कुलभूषण जाधव मामला:ICJ ने ठुकराई भारत की 3 मांगें ,पाक को फटकार
अंतर्राष्ट्रीय नयायिक अदालत यानी ICJ ने जासूसी के इलज़ाम में पकिस्तान की क़ैद में बंद भरतीय नागरिक कुलभूषण जाधव के मामले में सुनवाई करते हूए हिन्द की अपील को ठुकरा दिया, वहीं पाक को भी फटकार लगाई
हेग स्थित अंतरराष्ट्रीय अदालत (ICJ) ने पाकिस्तान की ओर से भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव को फांसी की सजा के ऐलान पर रोक लगाने के साथ ही पाक को जमकर लताड़ लगाई है.
अंतरराष्ट्रीय अदालत ने जाधव के बारे में फैसला सुनाते हुए कहा कि पाकिस्तान ने वियना समझौता का उल्लंघन किया. फैसले के साथ जाधव की फांसी की सजा पर अमल से रोक लगा दी गई है.
हालांकि कोर्ट ने जाधव की रिहाई समेत भारत की 3 मांग खारिज कर दी है. जबकि अंतरराष्ट्रीय अदालत ने ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए कुलभूषण जाधव की मौत की सजा पर रोक लगा दी है.
कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि जाधव से जुड़े पूरे मामले पर नए सिरे से ट्रायल किया जाए और कहा कि जाधव को काउंसलर एक्सेस दिया जाए. इसके अलावा कोर्ट ने पाकिस्तान को यह भी हिदायत दी कि आगे से वियना समझौता का उल्लंघन नहीं होना चाहिये .
Icj का फैसला
1. पाकिस्तान की ओर से कहा गया कि जाधव मामले पर सुनवाई करना अंतरराष्ट्रीय अदालत के दायरे में नहीं आता. इसे icj कोर्ट ने सिरे से खारिज करते हूए बताया कि 24 अप्रैल, 1963 को काउंसलर रिलेशंस पर वियना समझौते के तहत विवाद को खत्म करने के लिए आर्टिकल 1 में इसकी व्यवस्था की गई थी और इसी के आधार पर भारत ने 8 मई 2017 को पाकिस्तान के खिलाफ कोर्ट में केस दाखिल किया जिस पर पाकिस्तान ने आपत्ति जताते हूए कहा कि यह उसके अधिकार क्षेत्र में नहीं है.
Icj की 16 सदस्यीय बेंच ने पाकिस्तान के दावे को 15-1 से खारिज कर दिया. केवल पाकिस्तान के जज हक जिलानी ने इसके विरोध में वोट दिया.
ICJ ने पाकिस्तान को सजा की समीक्षा करने का भी आदेश दिया और तबतक फांसी की सज़ा स्थगित रहेगी।
2. भारत ने कुलभूषण जाधव को काउंसलर एक्सेस नहीं दिए जाने को लेकर अंतरराष्ट्रीय अदालत में इसकी शिकायत की, जिसका पाकिस्तान ने विरोध जताया.
कोर्ट ने काउंसलर एक्सेस की मांग को स्वीकार करते हुए 15-1 से फैसला दिया कि जाधव को काउंसलर एक्सेस मिलना चाहिए. पाकिस्तानी जज हक जिलानी ने विरोध में मत किया.
3. पाकिस्तान की ओर से जासूसी के आरोप में कुलभूषण जाधव को गिरफ्तार करने के बाद उनको जरूरी सूचना नहीं दिए जाने को लेकर कोर्ट ने इसे वियना समझौते का उल्लंघन माना. वियना समझौता के आर्टिकल 36 के पैराग्राफ 1 के तहत जाधव को सूचना नहीं दिए जाने पर पाकिस्तान ने शर्त का उल्लंघन किया.
कोर्ट ने इस मुद्दे पर भी 15-1 से फैसला दिया. विरोध का 1 फैसला पाकिस्तानी जज हक जिलानी ने लिया. कोर्ट का कहना है कि कानूनी संबंधी जानकारी हासिल करना जाधव का हक था और उन्हें इस बारे में कुछ भी नहीं बताया गया.
भारत की ओर से रिहाई की मांग खारिज
Icj अन्तर्राष्ट्रिय अदालत ने भारत की कई मांग को नहीं माना. आर्टिकल 137 के तहत भारत की जाधव को लेकर पाकिस्तान की सैन्य कोर्ट की ओर से दिए गए सजा को खत्म करने की मांग कोर्ट ने खारिज कर दी. इसके अलावा भारत ने जाधव को तुरंत रिहा करने और सुरक्षित भारत भेजने की मांग की थी, जिसे ठुकरा दिया गया.
वियना समझौता के आर्टिकल 147 के तहत अंतरराष्ट्रीय अदालत ने पाया कि पाकिस्तान ने जाधव मामले में समझौते का उल्लंघन किया. अदालत ने कहा पाकिस्तान, जाधव के मामले में फैसले पर तत्काल प्रभाव से रिव्यू कर, दोषसिद्ध और सजा के मामले पर पुर्नविचार करे. कोर्ट ने माना कि पाकिस्तान ने वियना समझौते के आर्टिकल 36 का घोर उल्लंघन किया.
भारतीय कारोबारी कुलभूषण जाधव पाकिस्तान की जेल में बंद हैं. जाधव को पाक की सैन्य अदालत ने फांसी की सजा सुनाई थी, जिसके खिलाफ भारत ने मई 2017 में अंतरराष्ट्रीय अदालत का दरवाजा खटखटाया था.
2016 में बलूचिस्तान में गिरफ्तारी
पाक का दावा है कि जाधव को पाकिस्तानी सुरक्षा बलों ने 3 मार्च 2016 को जासूसी और आतंकवाद के आरोप में बलूचिस्तान से गिरफ्तार किया था. इसके बाद सैन्य अदालत ने जाधव को मौत की सजा सुनाई गई थी. हालांकि भारत , पाकिस्तान के दावों को सिरे से खारिज करता रहा है.
जाधव जासूसी केस में भारत का कहना है कि कुलभूषण जाधव रिटायरमेंट ले चुके थे. वे बिजनेस के सिलसिले में ईरान गए थे, जहां से पाकिस्तानी खुफिया अधिकारियों ने उनको अगवा कर लिया था. भारत ने पाक की सैन्य अदालत के जरिए जाधव को फांसी की सजा सुनाए जाने के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय कोर्ट (ICJ) का दरवाजा खटखटाया जिसका फ़ैसला कल पूरी दुनिया के सामने सुना दिया गया।