लोक सेवा आयोग घोटाले को छुपाना है , नेहा यादव बहाना है
उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग का बड़ा घोटाला उजागर , परीक्षा नियंत्रक अंजू लता कटियार और कौशिक के साथ 9 लोगों को गिरफ्तार किये जानी सूचना जारी
मुकेश यादव SPECIAL CORRESPONDENT:///
वर्तमान योगी सरकार UPPSC घोटाले में घिरती नज़र आरही है जिसके चलते राज्ये भर में प्रदर्शन और आंदोलन जारी हैं , ताज़ा समाचार मिलने तक दर्जन भर छात्र जल सत्याग्रह पर हैं । आपको बता दें इलाहबाद हाई कोर्ट ने सीबीआई को जांच का आदेश देते हुए कहा था कि पिछले 20 वर्षों से उत्तर प्रदेश सरकार के चयन बोर्ड या कमिशन की लगभग हर भर्ती में गड़बड़ी देखने को मिल रही है ।
उत्तर प्रदेश की Special Task Force (एसटीएफ) ने उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (UPPSC) की परीक्षा नियंत्रक अंजू लता कटियार के साथ ही कुल 9 लोगों को गिरफ्तार किया है। ये गिरफ्तारी 2018 में उत्तर प्रदेश में हुई एलटी ग्रेड यानी (Licentiate Teacher) की परीक्षा का पेपर लीक करने के मामले में हुई है।
आपको बताते चलें कि पेपर लीक कि कहानी क्या है ,दरअसल कोलकाता की एक प्रिंटिंग प्रेस के मालिक कौशिक ने आयोग की परीक्षा नियंत्रक अंजू लता कटियार के साथ मिलकर ढाई से १० लाख तक में पेपर लीक करने का समझौता किया था , यानी एक student को LT का पेपर १० लाख में बेचा जाएगा ।एसटीएफ की माने तो कौशिक के पास से जून, 2019 में होने वाली पीसीएस मेंस की परीक्षा का भी पेपर मिला है, जिसके बाद इस परीक्षा को भी रद कर दिया गया है। हालाँकि पिछले 20 वर्षों में सरकार सपा की हो या बीजेपी की, आयोग में बैठे लालची और देशद्रोह अधिकारीयों और कर्मचारियों ने हर बार लड़कों के भविष्य के साथ खिलवाड़ ही किया है।
आपको याद होगा मार्च, 2017 में यूपी में विधानसभा के चुनाव होने थे। चुनाव प्रचार के लिए खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी के रोहनिया में मौजूद थे। इस दौरान उन्होंने उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की ओर से पीसीएस मेन्स 2015 की परीक्षा की कॉपी में हेराफेरी का मुद्दा उठाया और उन्होंने बाकायदा नाम लेकर कहा कि आयोग की ओर से रायबरेली की सुहासिनी वाजपेयी नाम की लड़की की कॉपी (Answer sheet ) बदल दी गई थी और वह फेल होगई थी ।
सुहासिनी की कॉपी दुबारा चेक हुई तो पता चला कि कोड बदलने की वजह से सुहासिनी की स्थान पर रवींद्र तिवारी का नाम दर्ज हो गया था। इसकी वजह से रवींद्र तिवारी पास हो गए और सुहासिनी फेल। अंत्यतय सुहासिनी को पास घोषित कर दिया गया। ये वो दौर था जब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव अपने चुनाव प्रचार में कहते थे काम बोलता है और प्रधानमंत्री मोदी कहते थे कि आपका काम नहीं, कारनामा बोलता है।लेकिन आज योगी जी का कारनामा बोलता देखा जासकता है ।
पीएम मोदी ने आयोग में हुए भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाया था।
पीएम मोदी ने यूपी विधानसभा चुनाव के दौरान यूपी लोकसेवा आयोग में हुए भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाते हुए बीजेपी ने विधानसभा चुनाव के लिए एक संकल्प पत्र भी जारी किया था। संकल्प पत्र के पेज नंबर 7 पर बीजेपी ने एक वादा किया था। हर युवा को मिलेगा रोजगार शीर्षक वाले इस पेज पर लिखा था- ‘सपा के शासनकाल में उत्तर प्रदेश पब्लिक सर्विस कमीशन के पक्षपात वाले रवैय्ये पर उच्च न्यायालय ने स्वयं संज्ञान लेकर चेयरमैन को पद से हटाया। प्रदेश सरकार की हर भर्ती एक घोटाला बनकर सामने आई। भारतीय जनता पार्टी भर्ती प्रक्रिया की पारदर्शिता को सख्ती से लागू करेगी।’
लेकिन आज योगी सर्कार में प्रदेश की जो कुछ भी स्तिथि है देश के सामने है ।
सत्ता बदल गई लेकिन आयोग का कारनामा जारी रहा। बीजेपी की ओर से पहली बड़ी भर्ती शिक्षकों के लिए निकाली गई। 68,500 पदों पर भर्ती के लिए हुई परीक्षा में भी भ्रष्टाचार के आरोप, गड़बड़ियों के आरोप और नकल के आरोप लगे। अब ये भर्तियां भी पिच्छली सरकारों की भर्तियों की तरह हाई कोर्ट (HC) में पहुंच गई। जिसपर HC ने सीबीआई जांच का आदेश देते हुए कहा-
“पिछले 20 साल से राज्य सरकार, चयन बोर्ड या कमिशन की लगभग हर भर्ती में गड़बड़ी देखने को मिल रही है। लेकिन दोषी अफसरों के खिलाफ कार्रवाई के बजाय जांच कमिटियां बनती रहीं, जिन्होंने कुछ नहीं किया। इसलिए पूरे मामले की निष्पक्ष जांच ज़रूरी है। सरकार सीबीआई जांच के लिए तैयार नहीं है, इसलिए हमें आदेश देना पड़ रहा है”।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पिछली शिक्षक भर्ती की सीबीआई जांच के आदेश दिए हैं।
अभी इस मामले की सीबीआई जांच चल ही रही है और अब आयोग का एक और नया कारनामा सामने आ गया है। और इस बार का कारनामा इतना बड़ा है कि पिछली सरकारों के शासनकाल में हुए कारनामे पीछे छूट गए हैं।
उत्तर प्रदेश लोकसेवा आयोग की हालिया घटना को समझें
उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग ने सरकारी हाई स्कूल और इंटरमीडिएट में शिक्षकों की भर्ती के लिए परीक्षा करवानी थी। इसे एलटी ग्रेड की परीक्षा कहा जाता है। इस परीक्षा के लिए 15 मार्च, 2018 को आयोग की तरफ से ऑनलाइन आवेदन मांगे गए। 29 जुलाई, 2018 को परीक्षा भी हो गई। इस परीक्षा के तुरंत बाद ही सामाजिक विज्ञान और हिंदी के पेपर लीक होने की बात सामने आने लगी।
इसी बीच दावा किया जाने लगा कि परीक्षा से पहले ही पेपर वॉट्सऐप पर वायरल हो गए थे। लेकिन आयोग ने इन दावों को खारिज कर दिया । हालांकि सभी 15 विषयों के रिजल्ट जारी नहीं किया गए । रिजल्ट जारी करने को लेकर प्रतियोगी छात्रों ने आयोग के सामने कई बार अर्ध नग्न प्रदर्शन किया था। इसके बावजूद आयोग के मीडिया प्रभारी सुरेंद्र उपाध्याय ने 31 मई, 2019 से रिजल्ट जारी करन को कहा था। लेकिन उससे पहले ही आयोग का कारनामा सामने आ गया ।
शिक्षक भर्ती के पेपर लीक करने की डील 2.80 करोड़ रुपये में हुई थी।
उत्तर प्रदेश एसटीएफ ने 28 मई की रात को वाराणसी के चोलापुर में छापेमारी करके एक प्रिंटिंग प्रेस के मालिक कौशिक कुमार को गिरफ्तार कर लिया। पता चला कि उत्तर प्रदेश लोकसेवा आयोग के पेपर जिस प्रिंटिंग प्रेस में छपते हैं, कौशिक उसका मालिक है। एसटीएफ को कौशिक के पास से लैपटॉप, कुछ पेपर और कई नामी लोगों के नाम का पता चला।
पुलिस के मुताबिक उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की परीक्षा नियंत्रक अंजू कटियार और कौशिक के बीच 2 .80 करोड़ रुपये में LT ग्रेड शिक्षकों की भर्ती के पेपर का सौदा हुआ था। पुलिस के मुताबिक कौशिक ने बताया है कि पेपर लीक करने में उसके साथ रंजीत प्रसाद, गणेश प्रसाद शाह और संजय शाह थे। याद रहे भारत के ग्रह मंत्री अमित शाह से इनका कोई रिश्ता आप न जोड़ें ,इन लोगों ने परीक्षा से एक दिन पहले 28 जुलाई, 2018 को 50 लड़कों को पेपर दिया था। इस पेपर के एवज में इन लड़कों से 2 .5 लाख से लेकर 5 लाख रुपये तक लिए गए थे। कई लड़कों के हाई स्कूल, इंटरमीडिएट और ग्रैजुएशन की ओरिजिनल मार्कशीट भी जमा करवा ली गई थी।
बनारस से कोलकाता कैसे पहुंचा पेपर, और उसके बाद क्या हुआ पेपर का
परीक्षा 29 जुलाई 2018 को होनी थी उससे एक दिन पहले ही वाराणसी से पेपर लेकर कौशिक का एक साथी अशोक चौधरी कोलकाता पहुंचा । अशोक के साथ गणेश और रंजीत नाम के दलाल भी थे। कोलकाता में एक होटल में संजय, अजीत चौहान, अजय, शैलेंद्र और प्रभु दयाल से मुलाकात हुई। वहां से सभी लोग शहर से करीब 10 किलोमीटर दूर एक खाली जगह पर इकट्ठा हुए, जहां पहले से ही कुछ प्रतियोगी मौजूद थे जहाँ उनको पेपर दिया गया दो घंटे तक पेपर रटवाया गया और फिर पेपर जला दिए गए।
UPPSC परीक्षा नियंत्रक अंजू कटियार समेत 9 लोगों पर केस दर्ज
एसटीएफ ने पेपर लीक मामले में उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की परीक्षा नियंत्रक अंजू लता कटियार के साथ ही प्रिंटिंग प्रेस के मालिक कौशिक कुमार और उसके साथियों रंजीत, संजय, अजीत, अजय चौहान, प्रभु दयाल, गणेश और शैलेंद्र के खिलाफ वाराणसी के चोलापुर में केस दर्ज करवाया गया है। मामले की जांच कर रहे अनिल राय ने कोर्ट में लगाई कि अंजू लता के खिलाफ सर्च वॉरंट जारी किया जाए ,जिसकी इजाज़त मिलगई इसके बाद 28 मई की देर रात ही लोकसेवा आयोग में एसटीएफ और पीएसी की टीमों ने जांच शुरू कर दी। पुलिस के अनुसार नए पेपर छापने के एवज में ही कौशिक ने अंजू लता को 10 लाख रुपये दिए थे। 30 मई की शाम होते-होते क्राइम ब्रांच ने अंजू लता कटियार को गिरफ्तार कर लिया था।
जांच के दौरान ही 25 मई, 2019 को एसटीएफ ने उत्तर प्रदेश लोकसेवा आयोग को पत्र भेजकर कहा कि कौशिक की कंपनी को ब्लैकलिस्ट किया जाए और उसे पेपर छापने का ठेका न दिया जाए। लेकिन अंजू लता कटियार ने फिर से कौशिक को ही पीसीएस मेंस के पेपर छापने का ठेका दे दिया। एसटीएफ की माने तो इसी पेपर को लीक करने और इसे बेचने के लिए नए अभ्यर्थियों की तलाश के लिए कौशिक बनारस आया था। एसटीएफ को सूचना मिली तो 28 मई की रात को एसटीएफ ने उसे गिरफ्तार कर लिया। उसकी गिरफ्तारी के बाद पूरे रैकेट का खुलासा हो गया।
हालाँकि PCS ASSOCIATION अंजू कट्यार की गिफ्तारी के बाद आंदोलित होगई थी और उसका मानना था की कटियार पर इस सम्बन्ध में भ्रष्टाचार के पुख्ता सुबूत अभी नहीं मिले हैं , जबकि STF का दावा है की उसने इस सम्बन्ध में पक्के सुबूत जुटा लिए हैं उसके बाद ही अंजू की गिरफ़्तारी की गयी है ।
उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग के इस घोटाले के चलते इलाहबाद विश्व विद्यालय में एक नई स्टोरी को तैयार किया गया जिसके चलते लोक सेवा आयोग का यह स्कैंडल से देश और जनता कि निगाह हटाई जा सके , और इसके लिए बलि का बकरा या बकरी बनाया गया नेहा यादव को , जिसपर अनुशासन हीनता के अलावा कई मुक़द्दमे लगाए गए उसी में बताया जाता है कि साल भर पहले मोदी अमित शाह कि इलाहबाद रैली के दौरान उनको नेहा यादव ने काले झंडे दिखाए थे ।
बता दें कि नेहा यादव इलाहबाद विश्व विद्यालय में Phd की स्टूडेंट हैं और वहां हॉल ऑफ़ रेजिडेंस में ही रहती हैं ,नेहा छात्रों के मुद्दों पर उनकी लड़ाई संवैधानिक तौर पर लड़ती रही हैं किन्तु छात्रों के विपक्ष ग्रुप द्वारा उनपर कुछ संगीन आरोप लगाए जाने की खबर है ।
हालाँकि लोक सेवा आयोग के स्कैंडल के विरुद्ध अनशन कर रहे छात्रों का कहना है की वो अभी नेहा के CASE पर कोई संज्ञान न लेकर उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग और योगी सरकार को घेरना चाहते हैं ताकि Licentiate Teacher (LT) Grade और PCS प्रतियोगियों के जीवन को सुरक्षित बनाया जा सके ।
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