आख़िर वो दिन आ पहुंचा जब राशन कार्ड से पानी लेने पर मजबूर हुए लोग
देश में भले ही वर्ल्ड कप में क्रिकेट के दीवाने अपने घरों में इस मैच के शुरू होने के इंतज़ार में TV सेटों के सामने बैठने की तैयारी में हों और दिन में लंच और डिनर का इंतज़ाम करके फ़ारिग़ हों लेकिन इसी देश में करोड़ों लोग ज़रूरत भर पानी हासिल करने की लाइन में लग गए हैं ।स्कूल जाने वाले बच्चों को पहले दूर से पानी लाना होता है तब स्कूल जाना होता है ।
पानी की इस बिकट समस्या से अपना पल्ला झाड़ने के लिए भी सियासी कबड्डी चलती रहेगी या सारे मुद्दों पर सील लगाकर पहले देश के हर नागरिक को मूल भूत सुविद्याएँ देने का काम सरकारों को करना होगा , अब ये आप तय करे आपको पानी , बिजली , स्वास्थ्य , शिक्षा चाहिए या मंदिर मस्जिद गुरु द्वारा चर्च ?
अब महाराष्ट्र के बुलढाणा ज़िले के चिंचोली गांव में राशन कार्ड के आधार पर हर परिवार को 200 लीटर पानी देना शुरू कर दिया है।
इसकी एक वजह यह भी है की यहां टैंकर से पानी हासिल करने के लिए लड़ाई झगड़े हुआ करते थे जिनमें आम लोग गंभीर रूप से घायल हो जाते थे।
आपको बता दें बुलढाणा ज़िले में स्थित लगभग सभी बांध पानी की कमी से जूझ रहे हैं। सभी बड़े, मंझले और छोटे बांधों में से सत्तर फीसदी पानी ख़त्म हो चुका है।
चिंचोली गांव में सुबह पांच बजे का नज़ारा बेहद दुखद होता है , जैसे ही पानी का टैंकर वहां पहुँचता है यहां रहने वालीं अधिकतर महिलायें अपने सिर पर कई घड़े और कई बाल्टियां लेकर अपने राशन कार्ड को संभाले लाइन में लग जाती हैं।
आप सोचें उसका क्या हाल होता होगा जो सुबह 5 बजे से लाइन में लगी हो और अंत में पता चले की पानी खत्म होगया है और वो खाली बर्तन लेकर अपने घर को लौटती है ।
एक निवासी महिला कहती हैं, “अकाल की वजह से हमने अपने कुछ जानवरों को बेच दिया है। और कुछ जानवरों को अपने रिश्तेदारों के घरों में पहुंचा दिया है। हमारे गांव के सभी कुंए पूरी तरह से सूख चुके हैं। ऐसे में हमारे गांव में हर रोज़ दो टैंकर आते हैं और हम इन टैंकरों पर ही निर्भर हैं। कभी-कभी राशन कार्ड के आधार पर हमारा नंबर आने से पहले ही पानी ख़त्म हो जाता है।”
चिंचोली निवासी महिला बताती हैं, “कुछ दिन पहले यहां कुछ नेता आए थे, उन्होंने अकाल-प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया। उन्होंने आश्वासन दिया कि वह पानी उपलब्ध कराएंगे लेकिन इस क्षेत्र में पानी की समस्या अभी भी ख़त्म नहीं हुई है। हम उन लोगों को वोट देते हैं जो पानी देने का आश्वासन देते हैं। लेकिन नेताओं के खोखले वादों के बाद जनता प्यास से त्रस्त होती हैं। ऐसे में हमें नहीं पता कि हम किसके पास जाकर पानी मांगे।”
चिंचौली गांव की जनसंख्या लगभग 4000 है और इतने लोगों के लिए दो टैंकर ज़ाहिर है ना काफी हैं । पानी का टैंकर गांव में साढ़े पांच बजे और 12 बजे दोपहर में आता है।किसान दोपहर में अपने काम में व्यस्त रहते हैं। लेकिन उन्हें अपना काम छोड़कर टैंकर का इंतज़ार करना पड़ता है। गांववालों को भी टैंकर के लिए लंबा इंतज़ार करना पड़ता है क्योंकि टैंकर कभ कभी टाइम से नहीं आता है।
राकेश वानखेड़े टैंकर का इंतज़ार करने वाले ऐसे ही तमाम गांववालों में से एक हैं।वो बताते हैं, “पाँच साल से गाँव पानी की कमी से जूझ रहा है। टैंकरों से जो पानी मिलता है वो पर्याप्त नहीं है। गांववालों को हर रोज़ लगभग चार से पांच टैंकरों की ज़रूरत होती है। लेकिन हमें सिर्फ दो टैंकर मिल रहे हैं। हर परिवार को जितना पानी मिलता है वो उनकी ज़रूरत के अनुपात से बहुत कम है।यह तो इंसानो के लिए ही पर्याप्त नहीं है अब ऐसे में हम अपने जानवरों को ज़िंदा कैसे रख पाएंगे।”
चिंचोली गांव के लोग अपने पालतू जानवरों को रिश्तेदारों के घर भेज रहे हैं ।लेकिन राकेश के घर में अब भी कुछ जानवर हैं लेकिन उन्हें ज़िंदा रखना मुश्किल हो रहा है।उनका कहना है “पानी की कमी के चलते कई जानवरों की मौत हो गई है और हमारे कई दुसरे मवेशी मरने की हालत में हैं। अब से दो तीन महीने पहले गांव में टैंकर आते ही लोगों के बीच झगड़े शुरू हो जाते थे। ऐसे में हमारे प्रधान ने राशन कार्ड के आधार पर पानी देने का फैसला किया। अब झगड़े कम हो गए हैं लेकिन लोगों का नंबर आने से पहले ही पानी ख़त्म हो जाता है।”
चिंचौली गांव में रहने वाले एक अन्य नागरिक इस समस्या के निदान के बारे में अपनी सुझाव देते बताते हैं , ” बांध से पानी ले जाने वाली पाइपलाइन हमारे गाँव से चार किलोमीटर की दूरी पर आ गई है। अगर वो पाइप लाइन हमारे गांव में आ जाती है तो हमारी पानी की दिक्कत दूर हो जाएगी।”
गॉंव प्रधान का कहना था , ” हमारा गांव गंभीर रूप से अकाल की चपेट में है। सरकार की ओर से टैंकरों से पानी उपलब्ध कराने की स्वीकृति मिल गई है। लेकिन बीते तीन महीनों में कई बार ये देखने में आया कि लोग दौड़कर चलते हुए टैंकर पर चढ़ जाते हैं । हम ये नहीं चाहते थे कि इस संकट के चलते पहले पानी हासिल करने के लिए किसी का एक्सीडेंट हो जाए ,इसी वजह से हमनें राशन कार्ड के जरिए हर परिवार को 200 लीटर पानी देने की प्रक्रिया शुरू कर दी।
प्रधान का बताना था कि चिंचोली में इस समय 11 हैंडपम्प और पाँच सरकारी कुएँ हैं लेकिन इनमें पानी नहीं है।इस गांव के पास वान धनोदी बांध परियोजना स्थित है। गांववालों की मांग है कि उन्हें इस बांध से पानी मिलना चाहिए और वे सरकार से इसकी मांग कर रहे हैं।जबकि इस बांध में भी पानी लगातार काम होता रहा है ।
चिंचोली जैसे देश के हज़ारो गौंवों की यह विकत समस्या कब हल होगी और इन गांव वालों का पानी को लेकर संघर्ष कब ख़त्म होगा, इसके लिए कोई निश्चित समय नहीं है , हाँ सरकार की ओर से हमेशा की तरह हर मांमले में आश्वासन का दौर जारी है ।और आश्वासन की गोली नागरिकों को चूसना नेताओं की आदत और चूसना जनता की मजबूरी बन गयी है , अब यह मजबूरी कब तक चलेगी यह देखना बाक़ी है ।TOP BUREAU