प्रेस मीट
बिल को मंजूर करवाने में बुरी तरह नाकामी का सामना करना पड़ा विपक्षी दलों ने इस गै़र संवैधानिक क़ानून का घोर विरोध किया
भाजपा सरकार की ओर से तीन तलाक़ पर जल्दी में अध्यादेश को पारित करना असंवैधानिक और शत्रुता व बैर पर आधारित है और अक़लियत के विरूद्ध राजनैतिक चाल है तीन तलाक़ देने वाले पति को भारतीय दण्ड संहिता के तहत सज़ा देना सरासर ग़ैर क़ानूनी और क्रूर कदम है.
सरकार ने तीन तलाक़ के विरूद्ध क़ानूनसाज़ी के समय इस्लामी स्कॉलर और मज़हबी रेहनुमाओं व बुद्धिजीवी वर्ग से सलाह मशवरा नहीं किया और ना ही मेम्बर आॅफ पार्लियामेंट को विस्तार से बहस के लिए मौक़ा दिया गया सरकार को राज्यसभा में इस बिल को मंजूर करवाने में बुरी तरह नाकामी का सामना करना पड़ा विपक्षी दलों ने इस गै़र संवैधानिक क़ानून का घोर विरोध किया।
बीजेपी की ओर से अपने हिंदू वोटर्स को खुश करने के लिए मुस्लिम महिलाओं की झूठी हमदर्दी बटोरने का झूठा प्रचार प्रसार करते हुए अनेकों बार यह कोशिश की जा रही है के मुस्लिम पतियों के अत्याचार से बचाने के लिए यह बिल अत्यधिक शक्तिशाली है बिल में पति को 03 वर्ष की सज़ा निर्धारित की गई है.
जिससे परिवार आर्थिकरूप से तबाह हो जाएगा। इससे पत्नी और बच्चों को कभी ना ख़तम होने वाली मुशिकलों और परेशानी के अलावा कुछ भी हासिल नहीं होगा।
तीन तलाक़ अध्यादेश मुस्लिम पर्सनल लाॅ में हस्तक्षेप है और संविधान में दिये गए मौलिक अधिकार के विरूद्ध है मुसलमानों ने मुस्लिम पर्सनल लाॅ के समर्थन में 5 करोड़ से अधिक दस्तख़त करके लाॅ कमिशन को भेजे थे और 250 से अधिक देशांे में इस अध्यादेश के विरोध में रैलियां निकाली गयीं जिसमें 2 करोड़ से अधिक मुस्लिम महिलाओं ने सम्मिलित होकर अपना घोर विरोध दर्ज कराया।
अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर महिलाओं के अधिकार एवं संरक्षण के मामले मंे भारत 136 वें स्थान पर पहुच चुका है विगत दो वर्षाें में भारत मंे 1 लाख से अधिक बलात्कार हुए और 33800 से अधिक महिलाओं के विरूद्ध अपराध (Crime Against Women) हुए। दुनिया में की जाने वाली आत्महत्याओं में 40 प्रतिशत आत्महत्या में भारतीय महिलाएं शामिल हैं।
निम्न वर्ग कि शादियों में सैकड़ों मासूम मर्द औरतों के दर्दनाक क़त्ल हो रहे हैं जिसका जवाब आरएसएस और बीजेपी के पास नहीं है। इसके साथ नोटबंदी और जीएसटी से देश की आर्थिक स्थिति बर्बाद हुई है किसानों की ख़स्ताहाली और करोड़ों नौजवानों की बेरोज़गारी जैसी समस्या पर पर्दाडालने के लिए तीन तलाक़ अध्यादेश जल्दी में पारित किया गया .
देश की महिलाएं अपनी इज़्ज़त आबरू के संरक्षण के लिए अत्यधिक परेशान हैं ऐसे समय में अध्यादेश का पारित करना बीजेपी सरकार की हर स्तर पर नाकामी का खुला सबूत है। बीजेपी और आरएसएस की तरह अन्य मुस्लिम विरोधी दलों को मालूम होना चाहिए कि इस प्रकार सरकार की शक्ति का यह जबरिया इस्तेमाल करते हुए मुसलमानों के पर्सनल लाॅ में हस्तक्षेप को मुसलमान तथा विशेष रूप से महिलाएं कभी भी स्वीकार नहीं करेंगी.
क्योंकि शरीयत से इनका अपना अटूट रिशता है जो कभी टूट नहीं सकता। मुस्लिम महिलाएं शरीयते इस्लामी को अपनी जान से अधिक चाहती हैं सरकार की ज़िम्मेदारी है कि इस तरह के काले अध्यादेश को तत्काल वापस ले या निलंबित कर दे।
भवदीय,
(असमा ज़ेहरा)
वुमंस विंग आॅल इण्डिया मुस्लिम पर्सनल लाॅ बोर्ड