मणिपुर में फंसे बिहार के छात्रों को मंगलवार को स्पेशल विमान से पटना लाया गया. एयरपोर्ट पर छात्रों के परिजन उन्हें लेने के लिए पहुंचे हुए थे.
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के निर्देश पर मणिपुर से छात्रों को लाने के लिए कवायद शुरू की गई थी. उसके बाद स्पेशल विमान से छात्रों को पहले इंफाल और फिर उनको पटना लाया गया. पटना लौटे छात्रों ने अपनी आंखों देखी सुनाई तो सिहरन सी हो गई.
यूनिवर्सिटी की छात्रा नेता का कहना था, हाॅस्टल कैंपस के पास गोलियां चलती थीं और हर समय बम फटने की आवाज आती रहती थी. हम सब बेहद डर गए थे. नेहा ने बताया कि बाकी छात्र जिस राज्य के थे, वहां की सरकारों ने पहले ही उनको बुला लिया था और सबसे अंत में हम बिहारी छात्र-छात्राएं ही वहां से निकल सके हैं.
यूनिवर्सिटी की एक अन्य छात्रा तन्नु का कहना था, हमेशा गोली-बंदूक और बम-बारूद की आवाजें आती रहती थीं. समय पर खाना भी नहीं मिल पाता था. घर और जंगल जलाए जा रहे थे, जिससे हम बहुत डरे हुए थे. हम मानसिक रूप से काफी परेशान थे, क्यों ऐसी स्थिति से पहली बार सामना हुआ था. तन्नु ने कहा, करीब 300 बिहारी स्टूडेंट्स मणिपुर में पढ़ते हैं. बिहार सरकार अपने छात्रों को देर से बुला रही है. यह कदम बहुत पहले उठाया जाना चाहिए था.
एक अन्य छात्र का कहना था, कई राज्यों ने अपने स्टूडेंट्स को पहले ही बुंला लिया था. अंत में केवल हम बिहारी छात्र ही फंसे थे. हम लगातार बिहार की सरकार के संपर्क में थे और ई-मेल के अलावा ट्वीट कर रहे थे. मीडिया ने दबाव बनाया तो सरकार ने दूसरे राज्यों की देखादेखी हमको बुलाने का फैसला किया.
मणिपुर में 3 मई को हिंसा भड़क गई थी, जिसमें बड़े पैमाने पर क्षति हुई थी. 10,000 लोग इस बवाल में फंसे हुए हैं. 20 हजार लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा दिया गया है और 60 लोगों ने अपनी जान गंवाई है. 225 लोग इस हिंसा में जख्मी हुए हैं और 1700 घरों को उपद्रवियों ने फूंक दिया है.
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