कुंभ से उत्तर प्रदेश सरकार को 1200 अरब रुपये की आमदनी का अनुमान
योगी सरकार के ‘स्वच्छ कुंभ’ दावों की खुली पोल, पहले ही दिन हजारों टॉयलेट खराब, श्रद्धालु
खुले में शौच के लिए जाने को मजबूर
लखनऊ: देश में चारों ओर कारोबारी मंडी और बेरोज़गारी की चर्चा आम है लोग आर्थिक संकट की वजह से होने वाली दिक़्क़तों की चर्चा में लगे हैं ,ऐसे में भारत के ही उत्तर प्रदेश में चल रहे कुम्भ के मेले से UP सरकार को 1 , 200 अरब रुपयों की आमदनी का अनुमान है .
अब देखना यह है कि इतनी बड़ी रक़म के उपयोग केलिए सरकार के पास क्या योजना है? विशेषज्ञों का मानना है कि यह पूँजी किसी भी राज्य को 5 वर्ष तक सक्षम रूप से चलाने के लिए पर्याप्त है किन्तु अनुमान यह लगाया जारहा है कि इतनी बड़ी रक़म को राजनितिक प्रचार में लगाने कि योजना से इंकार नहीं किया जासकता …
प्रयागराज में संगम की रेती पर बसे आस्था के कुंभ से उत्तर प्रदेश सरकार को 1,200 अरब रुपये का राजस्व मिलने की उम्मीद है. यह अनुमान उद्योग मंडल भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) ने लगाया है.
सीआईआई की एक रिपोर्ट के मुताबिक 15 जनवरी से 4 मार्च तक आयोजित होने वाला कुंभ मेला हालांकि धार्मिक और आध्यात्मिक आयोजन है मगर इसके आयोजन से जुड़े कार्यों में छह लाख से ज्यादा कामगारों के लिए रोजगार उत्पन्न हो रहा है.
उत्तर प्रदेश सरकार ने 50 दिन तक चलने वाले कुंभ मेले के लिए आयोजन के लिए 4,200 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं जो वर्ष 2013 में आयोजित महाकुंभ के बजट का तीन गुना है. सीआईआई के अध्ययन के मुताबिक कुंभ मेला क्षेत्र में आतिथ्य क्षेत्र में करीब ढाई लाख लोगों को रोजगार मिलेगा. इसके अलावा एयरलाइंस और हवाई अड्डों के आसपास से करीब डेढ़ लाख लोगों को रोजी-रोटी मिलेगी.
वहीं, करीब 45,000 टूर ऑपरेटरों को भी रोजगार मिलेगा. साथ ही इको टूरिज्म और मेडिकल टूरिज्म क्षेत्रों में भी लगभग 85,000 रोजगार के अवसर बनेंगे. रिपोर्ट के मुताबिक, इसके अलावा टूर गाइड टैक्सी चालक द्विभाषिये और स्वयंसेवकों के तौर पर रोजगार के 55 हजार नए अवसर भी सृजित होंगे.
इससे सरकारी एजेंसियों तथा वैयक्तिक कारोबारियों की आय बढ़ेगी. सीआईआई के अनुमान के मुताबिक कुंभ मेले से उत्तर प्रदेश को करीब 12 सौ अरब रुपये का राजस्व मिलेगा. इसके अलावा पड़ोस के राज्यों राजस्थान, उत्तराखंड, पंजाब और हिमाचल प्रदेश को भी इसका फायदा होगा. ऐसा इसलिए है क्योंकि कुंभ में शामिल होने वाले पर्यटक इन राज्यों के पर्यटन स्थलों पर भी जा सकते हैं.कुंभ मेले में करीब 15 करोड़ लोगों के आने की संभावना है.
इस सबके बावजूद यहाँ यह जानना भी ज़रूरी है की इस महा कुम्भ के दौरान कुम्भ स्थल की सुरक्षा और बुनयादी ज़रूरतों की वयवस्था किसी चल रही है .इस सम्बन्ध में बता दें कि स्वच्छ कुंभ का दावा करते हुए प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार और केंद्र सरकार ने यहां 1,20,000 शौचालय बनाने की बात का व्यापक रूप से प्रचार किया था, लेकिन आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और धार्मिक समागम के पहले ही दिन हजारों शौचालय बेकार पड़े मिले और कई श्रद्धालु खुले शौच करते दिखाई दिए.
कुंभ प्रशासन ने एक विज्ञप्ति के माध्यम से कहा, “इस बार कुंभ मेले में स्वच्छता पर विशेष ध्यान दिया गया है. बीते सालों में शौचालय की कमी के चलते लोगों को मजबूर होकर खुले में शौच केलिए जाना पड़ता था , लेकिन इस बार 1,20,000 शौचालय बनाए गए हैं और स्वच्छता बनाए रखने के लिए सफाईकर्मियों की संख्या दोगुनी कर दी गई है.
पिछले कुंभ मेले में सिर्फ 34,000 शौचालय थे.” स्वच्छता के यह दावे मोदी सरकार के स्वच्छ भारत अभियान की अहमियत के मद्देनजर किए गए हैं और विज्ञापनों के माध्यम से इसका खूब प्रचार किया गया था. लेकिन, मकर संक्रांति के शुभ अवसर पर मंगलवार को कुंभ के प्रथम शाही स्नान के दौरान बड़ी संख्या में लोग खुले में शौच करते देखे गए.
इस पूरे प्रकरण को UP सरकार कि कुम्भ मेले को लेकर असफलता और लापरवाही से जोड़कर देखा जारहा है , जबकि योगी खुद हिन्दू आस्था के के प्रचारक के रूप में देखे जाते हैं और इस समय वो उप के मुख्यमंत्री हैं तो इस प्रकार कि शिकायत या समाचार का सवाल क्यों उठा ?