लखनऊ। उत्तर प्रदेश पूर्व मुख्या मंत्री और बीएसपी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती राज्ये में योगी सरकार और केंद्र में मोदी सरकार से असंतुष्ट हैं मुख्यते: दलित आरक्षण और उत्पीड़न को लेकर वो बीजेपी और आरएसएस से आर पार की लड़ाई के मूड में हैं। इसी सम्बन्ध में वे केंद्र सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार की दलित और अल्पसंख्यक विरोधी नीतियों के खिलाफ आगामी सोमवार से जनता को आगाह करने के अभियान का आरम्भ करेंगी। दलित उत्पीड़न के मुद्दे पर राज्यसभा से इस्तीफा देने के बाद मायावती यूपी के मेरठ में बड़ी रैली कर 2019 चुनाव के लिए भाजपा को बड़ी चुनौती देने की तैयारी में मसरूफ हैं ।
मायावती इस रैली के जरिए दलित, आदिवासी, पिछड़े और अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को सरकार की दमनकारी नीतियों के प्रति जागरुक करने की शुरूआत बता रही हैं साथ ही पार्टी की ऊपरी स्तर पर बडे फैसले लेने की भी उम्मीदें हैं। सूत्रों के हवाले से बताया जा रहा है कि मायावती इस रैली में बड़े बदलाव कर किसी युवा के हाथ में ज़िम्मेदारी देकर आश्चर्यचकित करसकती हैं ।
बता दें कि संसद के मानसून सत्र की शुरूआत में ही मायावती ने दलित मुद्दों पर न बोले जाने को लेकर राज्यसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था। अब मायावती दलित व अल्पसंख्यक मुद्दों पर मेरठ, सहारनपुर और मुरादाबाद जिलों में दलित एवं अल्पसंख्यक समुदायों के लोगों को निशाना बनाने की बढ़ती घटनाओं को ध्यान में रखते हुए बीएसपी ने जनजागरण अभियान की शुरुआत मेरठ से करने की पहल की है।
आपको बता दें कि उम्मीद के बावजूद बीएसपी ने २०१७ यूपी चुनावों में भाजपा से पटखनी खाई थी। इसके लिए बीएसपी ने ईवीएम को जिम्मेदार बताया था जोकि काफी हद तक संभव था।मायावती के आरोपों के बाद कई जगहों से ईवीएम में गड़बड़ी की खबरें सामने आई थीं,और इसको संसद में भी चुनौती दी गयी थी किन्तु नतीजा ढाक के तीन पात ही रहा ।जबकि पत्रकारों के सामने इस गड़बड़ी का बड़ा खुलासा हुआ था कि मध्य प्रदेश में उपचुनावों में ईवीएम ने दो अलग बटन दबाने पर बीजेपी को ही वोट गया था। हालांकि इस मामले में चुनाव आयोग खुद को पाक साफ बताता रहा लेकिन हकीकत लोगों के सामने पहुंच चुकी थी।top bureau