यूनानी दवा बनाने वाली ड्रग्स लैबोेट्रीज को मिला प्रीमियम आयुष मार्क
नई दिल्ली। विश्व की सबसे पुरानी और सफल पद्धतियों में यूनानी और आयुर्वेदा कुदरती जड़ी बूटियों से बनी औषधियों पर आधारित है। आजकल जिस पद्धति का रिवाज अधिक है उसको अलोपथी पद्धति कहा जाता है किन्तु इसका इतिहास 200 वर्ष पुराना ही है ।अलोपथी चिकित्सा पद्धति
के बारे में यह मशहूर किया गया की यह मरीज़ को शीघ्र आराम देने में मददगार होती है और अलोपथी से ही तमाम तरह के नई पुरानी बीमारियों को ठीक किया जा सकता है जबकि यह सब विज्ञापनों के माध्यम से ही भ्र्म फैलाया गया है।बल्कि इस Pathy के भयानक side effects और नुकसान सामने आने पर लोगों में चिंता बढ़ी है और विकल्प कि तलाश में अवाम को यूनानी और आयुर्वेद पद्धति पर विश्वास होरहा है ।
जबकि आज तकनीकी के दौर में यूनानी और आयुर्वेदा ने भी अपने भस्मो ,माजूनों, सफ़ूफ़,और दीगर दवाओं की पैकिंग से लेकर डिस्ट्रीब्यूशन तक काफी सुधार करलिया है । हालांकि अलोपथी कई बीमारियों के इलाज में आज भी सफल नहीं है ,बल्कि वक़्ती तौर पर मर्ज़ की शिद्दत (तीव्रता) को कम करदेता है जबकि यूनानी और आयुर्वेदा मर्ज़ को जड़ से ख़त्म करने में सक्षम है .
आज फिर से देशभर में यूनानी चिकित्सा पद्धति से इलाज करने वाले हकीमो और उनके दवाखानो में बड़ी तादाद में मरीजों की भीड़ दिखाई पड़ती है। समय के साथ हकीमो और उनके दवाखानों में आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल तेजी से बढ़ रहा है।हालांकि ये सब काफी देर से होरहा है , मगर इसमें भी कहीं न कहीं सरकारों की ढील रही है ।या यु कहें की यूनानी और आयुर्वेदा के भेदभाव बरता गया था जो रफ्ता रफ्ता कम होरहा है ।
इसी कड़ी में उत्तर प्रदेश के मेरठ में 1985 में स्थापित किए गए ड्रग्स लैबोेट्रीज इन्हीं में से एक बड़ा इदारा है। हकीम सिराजुद्दीन अहमद के द्वारा स्थापित किए गए इस दवा खाने के जरिए तैयार की जाने वाली दवाएं उच्च गुणवत्ता वाली हैं। और उसका लाभ देश के मरीज़ों को होरहा है ।
ड्रग्स लैबोेट्रीज के चेयरमैन हकीम सिराजुद्दीन अहमद ने इंडिया इस्लामिक कल्चर सेंटर (IICC) दिल्ली में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए बताया कि उनकी दवाओं की उच्च गुणवत्ता और अनुसंधान यूनिट आदि को देखते हुए ही भारत सरकार के आयुष मंत्रालय की तरफ से उन्हें प्रीमियम मार्क प्रदान किया गया है।
हकीम सिराजुद्दीन ने बताया कि यह मार्क क्वालिटी कंट्रोल ऑफ इंडिया के मार्गदर्शन और विश्व स्वास्थ्य संगठन के दिशा निर्देशों के अनुरूप ही प्रदान किया जाता है। उन्होंने बताया कि ड्रग्स लैबोेट्रीज भारत की ऐसी पहली यूनानी दवा बनाने वाली कंपनी हो गई है जिसके पास यह मार्क मौजूद है। उन्होंने कहा कि इस मार्क को हासिल करने वाली दवा कंपनियां ही अपनी दवाएं विदेशों में एक्सपोर्ट कर पाएंगी और देश के अंदर सरकारी अस्पतालों और डिस्पेंसरी में अपनी दवाओं की सप्लाई भी दे पाएंगी। उन्होंने बताया कि इस मार्क को प्राप्त करने के लिए 1 वर्ष तक काफी कड़ी मेहनत करनी पड़ी है।
हकीम सिराजुद्दीन ने यह भी बताया कि उनके पिता पदम श्री हकीम सैफुद्दीन अहमद भारत के 3 राष्ट्रपतियों के विशेष चिकित्सक के तौर पर तैनात रहे थे। इसके अलावा वह स्वास्थ्य मंत्रालय के यूनानी सलाहकार के पद पर रहते हुए अपनी सेवाएं देचुके हैं । इस अवसर पर डॉक्टर अख्तर सिद्दीकी, डॉक्टर राशिद उल्लाह खान, डॉ सैयद अहमद खान, डॉक्टर अमानुल्लाह , डॉक्टर सगीर अहमद, डॉक्टर जुनैद सिद्दीकी, डॉ हरीश महमूद को हकीम सिराजुद्दीन अहमद ने सम्मानित भी किया गया।