निर्मला सीतारमण ने अमेरिका में भारतीय मुसलमानों पर दिया बड़ा बयान
में पूछती हूँ अगर ये नज़रिया सही है कि भारत में मुसलमानों की ज़िंदगी मुश्किल है या फिर स्टेट की तरफ से मुश्किल बनाई जा रही है
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आजकल अमेरिका के दौरे पर हैं . अमेरिका के पीटरसन इंस्टिट्यूट ऑफ इंटरेशनल इकोनॉमिक्स में आयोजित एक संगोष्ठी के दौरान सवालों के जवाब दे रही थीं.
भारत में पूँजी निवेश के बारे में उनसे सवाल पूछा गया कि क्या भारत में बन रही लोकतंत्र विरोधी धारणा से देश में आने वाला निवेश या पूंजी प्रवाह प्रभावित हो रहा है ? इसके जवाब में उन्होंने कहा, ”मैं समझती हूं के ये जवाब तो निवेशकों के पास है. वो निवेशक जो भारत निवेश करना चाहते हैं, वो आएं और देखें कि यहां क्या हो रहा है.”
उन्होंने कहा कि जिन्होंने कभी भारत आकर ज़मीनी हक़ीक़त नहीं देखी और रिपोर्ट बना दी है, उनकी ओर से बनाई धारणा को सुनने के बजाय निवेश के इच्छुक लोगों को भारत आकर देखना चाहिए कि हक़ीक़त क्या है.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने दावा किया है कि भारत के मुसलमान पाकिस्तान के मुस्लिमों से ज़्यादा तरक़्क़ी कर रहे हैं.अमेरिका में किए गए एक सवाल के जवाब में उन्होंने यह बात कही.
पीटरसन इंस्टिट्यूट ऑफ इंटरनेशनल इकोनॉमिक्स के प्रमुख S Posain ने सीतारमण से पूछा कि पश्चिमी मीडिया में विपक्षी सांसदों की संसद सदस्यता ख़त्म करने और मुस्लिमों के ख़िलाफ़ हिंसा की ख़बरें आ रही हैं. इसमें कितनी सच्चाई है?
पोसेन ने सवाल किया , ”भारत को लेकर राजनीति के मुद्दे पर अगर अमेरिका नहीं, तो कम से कम यूरोप में नज़रिया पूरी तरह अलग है. पश्चिमी जगत के मीडिया में विपक्षी दलों के सांसदों का अपना दर्जा खोने, भारत में मुसलमान अल्पसंख्यकों के ख़िलाफ़ हिंसा भड़काने और उनके दमन पर लिखा जा रहा है. ”
”मैं आपको इन्हें ख़ारिज करने, इन पर टिप्पणी करने के लिए नहीं कहने वाला. लेकिन मैं आपसे ये ज़रूर पूछना चाहूंगा कि क्या ये नज़रिए किसी भी तरीक़े से भारत में निवेश को लेकर या कैपिटल फ्लो पर कोई असर डालेगा या फिर ये कोई मुद्दा ही नहीं हैं ? ”
एस पोसाइन के इस चुभते सवाल का जवाब ज़रा मुश्किल था फिर भी इस पर सीतारमण ने कहा, ”मुझे लगता है कि इस झूठ का जवाब वो निवेशक हैं, जो भारत आकर पैसा लगा रहे हैं और वो लगातार आ रहे हैं. निवेश की मेज़बानी करने को लेकर दिलचस्प पक्ष होने के नाते मैं सिर्फ़ ये कहना चाहूंगी कि आप ख़ुद भारत आकर देखें कि वहां क्या हो रहा है.”
सीतारमण ने कहा ”जो लोग भारत में आए तक नहीं, उनके बनाए नज़रिए और रिपोर्ट पर भरोसा करने के बजाय ख़ुद आकर देखें.”
वित्तमंत्री सीतारमण का जवाब तो सही है कि जब तक ग्राउंड पर आकर रिपोर्ट नहीं ली जायेगी तो पश्चिम में भारतीय सरकार के विरुद्ध चलाये जा रहे नैरेटिव के बारे में सच्चाई नहीं मिल पायेगी और न ही सत्तापक्ष के फैलाये गए झूठ और झूठे प्रोपगंडे का ही अंदाज़ा हो पायेगा . इसलिए ग्राउंड रिपोर्ट जानने के लिए तो ग्राउंड पर जाना ही होगा .
‘भारत में मुसलमान तरक्क़ी कर रहे हैं’
वित्त मंत्री सीतारमण ने कहा, ”आप जानते हैं कि उभरते हुए बाज़ार इस बोझ को लेकर चलते हैं. वो कहते हैं कि आप उभरता हुआ बाज़ार हैं…हर कारोबार या कंपनी को इन बाज़ारों को लेकर हर वो सवाल करने का अधिकार है. जहाँ वो रचनात्मक भूमिका अदा कर सकते हैं, लेकिन निवेश कैसे होगा, इस बारे में निर्देश हमारे होंगे.”
उन्होंने आगे कहा ”मैं ये साफ़ कर देना चाहती हूं कि आप जो Narrative (नज़रिया) बता रहे हैं, मैं उससे सहमत नहीं हूँ. भारत में दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी मुसलमान आबादी बसती है और ये आबादी बढ़ रही है.
” में पूछती हूँ अगर ये नज़रिया सही है कि भारत में मुसलमानों की ज़िंदगी मुश्किल है या फिर स्टेट की तरफ से मुश्किल बनाई जा रही है , तो क्या भारत में मुसलमानों की आबादी साल 1947 की तुलना में बढ़ रही होती.”
टॉप view : आबादी का मामला तो क़ुदरत का एक निज़ाम है , इसपर किसी का कोई भी अधिकार नहीं है , अलबत्ता देश के नागरिकों के साथ इंसाफ़ , सामाजिक सुरक्षा और दीगर नागरिक सुविधाएँ स्टेट की ज़िम्मेदारी में आता है . इसका अभाव है जो किसी से छुपा नहीं है .
सीतारमण ने कहा ”यहां तक कि मुसलमानों के कुछ समुदाय भी ग़ायब हो रहे हैं. मुहाजिर, शिया और हर उस समूह के ख़िलाफ़ हिंसा जारी है, जिसे मुख्यधारा में नहीं गिना जाता, जिन्हें सुन्नी कहा जाता है. भारत में मुसलमानों के हर संप्रदाय मिल जाएंगे. वो कारोबार कर रहे हैं, उनके बच्चों को शिक्षा मिल रही है, सरकार की तरफ़ से फेलोशिप मिल रही है.”
वहां भी पाकिस्तान का नाम लिए बिना काम न चल सका और कहा, ”मैं एक देश का नाम लेना चाहती हूं ताकि अंतर को और स्पष्ट किया जा सके. भारत का विभाजन हुआ और पाकिस्तान बना .पाकिस्तान ने ख़द को इस्लामिक देश के रूप में घोषित किया, लेकिन ये भी कहा गया कि अल्पसंख्यकों को पूरी सुरक्षा दी जाएगी. वहां हर अल्पसंख्यक समुदाय की संख्या घट रही है या मैं ज़्यादा सख़्त शब्दों में कहूं तो उनका वजूद मिटाया जा रहा है.”
सभार BBC
“मगर अब तो fellowship ख़त्म कर दी गयी है . अल्पसंख्यक मंत्रालय के सालाना बजट में भारी कटौती की गयी है . कई मदारिस और दीनी इदारों को बंद कर दिया गया है .दारुल उलूम देओबंद जैसे विश्वविख्यात इदारे को आतंकी गतिविधियों में लिप्त होने का नैरेटिव वर्तमान सर्कार में बनाने की कोशिश जारी है .
सैकड़ों मुस्लिम छात्रों को झूठे मुक़द्दमात लगाकर उनके कैरियर्स को तबाह कर दिया गया है . मुस्लिम कारोबारी States को एक साज़िश के तहत बर्बाद किया गया है. और यह सब बीजेपी शासनकाल में ही नहीं कांग्रेस शासन में भी हुआ है बल्कि आज से ज़्यादा हुआ है . और इसकी भारी क़ीमत कांग्रेस को चुकानी पड़ी है “. TOP View
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