‘मेरा बेटा मर गया कोई नहीं, मगर बेगुनाह को तकलीफ़ मत होने दो’ ,मुल्क जलने से बचालो :इमाम
क़ुसूरवारों को सरकार सजा दे ,कार्रवाई होनी चाहिए पर किसी बेगुनाह को न मारा जाए ,अम्न ओ शान्ति रखी जाए इस्लाम यही सिखाता है ,हम इस्लाम की सर बुलंदी के लिए सब्र करेंगे ,मुल्क में अम्न , शान्ति के लिए क़ुर्बानी देंगे ,पहले भी आज़ादी के लिए अब भी आज़ादी और अम्न के लिए क़ुर्बानी देंगे .ये जुमले हैं पश्चिम बंगाल के आसनसोल में रामनवमी समारोह के दौरान हुए दंगों में मारे गए एक इमाम के बेटे की मौत के बाद उसके बाप के .
बुधवार को आसनसोल ज़िला अस्पताल में वहां की नूरानी मस्जिद के इमाम इम्तदुल्लाह रशीद के सबसे छोटे बेटे हाफ़िज सब्कातुल्ला का शव मिला था. उनके सिर और गले पर चोट के निशान थे.
गुरुवार को लगभग एक हज़ार लोगों की मौजूदगी में 16 साल के सब्कातुल्ला के शव को दफ़नाया जा रहा था. इस मौक़े पर इमाम ने अपील की ,कि इलाक़े में शांति बनाए रखने के लिए बदले की भावना से काम ना किया जाए.
इमाम साहब ने कोलकाता स्थित मीडिया को बताया, “हमारे लड़के ने इस साल माध्यमिक की परीक्षा दी है. वो कुरान का हाफ़िज़ भी था , बहुत होनहार था , यह कहते हुए इमाम की आंखों से आंसू आगये .”
वो बताते हैं, “28 तारीख़ को वो कुरान पढ़ने के लिए गया था. जब हल्ला-गुल्ला हो रहा था तो वो देखने के लिए गया था कि बाहर क्या हो रहा है. भीड़ उसे अपने साथ खींच कर ले गई.”
“मेरा बड़ा बेटा अपने भाई को छुड़ाने के लिए गया और उनसे पुलिस से शिकायत की. पुलिस ने पहले छोटे बेटे की तस्वीर की पुष्टि की और उसके बाद मदद करने की बजाय मेरे बड़े बेटे को ही पुलिस स्टेशन में बंद कर दिया. रात में हमारे काउंसेलर साहब उसे वहां से छुड़ा कर लाए.”
“सवेरे पता चला कि अस्पताल में एक लाश आई है. वो लाश मेरे छोटे बेटे की थी.”
अपने बेटे के शव को याद करते हुए इमाम भावुक हो जाते हैं. वो कहते हैं कि मैं कोशिश कर रहा हूं कि ना रोऊं लेकिन आंसू अपने आप ही आंखों में आ रहे हैं.
वो कहते हैं, “मेरे बेटे की उंगलियों के नाखून खींच लिए गए थे. उसे जला दिया गया था. उसके शरीर पर चाकू से वार किया गया था. आम तौर पर आदमी मर जाता है तो उसका खून बहना रुक जाता है, लेकिन उसका खून लगातार बह रहा था.” वो शहीद हुआ है .. उसका क्या क़ुसूर था ,,कोई बताये तो . मुस्लमान होना कोई गुनाह है ? ये जुमले थे ,बेटे के बाप के ,जिस मासूम को सत्ता के भिखारियों के ग़ुलामों ने मारडाला था .
“उन्होंने उसे मारा कोई बात नहीं, उन्होंने उसे जला दिया, ये ठीक नहीं था.”
इमाम इम्तदुल्लाह रशीद कहते हैं, “इस्लाम का पैगाम अमन का पैगाम है. ये कहता है कि खुद तकलीफ उठा लो लेकिन दूसरे को तकलीफ ना होने दो. हमारे आसनसोल में हम लोग अमन चैन से रहना चाहते हैं और मैं इस्लाम का पैगाम देना चाहता हूं.”
“मुझे इसे सहने की जो ताक़त मिली है वो अल्लाह की दी हुई ताक़त है. उसने हमें ताक़त दी है कि हम अपना दुख सह सकें. अपने मुल्क में शांति रहे, दंगा-फसाद ना हो और हमारे किसी भाई को तकलीफ़ ना हो.”
मीडिया से अपील
मीडिया से उनकी अपील है कि वो अमन के इस पैगाम को लोगों के पास ले कर जाएं.
वो कहते हैं, “15-16 साल के बच्चों को जेल में बंद कर दिया जाता है और फिर वो सालों बाद बाइज़्ज़त बरी हो जाते हैं. उनकी ख़बर दिखाई जानी चाहिए और उनके धैर्य की तारीफ़ की जानी चाहिए कि उन्होंने एक लंबा वक्त मुश्किलों में गुज़ारा लेकिन अल्लाह ने उन्हें जो कुछ सिखाया है उससे उन्होंने समझौता नहीं किया.”
पश्चिम बंगाल के पश्चिमी बर्दवान ज़िले के आसनसोल और रानीगंज में रामनवमी के दोरान हिंसक सांप्रदायिक दंगे हुए थे. यहां रामनवमी की झांकी निकालने को ले कर दो समूहों में झड़प हो गई थी.
आधिकारिक सूत्रों के अनुसार हिंसा में एक व्यक्ति की मौत हो गई थी और और दो पुलिस अधिकारी घायल हुए थे.
याद रहे बीजेपी के राष्ट्रिय अध्यक्ष अमित शाह कुछ दिन पहले ही पश्चिम बंगाल की यात्रा से लौटे हैं वहां उनका पैग़ाम बीजेपी कार्यकर्ताओं को दंगा भड़काने का था या सांप्रदायिक सोहाद्र बनाने का यह तो आप लोग भी ज़्यादा बेहतर जानते हैं . हालांकि अब तो लगभग देश पर ही भाजपा का शासन है ,अब 4 – 6 सूबों से क्या होता है . ऐसे में देश में शांति और सद्भाव को लाने का माहौल इन लोगों को बनाना चाहिए ताकि विकास का सपना पूरा होसके . जबतक देश में अम्न नहीं होगा तो विकास कहाँ से होगा ? मगर जब खुद ही कोई विकास न चाहे तो …..यहाँ तो सियासत का पूरा आधार ही नफरत , और खौफ पर रखा हुआ है ..देश में अघोषित आपातकाल है . टॉप ब्यूरो