कितना बदल गया इंसान ,कितना बदल गया इंसान
सूरज बदला, चाँद न बदला ,ना बदला असमान
कितना बदल गया इंसान ,कितना बदल गया इंसान !!!!
देख तेरे संसार की हालत क्या हो गई भगवान
वैसे हमारे प्रधान मंत्री जी तो नहीं बदले वही प्रधान सेवक की हैसियत से अपना काम अंजाम दे रहे हैं चाहे वो लन्दन में हो या अमेरिका में ,संवाद के माध्यम से अपनी जनता , जनता या मालिकों से जुड़े रहते हैं, सेवक जो हैं … वो कितने सेवक हैं और कितने डिक्टेटर इसकी सच्चाई और हक़ीक़त क्या है मुझे नहीं पता वो जनता सब जानती है ,
…ख़ैर अब जो भी है जनता कर भी क्या सकती है जो करेगी अगले चुनाव में ही कर सकती है . लेकिन इसका भी क्या भरोसा की अगला PM सेवक होगा या शासक . वैसे मोदी जी के बारे में जनता का आम रुझान है की ये साहिब Dictator हैं और हिटलर व् मुसोलोनी के प्रशंसक हैं तो कितनी सेवा जनता की करपायेंगे ये जनता खुद अंदाज़ा लगाए ….रिपोर्ट है की पिछले 4 वर्षों में देश से 16000 से भी अधिक करोड़पति देश छोड़कर चले गए हैं जिनमें सैकड़ों की तादाद उनकी है जो बैंकों के क़र्ज़दार हैं यानी जनता के क़र्ज़दार हैं.
अच्छा…. आपको यह अजीब नहीं लगता की देश की जनता ग़रीबी की तरफ बढ़ रही है ,देश के नागरिकों की एक बड़ी संख्या बुनयादी सुविधाओं से वंचित है ….,जबकि एक बड़ा तब्क़ा ऐसा है जो फ़िज़ूल खर्ची और ऐशपरस्ती में मस्त है ,एक वर्ग पेट भरने के लिए कूड़ेदान से खाना चुनता है तो दूसरा वर्ग थालों भरा खाना कूड़ेदानों में फ़ेंक देता है और कुन्टलों खाना शादियों में बर्बाद होता आप भी देखते होंगे .जिस रोज़ ATM से नोट ग़ायब थे आम आदमी २०० रूपये के लिए लाइन में लगा था और अम्बानी परिवार में उसी दिन एक प्रोग्राम में करोड़ों के नोटों के हार और डेकोरेशन सेट बनाये जारहे थे …..हालांकि नोटों से की गयी डेकोरेशन के बीच में सिर्फ़ एक नक़ली नोट लगाकर उनको नक़ली साबित करने की और फिर इसकी न्यूज़ बनवाने की बात भले चलाई गयी हो किन्तु ये सही है की अमीरों को नोट बखेरने , उनको फाड़ने और उड़ाने में ही संतुष्टि होती है . और फिर सजावट नोटों से ही करनी है तो नक़ली से क्यों ? यह बात समझ नहीं आती .
क्या यही है मानवता , भारतीयता और राष्ट्रवाद? क्या यह ग़रीबी का मज़ाक़ नहीं उड़ाया जा रहा , मगर आप जानते हैं की देश में लूटा और मारा किन लोगों को जाता है जो स्वम २ रोटी जुटाने की मेहनत में लगे हैं मज़दूर या ग़रीब और कमसिन हैं , लाचार हैं .
मोब लिंचिंग अमीरों के साथ क्यों नहीं होती ,क्योंकि शासन और प्रशासन उनकी सिक्योरिटी के लिए तैनात रहता है अमीर पैसे से शासन और प्रशासन को खरीद लेते है ….यानी नेताओं को एडवांस में ही खरीद किया जाता है ….और क़ानून बिक जाता है , इन्साफ नहीं हो पाता , फलस्वरूप अराजकता और बेचैनी समाज में बढ़ती है , विकास रुक जाता है , देश के बुनयादी मुद्दों से अवाम का ज़ेहन भटकाने के लिए फ़िज़ूल की बहसें और चर्चाएं देश में शुरू की जाती हैं , चुनावी मुद्दे बदल जाते हैं , यह सब जनता को ही देखना होगा , क्योंकि देश में फिलहाल जो हालात हैं इसका लाभ सीधे सीधे सियासत दानो को है.आम आदमी या तो 500 जूते खायेगा या खाना पड़ेगी 100 किलो प्याज एक झटके में .और यह सब 5 वर्षों के लिए ही होगा जब तक दूसरी सरकार नहीं बनती ..
देश जुमले बाज़ी से नहीं चलेगा ?देश को समानता , उत्तदायित्व (जवाबदही) , सहिष्णुता,इन्साफ , सद्भाव ,एकता अखंडता और विकास की ज़रुरत है .
हमारे माननीय प्रधान मंत्री जी लंदन में ‘भारत की बात सबके साथ’ कार्यक्रम में संवाद में भी व्यस्त रहे , कमाल है मोदी जी ने अपने व्यस्त कार्यक्रम से संवाद के लिए समय कैसे निकाला , वैसे संवाद मोदी जी की Hobbies में से है , इसलिए कोई दिक़्क़त उनको शायद नहीं आती होगी ,मगर उनको परेशानी जब होती है जब उनसे उनके कार्यकाल के स्याह पन्नो को पलटा जाता है , जब उनसे 2 करोड़ रोज़गार के मुद्दे पर बात की जाती है , 15 लाख हर नागरिक के खाते में डाले जाने के मुद्दे पर बात बात होती है ,उनके कार्यकाल में डॉलर, पेट्रोल , डीज़ल , रसोई गैस और अन्य खाद्य पदार्थों की कीमतों के आसमान पर पहुँच जाने के मुद्दों पर बार होती है ,रूपये की गिरती लगातार कीमतों पर बात होती है , इत्यादि .
हालाँकि BJP के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की माने तो ये सब जुमले बाज़ी है , यानी उनका कहना है की जो कुछ भी हम अपनी चुनावी रैलियों या दुसरे अवसरों पर कह रहे हैं वो सिर्फ जुमले बाज़ी है , उनका कहना है की यह विपक्ष भी जानता है और जनता भी जानती है . लेकिन क्या यह कहकर अमित शाह अपनी ज़िम्मेदारियों से पीछा छुड़ा सकते हैं ?क्या यह जुमले बाज़ी अभी देश में चलेगी ? यह भी जनता को ही तय करना होगा .मगर कलयुग है कुछ भी हो सकता है.
रामचंद्र कह गए सिया से
ऐसा कलजुग आएगा
हंस चुगेगा दाना दुनका
कौवा मोती खायेगा !!!!
सुनो सिया कलजुगमे काला धन और काले मन होगे
चोर उचक्के नगर सेठ और प्रभु भक्त निर्धन होगे
जो होगा लोभी और भोगी वो जोगी कहलायेगा
राजा और प्रजा दोनो में
होगी निसदिन खीचातानी
कदम कदम पर करेगे
दोनो अपनी अपनी मन मानी
जिसके हाथ मे होगी लाठी
भैंस वाही ले जाएगा !!!!!!!!