद कणों का मिश्रण है.
यह मिश्रण कार्बनिक और अकार्बनिक दोनों तरह के कणों से मिलकर बना होता है. जैसे- धूल, पराग, कालिख, धुआं, और तरल बूंदें. SPM स्वास्थ्य के लिए घातक होता है.
अब यहाँ इंसानी साँसों के साथ धोखा देखें . ASI की वायु प्रदूषण प्रयोगशाला ने अक्तूबर में ताजमहल के पश्चिमी गेट पर एसपीएम की मात्रा 197 पाई थी, लेकिन UPPCB का AQI 98 दर्शाया गया।
एएसआई भी केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की तरह मैनुअल फिल्टर पेपर से जांच करता है, जबकि यूपीपीसीबी के ऑटोमेटिक स्टेशन लगे हैं, जिनका संचालन आउटसोर्सिंग के जरिए हो रहा है।
अब यहाँ आप दोनों के आंकड़ों में दोगुने का अंतर देखेंगे । इसी तरह साल 2021 से साल 2024 तक हर साल प्रदूषण के आंकड़ों में थोड़ी कमी दर्ज की गई है, जबकि यूपीपीसीबी के आंकड़ों में यह कमी 80 फीसदी की दिखाई गयी है ।
सुप्रीम कोर्ट में दाखिल होता है प्रदूषण का ब्योरा
एमसी मेहता की याचिका में वर्ष 1996 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद से हर साल आगरा में प्रदूषण का ब्योरा सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किया जाता है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की लैब ताजमहल के पश्चिमी गेट स्थित टावर पर स्थापित की गई है .
जबकि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की रसायन शाखा ने पूर्वी गेट पर दशहरा घाट के किनारे बने ताज के बुर्ज पर वायु प्रदूषण एवं प्रस्तर संरक्षण प्रयोगशाला स्थापित की हुई है । सीपीसीबी की रिपोर्ट हर तिमाही सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की जा रही है।
SPM अक्तूबर नवंबर दिसंबर
UPPCB 98 157 176
CPCB 201 298 261
ASI 197 312 255
पर्यावरणविद डॉ. शरद गुप्ता ने बताया कि राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड UPPCB के आंकड़ों और तीन अन्य एजेंसियों CPCB, ASI और स्मार्ट सिटी के आंकड़ों में भारी अंतर है। कौन सही है, यह बताने की जिम्मेदारी TTZ अथॉरिटी की है।
TTZ जांच कराए कि चारों में से आंकड़े किसके ठीक हैं, किस पर भरोसा कर एहतियात बरती जाए। ताज ट्रेपेज़ियम ज़ोन (TTZ) या ताज समलम्बाकार क्षेत्र को ताजमहल के चारों ओर 10,400 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र के रूप में परिभाषित किया जाता है।
केंद्र के आंकड़े एक जैसे, राज्य ने घुमाया
ताजमहल पर केंद्र सरकार के दोनों विभाग ASI और CPCB के एयर क्वालिटी के आंकड़े एक जैसे हैं। इनमें मामूली अंतर है, जबकि यूपीपीसीबी के आंकड़ों में 2022 के बाद भारी गिरावट दिखाई गई। इसी को आगरा मॉडल का नाम दिया गया है।
साल सीपीसीबी एएसआई
2017 287 233
2018 304 287
2019 267 272
2020 234 213
2021 258 265
2022 261 270
2023 239 231
2024 215 219
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