क़लमकाशहज़ादा

धर्म की बुनियाद पर पुलिसकर्मी को दाढ़ी रखने का संवैधानिक अधिकार नहीं लेकिन पुलिस स्टेशन में मंदिर बनाने का पूरा कांस्टीट्यूशनल अधिकार है |
हालाँकि भारत का संविधान पुलिस या आर्मी में दाढ़ी रखने की इजाज़त देता है , इसी सिलसिले में कई मुस्लिम और सिक्ख अदालतों से अपने मुक़द्दमे जीत चुके हैं और फिर अपने मज़हबी रिवाज को पूरा करते हुए ईमानदारी से अपनी Duty करते रहे हैं .

मन्दिर बनाकर थाने का धर्मीकरण नहीं होगा क्योंकि पुलिसकर्मी सेक्युलर है न, मैं समझ नहीं पा रहा कि मंदिर सेक्युलरिज़्म का संकेत है या धर्म का ? क्योंकि यदि धर्म का है तो फिर थाने में मंदिर क्यों ? यदि सेक्युलरिज़्म का है तो फिर कोर्ट के स्थान पर मंदिर क्यों नहीं ?


भले ही दिल्ली दंगे में धर्म की बुनियाद पर चार लोगों को ज़मीं पर बिछाकर इतना पीटा जाए कि फैज़ान की मौत हो जाए, खालिद मुजाहिद, ज़ीनत साहित तमाम लोगों की कस्टोडियल हत्या कर दी जाए, मुरादाबाद ईदगाह को जलियां वाला बाग नरसंहार बना दिया जाए लेकिन हां, पुलिसकर्मी सेक्युलर ही होना चाहिए और हां मंदिर वहीं बनाएंगे |
भारतीय संविधान दुनिया का सबसे विशाल, विस्तृत संविधान है हमें इस पर पूरा भरोसा है |