राजदूत ने ज्ञापन तक लेने से किया इंकार, एसडीपीआई कार्यकर्ताओं ने घंटों दूतावास पर दिया धरना
नई दिल्ली/ 22 दिस./सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी आॅफ इंडिया (एसडीपीआई) ने सीरिया में जारी हिंसा के विरोध में नई दिल्ली स्थित सीरियाई दूतावास पर एक विशाल विरोध प्रदर्शन का आयोजन किया गया। सीरिया की घटना के संबंध में एसडीपीआई का मानना है कि पछले दिनों सीरिया की फौज के साथ मिलकर रूस और ईरान द्वारा बागियों को समाप्त करने के बहाने, सीरिया में निर्दोष नागरिकों, मासूम बच्चों और बुजुर्गों के क़त्लेआम, अति हानिकारक कैमिकल गैसों का प्रयोग और बड़े पैमाने पर औरतों के साथ बलात्कार व पूरी-पूरी आबादी पर बमबारी करके उनको नष्ट करने की घटनाएं अति निंदनीय हैं और उससे भी ज़्यादा निंदनीय व दुखदायी बात यह है वर्तमान समय के इस अमानवीय व बर्बरतापूर्ण कार्यवाही जिसपर इतिहास के बड़े बड़े दरिंदों हलाकू, चंगेज़ खां, हिटलर और मुसोलीनी की भी आत्माएं शर्मिंदा हो रही हैं, पूरी दुनिया खामोश तमाशाई बनी हुई है। अलेप्पों की घटना 1995 में सर्वनिका (बोस्निया) के बाद अब तक की सबसे बड़ी और अमानवीय घटना है।
इस मौक़े पर पार्टी के राष्ट्रीय कोआॅर्डिनेटर डा. निज़ामुद्दीन खान ने कहा कि सीरिया में 2011 से गृहयुद्व के बाद से अबतक 3 लाख से अधिक लोग मारे जा चुके हैं दौ करोड़ से ज़्यादा आबादी वाले इस देश की आधे से ज़्यादा लोग अपना सबकुछ लुटाकर इधर उधर भटकने पर मजबूर हैं, तथा अंतर्राष्ट्रीय व घरेलू तौर पर विस्थापित हुए हैं। जिसपर पूरी दुनिया में मानवाधिकार के झंडा बरदारों, संगठनों और देशों के आंखों पर पटिटयां बंधी हुई है तथा कान में सीसे पड़े हुए हैं। सीरिया के मामले में सयुंक्त राष्ट्रसंघ जिसका गठन दुनिया में न्याय और अमन व शांति का वातावरण स्थापित करने के लिए हुआ है, वह भी अपनी ज़िम्मेदारियों को निष्पक्षता पूर्वक नहीं निभा रहा है। प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे राष्ट्रीय कोआॅडिनेटर डा. निज़ामुद्दीन खान ने यह भी कहा कि सीरिया के तानाशाह राष्ट्रपति बशार उल असद और उनका साथ देने वाले रूस और ईरान जैसे देशों को यह समझना चाहिए कि ताकत के प्रयोग से दुनिया का कोई भी मसला हल नहीं हो सकता है, इससे सिर्फ बरबता और अत्याचार में बढ़ोत्तरी होती है, मानवता खून से लथपथ हो जाती है, शहर और देश खंडर में बदल जाते हैं, मुल्क और समाज का भविष्य तबाह व बर्बाद हो जाता है। परंतु इससे कुछ हासिल नहीं होता है। अन्याय आतंक का रास्ता बनाता है और सीरिया में ऐसे हालात बन गये हैं कि अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद बढ़ सकता है। इसीलिए संयुक्त राष्ट्र संघ, सीरिया तथा उसका साथ देने वाले देशों से हमारी मांग हैं कि वह तत्काल सीरिया में जारी हिंसा पर रोक लगाने की दिशा में प्रभावी कदम उठाएं तथा विश्व समुदाय के सभी न्याय व शांतिप्रिय लोगों और मानवाधिकार की रक्षा करने के दावेदार संगठनों से अपील है वे सीरिया में हो रहे आम नागरिकों के कत्लेआम व अमानवीय हिंसा की रोकथाम के लिए भी आगे आएं। भारत को भी मानवता के बचाव तथा आतंकवाद को रोकने के लिए उचित कदम उठाना चाहिए।
पाॅपुलर फ्रंट आॅफ इंडिया के दिल्ली प्रदेशाध्यक्ष परवेज़ अहमद ने अपने बयान में कहा कि सीरिया की गृहयुद्ध को आपसी मतभेद बताकर इस्लाम और मुसलमानों को बदनाम करने और तमाम मुस्लिम शासित देशों को आपस में लड़ाने की एक सुनियोजित षणयंत्र है इसको मसलक के दृष्टिकोण या शिया सुन्नी के ऐनक से नहीं बल्कि हुकूमती दृष्टिकोण से देखने की ज़रूरत है जहां पंथ, धर्म और विचारधारा का कोई स्थान नहीं रह गया है बल्कि वहां सिर्फ और सिर्फ लालच, सत्ता और राजकीय राजनीति है। दुर्भाग्य है कि तमाम मुस्लिम देशों के शासक इस षणयंत्र के शिकार बने हुए हैं, जिसमें ईरान, तुर्की, सऊदी अरब जैसे अहम देशों की सरकारे भी शामिल हैं।
आॅल इंडिया इमाम्स काउंसिल के दिल्ली प्रदेशा महासचिव मौलाना अब्दुल वारिस ने आरोप लगाते हुए कहा कि सीरिया के गृहयुद्ध व वर्तमान स्थिति के असल ज़िम्मेदार अमेरिका, रूस और इज़राइल हैं जो अपने निजी स्वार्थों के लिए अफग़ानिस्तान, ईराक और लीबिया की तरह सीरिया को तबाह और बर्बाद करके वहां की गैस व तेल जैसे प्राकृतिक संपदा पर अपना अधिकार जमाना चाहते हैं तथा सीरिया प्राचीनकाल से ही अंतर्राष्ट्रीय व्यापार का केंद्र रहा है तथा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उसका एक सुनहेरा इतिहास रहा है, जिसे नष्ट करके इस्लामिक मूल्यों को ठेस पहुंचाना भी उनका उद्देश्य हैं।
इस संबंध में सीरियाई राजदूत को ज्ञापन देने की भी बहुत कोशिश की गई लेकिन दूतावास के किसी भी अधिकारी ने ज्ञापन लेने की हिम्मत नहीं दिखाई। भारी संख्या में मौजूद पार्टी कार्यकर्ताओं ने घंटो नारेबाज़ी कर दूतावास को घेरे रखा।