
भारतले नक्कली अयोध्या खडा गरेर साँस्कृतिक अतिक्रमण गर्याे: प्रधानमन्त्री ओली
भारत ने एक नक़ली अयोध्या को दुनिया के सामने रखकर सांस्कृतिक अतिक्रमण किया है.प्रधानमन्त्री ओली
नेपाल के PM केपी शर्मा ओली ने अब भगवान राम और अयोध्या को लेकर दिया विवादित बयान..
नई दिल्ली:नेपाल सरकार द्वारा बनाये गए नेपाल के नक़्शे , जिसमें भारत नियंत्रित सीमावर्ती कुछ इलाक़ों को नेपाल के नए नक़्शे में शामिल किया गया है , ज़ाहिर है यह भारतीय सरकार को एक आँख नहीं बहाना चाहिए , लेकिन नेपाल जो भारत का मित्र देश कहलाया जाता है उसकी ओर से इस प्रकार के बयानात और लगातार तीखे तेवर चीन द्वारा नेपाल को दी जारही शह की तरफ इशारा करता है .
इतना ही नहीं नेपाल की ओर से एक दूसरा कड़ा और आपत्तिजनक जो क़दम उठाया गया है वो भारतीय निजी चैनलों के प्रसारण पर रोक है जो अभिव्यक्ति की आज़ादी के अंतर्राष्ट्रीय नियम के विरुद्ध है .हाँ यह ज़रूर है यदि किसी रिपोर्टिं या खबर से उस देश की एकता , अखंडता और सम्प्रभुता को कोई खतरा होता है तो उसपर तुरंत संज्ञान लिया जाना किसी भी राष्ट्र का अधिकार भी है और कर्तव्य बन जाता है .

अब देखना यह है की भारतीय निजी चैनल ऐसा क्या प्रसारित कर रहे हैं जो नेपाल के हितों को चोट पहुंचता है , हालाँकि निजी चैनल खुद भारत के अंदर ही इस प्रकार के PROGRAMMES और SHOWS करते ही रहते हैं जो देश के ही कई समुदायों और जातियों के लिए खतरा बन जाते हैं और उनकी लिंचिंग होने लगती है , पिछले दिनों पूरी दुनिया ने देखा की किस तरह तब्लीग़ जमात और मरकज़ के विरुद्ध एक NARRATIVE देश में बनाया गया जिससे कई जाने गईं और 2 वर्गों के बीच नफरत की आग लगा दी गयी . तो यह काम तो निजी चैनल अपने घर में भी करते रहते हैं जिनपर खुद भारत सरकार को इनके प्रसारण पर पाबंदी लगा देनी चाहिए थी जबकि ऐसा नहीं हुआ बल्कि एक साफ़ सुथरी और संवैधानिक स्तर का प्रसारण करने वाले चैनल और कई WEB PORTALS को बंद करने की धमकी दी गयी और कई को बंद भी किया गया .जो दुखद है , और यह खुद वर्तमान सत्तारूढ़ पार्टी के लिए भी घातक होगा , क्योंकि आइंदा की सरकार इसका बदला लेगी .देश बदले की भावना से नहीं बदलाव के जज़्बे से चलता है .
खैर फिलहाल नेपाल के केबल टीवी ऑपरेटर्स ने भारतीय समाचार चैनलों की “आपत्तिजनक” रिपोर्टिंग के लिए अपने देश में प्रसारण पर रोक लगा दी है. केबल टीवी ऑपरेटर्स का कहना है कि भारत-नेपाल सीमा तनाव पर भारतीय चैनलों द्वारा जिस तरह नेपाली पीएम केपी शर्मा ओली को दिखाया इस पर उन्हें आपत्ति है.
मल्टी सिस्टम ऑपरेटर (एमएसओ) के अध्यक्ष, विदेशी चैनल के वितरक दिनेश सुबेदी ने बताया, “हमनें दूरदर्शन को छोड़कर सभी भारतीय समाचार चैनलों का प्रसारण रोक दिया है.” उन्होंने कहा, “हमनें भारत के निजी समाचार चैनलों का प्रसारण रोक दिया है क्योंकि वे नेपाल की राष्ट्रीय भावनाओं को आहत करने वाली खबरें दिखा रहे थे.”
वित्त, सूचना एवं संचार मंत्री युवराज खातीवाड़ा ने भारतीय समाचार चैनलों द्वारा प्रसारित कुछ खबरों की निंदा की. उन्होंने एक संवाददाता सम्मेलन के दौरान यहां कहा, “नेपाल सरकार ऐसे कृत्यों की आलोचना करती है. सरकार ऐसे आपत्तिजनक कृत्य के खिलाफ राजनीतिक और कानूनी पहलुओं पर विचार करेगी.”
इसी बीच नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने अब ऐसा बयान दिया है जो देश के करोड़ों हिन्दुओं को विचलित करदेगा .नेपाली पोर्टल www.setopati.com के अनुसार , ओली ने कहा, ‘अयोध्या नेपाल में है और भारत ने एक नक़ली अयोध्या को दुनिया के सामने रखकर सांस्कृतिक अतिक्रमण किया है.

नेपाली प्रधान मंत्री ओली ने यहीं बीएस नहीं किया बल्कि उन्होंने कहा कि भगवान राम नेपाली हैं न कि हिंदुस्तानी . PM ओली शर्मा ने अपने निवास पर आयोजित कार्यक्रम में कहा कि भारत ने ‘नकली अयोध्या’ को दुनिया के सामने रखकर नेपाल की सांस्कृतिक तथ्यों का अतिक्रमण किया है. उन्होंने कहा कि भगवान श्रीराम की नगरी अयोध्या, भारत के उत्तर प्रदेश में नहीं बल्कि नेपाल के बाल्मिकी आश्रम के पास है.

गौरतलब है कि नेपाल की ओर से नया राजनीतिक नक्शा (New Map OF NEPAL) जारी करने और भारत के कुछ हिस्सों को इसमें शामिल करने को लेकर नेपाल के पीएम ओली पहले ही भारत की आलोचना के केंद्रबिंदु बने हुए हैं. इस सम्बन्ध में भारत का साफ तौर पर मानना है कि चीन की शह पर नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी के केपी शर्मा ओली इस तरह के कदम उठा रहे हैं जो कि उनके लिए ‘आत्मघाती’ साबित हो रहे हैं.
भारत विरोधी रुख को लेकर ओपी के खिलाफ विरोधी एकजुट होते जा रहे हैं और उन्हें पद से हटाए जाने की मांग ने जोर पकड़ लिया है. नेपाल ऐसा देश है जो आर्थिक सहित हर तरह की मदद के लिए बहुत कुछ भारत पर निर्भर है. भारत के साथ उसके पुराने सांस्कृति संबंध भी रहे हैं.नेपाल के नए नक्शे के मामले में ओली के रुख से भारत खफा है. भारतीय सूत्रों ने कहा,’ भारत और नेपाल के बीच अब बातचीत के लिये अनुकूल माहौल तैयार करने का दायित्व पूरी तरह से नेपाली प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली (KP Sharma Oli) और उनकी सरकार का है क्योंकि नया नक्शा जारी करना राजनीतिक फायदा हासिल करने का उसका “अदूरदर्शी” एजेंडा था.’
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